कम आपूर्ति के कारण प्याज की कीमतें कम से कम एक महीने तक ऊंची रहने की आशंका है. वहीं, अगले 2-3 सप्ताह के दौरान प्याज का निर्यात में गिरावट आने की उम्मीद जताई जा रही है. प्याज की घरेलू कीमतों की अगली चाल नवंबर और दिसंबर में नई फसल की आवक और उनके निर्यात पर निर्भर करेगी. बता दें कि केंद्र सरकार ने बीते सप्ताह प्याज निर्यात कम करने के लिए निर्यात शुल्क हटाकर न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) लागू किया है.
करीब एक पखवाड़े के भीतर थोक कीमतों में 60% उछाल के बाद केंद्र ने प्याज निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) लगाया है. एमईपी का उद्देश्य प्याज के निर्यात में कटौती करना था, जो अगस्त में सरकार द्वारा 40% निर्यात शुल्क लगाने के बाद भी मजबूत बना हुआ था. ऐसा कहा गया है कि निर्यात शुल्क प्याज के निर्यात को रोकने में विफल रहा क्योंकि कई व्यापारियों ने कम शुल्क का भुगतान करने के लिए कम चालान का सहारा लिया था.
ET की रिपोर्ट के अनुसार अगले 2-3 सप्ताह के दौरान प्याज का निर्यात स्थिर रहने या मामूली गिरावट की संभावना है. पुराने स्टॉक से अच्छी गुणवत्ता वाले प्याज की घटती उपलब्धता और अफगानिस्तान और पाकिस्तान से अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज की बढ़ती उपलब्धता अगले 2-3 सप्ताह के लिए निर्यात मात्रा पर रोक लगाएगी. हालांकि, दिवाली के बाद खरीफ फसल का नया प्याज बाजार में आना शुरू होने पर निर्यात में तेजी की उम्मीद है. निर्यात शुल्क के अभाव में निर्यात के लिए कोई नीतिगत बाधा नहीं होगी.
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एमईपी लागू होने के बाद थोक कीमतों में 5% से 6% की गिरावट आई है.लेकिन, बाजार अधिकारियों को कीमतों में किसी बड़ी कमी की उम्मीद नहीं है. चूंकि महाराष्ट्र में कई थोक बाजार खासकर नासिक जिले के बाजारों में दिवाली के मौके पर बंदी रहने वाली है. दिवाली के बाद बाजार फिर से खुलने के बाद कीमतों में थोड़ी तेजी होने की आशंका है. घरेलू कीमतों की अगली चाल नवंबर और दिसंबर में नई फसल की आवक और उनके निर्यात पर निर्भर करेगी.
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