केंद्र सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए कमर कस ली है. वह चावल की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए अगले सप्ताह से खुद ही खुले बाजार में चावल बेचेगी. इसके लिए सारी तैयारी कर ली गई है. सरकार नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार की मदद से सीधे 29 रुपये किलो उपभोक्ताओं को चावल बेचेगी. खास बात यह है कि चावल भी आटे की तरह 5 से 10 किलोग्राम के पैक में 'भारत' ब्रांड के तहत बेचा जाएगा. केंद्र को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से आम जनता को काफी राहत मिलेगी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने चावल मिलों को कीमतें कम करने का निर्देश दिया था. लेकिन इसके बावजूद भी चावल सस्ता नहीं हुआ. ऐसे में सरकार ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए 'भारत' ब्रांड के तहत चावल बेचने का फैसला किया. साथ ही सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम भी लागू कर दिया है. अब व्यापारियों के लिए 9 फरवरी से प्रत्येक शुक्रवार को एक निर्दिष्ट पोर्टल पर चावल/धान के स्टॉक की घोषणा करनी होगी.
वहीं, सरकार ने संकेत दिया है कि अगर घरेलू बाजार में कीमतें नहीं गिरीं तो उबले चावल के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लग सकता है. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि एक साल पहले की तुलना में चावल की कीमतें खुदरा बाजार में 14.5 प्रतिशत और थोक बाजारों में 15.5 प्रतिशत बढ़ी हैं. केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि कीमतें कम करने के लिए सभी विकल्प खुले हैं. उन्होंने कहा कि चावल को छोड़कर सभी आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतें नियंत्रण में हैं.
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जब खाद्य सचिव से सवाल किया गया कि क्या उबले चावल के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लग सकता है, तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई योजना नहीं है. उनकी माने तो चालू वित्त वर्ष में 24 जनवरी तक इसका निर्यात अप्रैल-जनवरी 2022-23 की अवधि से छह प्रतिशत कम हो गया है. सरकार ने पहले चरण में खुदरा बाजार में बिक्री के लिए सहकारी समितियों को 5 लाख टन चावल आवंटित किया है और मांग बढ़ने पर और मात्रा जारी की जाएगी. भारत चावल बेचने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को भी शामिल किया जाएगा.
चोपड़ा ने कहा कि चूंकि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा रखे गए चावल में खुले बाजार में उपलब्ध किस्मों की तुलना में टूटे हुए अनाज का प्रतिशत अधिक होता है. इसलिए सरकार ने सहकारी समितियों को पैकिंग से पहले टूटे हुए अनाज को 5 प्रतिशत से कम करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि भारत चावल से बाजार में टूटे हुए चावल की उपलब्धता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी, जो इथेनॉल उत्पादन के लिए उपयुक्त है.
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