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धान की ऐसी किस्म जिसका बाढ़ भी कुछ नहीं बिगाड़ पाती, लगातार 17 दिनों तक झेल सकती है जल जमाव

धान की ऐसी किस्म जिसका बाढ़ भी कुछ नहीं बिगाड़ पाती, लगातार 17 दिनों तक झेल सकती है जल जमाव

स्वर्णा सब 1 किस्म अर्ध-बौनी किस्म है और सीधे बोने पर 140 दिनों में पक जाती है. वहीं जब इस किस्म को लगाया जाता है तो यह 145 दिन में पक जाती है. इसका दाना मध्यम पतला होता है. इससे 66.5 प्रतिशत अविभाजित चावल यानि हेड चावल प्राप्त होता है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में धान की स्वर्णा सब-1 किस्म औसतन 1 से 2 टन प्रति हेक्टेयर अधिक मुनाफा देती है.

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धान की स्वर्णा सब 1 किस्म धान की स्वर्णा सब 1 किस्म

भारत में धान यानी चावल की फसल को ख़रीफ़ सीज़न की एक बहुत ही महत्वपूर्ण फसल के रूप में जाना जाता है. धान की फसल न केवल पोषण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि दुनिया भर में इसकी अच्छी मात्रा में खपत भी की जाती है. भारत की बात करें तो खरीफ सीजन के दौरान उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और झारखंड में बड़े पैमाने पर चावल की खेती की जाती है. इन राज्यों में किसान मई से जून के बीच चावल की नर्सरी तैयार करते हैं. ऐसे में धान की सही किस्म की बुआई बहुत जरूरी है.

कई बार किसान कुछ ऐसी किस्मों का चयन करते हैं जो न तो रोग प्रतिरोधी होती हैं और न ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को झेलने में सक्षम होती हैं. किसानों की इसी समस्या को देखते हुए किसानों के लिए कुछ ऐसी किस्में विकसित की गई हैं जो इन सभी परिस्थितियों के लिए अनुकूल हैं.

धान की स्वर्णा सब 1 किस्म

धान की स्वर्णा सब 1 किस्म भी बाढ़ प्रतिरोधी किस्म है. इस किस्म के धान के पौधे 14 से 17 दिन तक पानी में डूबे रहने के बाद भी खराब नहीं होते हैं. हालांकि डूबने के 10 दिन बाद इसकी पत्तियां मृत और मुरझाई हुई दिखाई देती हैं, लेकिन इस किस्म में उप-1 जीन की उपस्थिति के कारण, धान की खेती की यह किस्म बाढ़ संभावित और निचले क्षेत्रों के लिए उपयोगी है. इस किस्म को आंध्र प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया था.

ये भी पढ़ें: Top 5 Paddy Variety: धान की उन्नत खेती के लिए करें इन किस्मों का इस्तेमाल, बढ़ेगी पैदावार, होगा मुनाफा

क्या है इसकी खासियत

स्वर्णा सब 1 किस्म अर्ध-बौनी किस्म है और सीधे बोने पर 140 दिनों में पक जाती है. वहीं जब इस किस्म को लगाया जाता है तो यह 145 दिन में पक जाती है. इसका दाना मध्यम पतला होता है. इससे 66.5 प्रतिशत अविभाजित चावल यानि हेड चावल प्राप्त होता है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में धान की स्वर्णा सब-1 किस्म औसतन 1 से 2 टन प्रति हेक्टेयर अधिक मुनाफा देती है.

बुवाई से पहले करें बीजोपचार

बुवाई से पहले किसान बीजों को फफूंदनाशी कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बेन्डाजिम + मैन्कोजेब 3 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन + थीरम 3 ग्राम/किलो बीज से उपचारित करें.

कब करें धान की बुवाई

बारिश शुरू होते ही धान की बुआई शुरू कर देनी चाहिए. बुआई के लिए सबसे उपयुक्त समय मध्य जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक है.

बुवाई की विधियां

बीज की निर्धारित मात्रा को अच्छी तरह से तैयार खेत में 20 सेमी की गहराई पर हल या सीड ड्रिल द्वारा बोया जाता है. सामान्य तौर पर 2-3 सप्ताह के पौध रोपाई के लिये उपयुक्त होते हैं और एक जगह पर 2-3 पौध लगाना पर्याप्त होता है रोपाई में देरी होने पर एक जगह पर 4-5 पौधे लगाना उचित होगा.