UP Sugarcane Farmers: किसानों की सबसे पसंदीदा नकदी फसल गन्ने की खेती करने वालों की चांदी होने वाली है. कानपुर में स्थित नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट में लगातार गन्ना और शुगर को लेकर शोध किए जाते हैं. कानपुर पहुंचे स्प्रे इंजीनियरिंग चंडीगढ़ के मैनेजिंग डायरेक्टर और गन्ना विशेषज्ञ विवेक वर्मा ने किसान तक से खास बातचीत में बताया कि अब शुगर इंडस्ट्री में चीनी के साथ अन्य उत्पादों को भी तैयार करने के लिए कवायद शुरू की गई है. जिसमें अब जो गन्ने से शुगर निकालने के बाद बायोमास बच जाता है,उस बायोमास से शक्कर से भी कीमती प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे. जिससे किसानों को भी सीधा लाभ होगा. उन्होंने बताया कि जिसमें बायोमास से यूरिया, पेपर, इथेनॉल पाली एथिलीन समेत कई प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे. ऐसे में जहां शुगर इंडस्ट्री में चीनी के साथ यह प्रोडक्ट तैयार होंगे, तो इंडस्ट्री को भी फायदा होगा और किसानों को भी इसका फायदा होगा. क्योंकि अभी तक गन्ने के रेट उनको एक फिक्स अमाउंट ही मिलते थे.
विवेक वर्मा बताते हैं कि अब नॉन फूड बायोमास से तरह-तरह के प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे, तो देश में जो अभी प्रोडक्ट आयात किए जाते हैं उन पर रोक लगेगी. क्योंकि यहीं पर यह प्रोडक्ट तैयार किया जा सकेंगे. अभी यह नॉन फूड बायोमास बिल्कुल कबाड़ के तरह बर्बाद चला जाता है. लेकिन आने वाले समय में यह शक्कर जितना कीमती होगा. क्योंकि इससे महंगे-महंगे प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे.
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वहीं अभी खेती करने के बाद जब फसल कट जाती है, तो उसमें जो खरपतवार बचती है उसे किसान पराली के रूप में जला देते हैं. लेकिन अब उन्हें ऐसा करने से रोका जाएगा. क्योंकि इसके इस्तेमाल से भी प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे. ऐसे में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण में भी रोकथाम होगी.
देशभर में लगभग 49 लाख हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती की जाती है. इसमें अकेले उत्तर प्रदेश का हिस्सा 45% से अधिक है. इसलिए उत्तर प्रदेश सबसे अधिक गन्ना उत्पादक राज्यों में से एक है, हालांकि, इन किसानों के बड़े योगदान के बावजूद, एफआरपी वृद्धि से उनकी वित्तीय स्थिति में खास सुधार होने की संभावना नहीं है क्योंकि वे पहले से ही एसएपी के तहत नई घोषित दर से लगभग 40-60 रुपये प्रति क्विंटल अधिक कमा रहे हैं.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गंगा-यमुना क्षेत्र में प्रदेश की लगभग 65 प्रतिशत गन्ने का उत्पादन किया जाता है. इस क्षेत्र के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, और बुलन्दशहर जैसे जिलों में सबसे अधिक गन्ने का उत्पादन होता है. इसके आलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर, बस्ती, गोंडा, बाराबंकी, जौनपुर, सीतापुर, हरदोई तथा बिजनौर में गन्ने का उत्पादन प्रमुख रूप से होता है. इससे पहले योगी सरकार ने गन्ने के दाम में 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी. अगेती किस्म की कीमत अब 370 रुपये प्रति क्विंटल जबकि सामान्य किस्म का दाम 360 रुपये है.
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