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बारिश से इस राज्य में आलू की फसल बर्बाद, उत्पादन में गिरावट आने से अब कीमतों में हो सकती है बढ़ोतरी

बारिश से इस राज्य में आलू की फसल बर्बाद, उत्पादन में गिरावट आने से अब कीमतों में हो सकती है बढ़ोतरी

ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप मजूमदार ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि इस बारिश का आलू की फसल पर सीमित प्रभाव पड़े. लेकिन ऐसी बेमौसम बारिश कभी-कभी खड़ी फसल को बर्बाद कर देती है.

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बारिश से आलू की फसल को पहुंचा नुकसान. (सांकेतिक फोटो) बारिश से आलू की फसल को पहुंचा नुकसान. (सांकेतिक फोटो)

बारिश ने पश्चिम बंगाल के किसानों की चिंता बढ़ा दी है. 1 और 2 फरवरी को हुई बरसात से आलू की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. कहा जा रहा है कि इसका असर उत्पादन पर भी पड़ सकता है. इससे खुदरा मार्केट में आलू की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना बढ़ गई है. खास बात यह है कि प्रदेश के आलू उत्पादक किसान पहले से ही ब्लाइट रोग से परेशान थे. लेकिन बारिश ने उनकी चुनौतियों को और बढ़ा दिया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने भी बारिश से पश्चिम बंगाल में फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था.  17, 18 और 19 जनवरी को हुई बारिश ने काफी तबाही मचाई थी. ऐसे में राज्य के कृषि विभाग ने तबाही की पूरी सीमा का आकलन करने के लिए सर्वे का काम शुरू कर दिया है. ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप मजूमदार ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि इस बारिश का आलू की फसल पर सीमित प्रभाव पड़े. लेकिन ऐसी बेमौसम बारिश कभी-कभी खड़ी फसल को बर्बाद कर देती है.

उत्पादन में आ सकती है गिरावट

उन्होंने कहा कि इस सीजन में आलू उत्पादकों को तिहरी मार झेलनी पड़ी है. दिसंबर के अंत में, बारिश से आलू की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई थी. ऐसे में किसानों को दोबारा बीज बोना पड़ा. लेकिन अब हालिया बारिश ने चिंताओं को और बढ़ा दिया है. ऐसी आशंकाएं बढ़ रही हैं कि इस वर्ष आलू का उत्पादन पिछले वर्षों की तुलना में कम से कम 30 प्रतिशत कम हो सकता है, जिससे संभावित रूप से खुदरा कीमतों में वृद्धि हो सकती है. खास कर हुगली,पूर्वी बर्दवान और बांकुरा में रुके हुए बारिश के पानी ने आलू की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. राज्य सरकार ने क्षति का आकलन करने और प्रभावित किसानों की सहायता के लिए प्रयास शुरू किए हैं.

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बारिश ने बढ़ाई खेती में लागत

प्रदीप मजूमदार ने कहा कि किसान अपनी फसलों पर तिहरे हमले की मार से जूझ रहे हैं. एक बीघे आलू की खेती की लागत बढ़कर 25,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति बीघे हो गई है. आलू के अलावा, मूंग, लाल मसूर, बंगाल चना, लीमा बीन्स और प्याज सहित कई अन्य रबी फसलों को बारिश और जलभराव के कारण नुकसान हुआ है. वहीं, मजूमदार और उनके डिप्टी बेचाराम मन्ना सहित सरकारी अधिकारी सक्रिय रूप से नुकसान का आकलन कर रहे हैं. उनका मानना है कि हालात चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद किसान इन कठिनाइयों से पार पा सकते हैं.

फूलगोभी की भी हुई भारी बर्बादी

मौसम की मार से सब्जियां भी नहीं बचीं. तारकेश्वर ब्लॉक में फूलगोभी पर बारिश और कोहरे के कारण हरे लार्वा द्वारा हमला किया गया है, जिससे कृतिबास माझी जैसे किसानों को काफी वित्तीय नुकसान हुआ है. अरहर, सेम और भिंडी जैसी अन्य फसलों को भी नुकसान हुआ है, जिससे कई परिवारों की आजीविका प्रभावित हुई है. बारिश ने अपनी फसल की सरकारी खरीद का इंतजार कर रहे धान किसानों पर भी असर डाला है. पुरसुरा ब्लॉक के किसानों ने कहा कि उन्हें तब चुनौतियों का सामना करना पड़ा जब बाजार में आश्रय की कमी के कारण खुले में छोड़ दिया गया उनका धान खराब हो गया.

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