क्या केरल की थाली से दूर हो जाएगा ये स्वादिष्ट चावल, 'बिगड़ैल' मॉनसून से चिंता में फंसे किसान

क्या केरल की थाली से दूर हो जाएगा ये स्वादिष्ट चावल, 'बिगड़ैल' मॉनसून से चिंता में फंसे किसान

केरल के कई जिलों में पोक्कली धान की खेती होती है. इसके लिए मॉनसूनी बारिश की अधिक जरूरत होती है. लेकिन इस बार केरल में मॉनसून पीछे है. इससे पोक्कली की खेती पिछड़ गई है. नर्सरी के लिए जरूरी पानी नहीं मिल पा रहा है. इससे केरल के किसानों में चिंता है.

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क्या केरल की थाली से दूर हो जाएगा ये स्वादिष्ट चावल, 'बिगड़ैल' मॉनसून से चिंता में फंसे किसानकेरल में पिछड़ी पोक्कली धान की खेती (सांकेतिक तस्वीर)

केरल में मॉनसून की चाल बिगड़ी हुई है. ताज्जुब की बात ये है कि जिस राज्य में मॉनसून पूरे देश में प्रवेश करता है, आज उसी राज्य के लोग मॉनसूनी बारिश के लिए टकटकी लगाए बैठे हैं. यूं कहें कि देश के जिन राज्यों में मॉनसून पिछड़ा चल रहा है, उनमें एक केरल भी है. केरल में भी एर्णाकुलम ऐसा जिला है जहां मॉनसून अपने बिगड़ैल रूप में है. यहां बारिश की कमी देखी जा रही है. एक तो दक्षिण पश्चिम मॉनसून यहां देरी से पहुंचा, ऊपर से बारिश भी अच्छी नहीं हुई. इससे पूरे प्रदेश के किसानों में चिंता की लहर है. किसान अपने उस स्वादिष्ट धान की खेती को लेकर फिक्रमंद हैं जिसकी मांग बेहद अधिक रहती है. इस धान का नाम है पोक्कली. 

केरल में मॉनसून की बारिश कम है. इस वजह से एर्णाकुलम जिले में पोक्कली धान की रोपाई बड़े स्तर पर प्रभावित हुई है. किसानों की शिकायत है कि बारिश कम होने से उनके खेतों की मिट्टी में लवण की मात्रा पूरी तरह बनी रह गई है जबकि पोक्कली धान के लिए इसका लेवल कम होना चाहिए. यहां के किसान बताते हैं कि मिट्टी में लवण की मात्रा अधिक होने से धान की नर्सरी का बढ़वार ठीक नहीं हो रहा. यहां तक कि पौधे ठीक से फूट नहीं पा रहे हैं. अगर यही हालत रही तो इस बार पोक्कली चावल की पैदावर बहुत घट सकती है.

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इससे पहले पोक्कली धान की खेती इस बात से प्रभावित हुई थी कि मॉनसून से पहले की बारिश भी एर्णाकुलम जिले में नहीं हुई. कप्पू धान उत्पादक संगठन के अध्यक्ष श्याम सुंदर 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से कहते हैं, सामान्य तौर पर हर साल अप्रैल में जमीन सूखी रहती है. और मई महीने में बारिश होते ही खेतों में लवण की मात्रा खत्म हो जाती है. लेकिन इस बार मई कौन कहे, जून में भी बारिश नहीं हुई. थोड़ी बारिश हुई भी, तो उससे खेतों का नमक (लवण) खत्म नहीं हुआ. हालत ये हो गई कि जमीन में लवण की मात्रा ने पोक्कली धान की खेती पर ब्रेक लगा दिया है.

क्या कहते हैं किसान

श्याम सुंदर कहते हैं, 50 एकड़ खेत में 700 किलो पोक्कली धान रोपा था, लेकिन उसमें से अधिकांश बर्बाद हो गया है. धान का आधा बीज महंगे रेट पर खरीदा था जबकि आधा बीज एक दोस्त से लिया था. लेकिन महंगा बीज इसलिए ठीक से नहीं पनप पाया क्योंकि खेत में लवण की मात्रा अधिक थी. कई किसानों ने इस वजह से दोबारा धान की रोपाई की है. श्याम सुंदर ने दोबारा पोक्कली धान की रोपाई इसलिए नहीं की क्योंकि उनके लिए यह फायदे का सौदा नहीं है, न ही वे दोबारा खेत में सिंचाई कर सकते हैं.

किसानों की एक शिकायत ये भी है कि सरकार पोक्कली धान की खरीद नहीं करती और न ही निर्यात के लिहाज से इस धान की खेती को बढ़ावा दिया जाता है. लेकिन इसका स्वाद ऐसा है कि किसान बड़े पैमाने पर खेती करते हैं. खुद के खाने के लिए वे पोक्कली धान की रोपाई करते हैं, मगर इस बार उनकी थाली से इसका चावल दूर होता दिख रहा है.

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कई फसलों को नुकसान

पोकक्ली धान के अलावा बाकी फसलों के किसानों को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ा है. कुछ बागवानी फसलें जैसे कि सेम और फलिया को बारिश से नुकसान देखा गया है. एक्सपर्ट बताते हैं कि जब लगातार बारिश होती है तो उससे सब्जियों की फसलों का नुकसान होता है. अभी तक कि स्थिति ये है कि बहुत अधिक बारिश नहीं होने से धान की खेती कम है जबकि बाकी फसलें ठीक चल रही हैं. जिन फसलों को कम पानी की जरूरत होती है, उनकी ग्रोथ अच्छी है. एर्णाकुलम जिले में एक से 14 जुलाई के बीच 20 परसेंट बारिश दर्ज की गई है.

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