आलू एक ऐसा कंद है, जिसकी मार्केट में सालों भर डिमांड रहती है. इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल सब्जी के रूप में किया जाता है. इसके अलावा भी आलू से कई सारे स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं. ऐसे आलू में राइबोफ्लेविन, नियासिन, थायमिन, विटामिन बी6, विटामिन सी और विटामिन के प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. इसका सेवन करने से शरीर को कई सारे पौष्टिक तत्व मिलते हैं. इसकी खेती भी लगभग देश के सभी राज्यों में की जाती है. सितंबर से अक्टूबर का महीना आलू की बुवाई के लिए बेहतर माना गया है. जिन किसान भाइयों ने अभी तक आलू की बुवाई नहीं की है, उनके लिए यह खबर बहुत ही काम की है. क्योंकि आज हम आलू की खेती को लेकर उन बारीकियों के बारे में चर्चा करेंगे, जिससे पैदावार बढ़ जाएगी.
आलू एक तरह की कंदीय फसल है. यह जमीन के अंदर उगता है. ऐसे अगेती आलू की बुवाई के लिए 15 अक्टूबर से 25 सितंबर का समय बेहतर माना गया है. लेकिन कई किसान धान की कटाई करने के बाद उसी खेत में आलू की खेती करते हैं. ऐसे में उन किसानों को आलू की बुवाई करने में देर हो जाती है. हालांकि, अभी भी किसानों के पास आलू की बुवाई करने का प्रयाप्त समय है. नवंबर से 25 दिसंबर के बीच किसान भाई आलू की बुवाई कर सकते हैं.
मिट्टी का पीएच मान 4.8 से 5.4 के बीच होना चाहिए
ऐसे आलू की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी बेहतर माना गया है. मिट्टी का पीएच मान 4.8 से 5.4 के बीच होना चाहिए. साथ ही इसके बीज के अंकुरण के लिए 22 से 24 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए. वहीं, आलू के कंद के विकास के लिए 18 से 20 डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर होना चाहिए. खास बात यह है कि आलू की बुवाई करने से पहले खेत की तीन से चार बार अच्छी तरह से जुताई करें. इसके बाद पाटा चलाकर खेत को समतल और मिट्टी को भुरभुरी बना लें. फिर आलू की बुवाई करने से पहले खेत में प्रति एकड़ 87 किलो डीएपी, 55 किलो यूरिया और 80 किलो एमओपी को मिला दें.
ये हैं आलू की बेहतरीन किस्में
भारत में किसान आलू की कई किस्मों की खेती करते हैं. लेकिन कुफरी पुखराज, कुफरी अशोका, कुफरी अलंकार, कुफरी लालिमा और कुफरी सदाबहार आलू की बेहतरीन किस्में हैं. इन किस्मों की बुवाई करने पर बंपर पैदावार मिलती है. वहीं, देर से पकने वाले आलू के बारे में बात करें तो कुफरी सिंधुरी, कुफरी फ्ऱाईसोना और कुफरी बादशाह बेहतरीन किस्में हैं. वहीं, अगर सबसे कम दिन में पक कर तैयार होने वाली आलू की बात करें, तो कुफरी अशोका, कुफरी अलंकार और कुफरी लालिमा सहित कई किस्में हैं, जो महज 70 से 100 दिनों में तैयार हो जाती हैं. इन किस्मों को केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने विकसित किया है.
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