नीति आयोग की सलाह, UP जैसे राज्यों में किसानों की इनकम हो सकती है दोगुनी, बस MSP पर करना होगा ये काम

नीति आयोग की सलाह, UP जैसे राज्यों में किसानों की इनकम हो सकती है दोगुनी, बस MSP पर करना होगा ये काम

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि कृषि निवेश में सरकार का योगदान लगभग 16 से 17 प्रतिशत है, जिसमें अधिकांश निवेश किसानों द्वारा स्वयं किया जाता है. उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कॉरपोरेट सेक्टर ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को केवल एक बाजार के रूप में माना है.

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नीति आयोग की सलाह, UP जैसे राज्यों में किसानों की इनकम हो सकती है दोगुनी, MSP पर करें ये कामकिसानों की इनकम में कैसे होगी बढ़ोतरी. (सांकेतिक फोटो)

उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के किसानों की आमदनी दोगुनी की जा सकती है. इसके लिए नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने राज्य सरकारों को न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने की सलाह दी है. उन्होंने राष्ट्रीय किसान दिवस पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में कुछ ऐसे राज्य भी हैं,  जहां किसानों को उनकी फसलों के लिए एमएसपी सुनिश्चित करके उनकी आय सीधे दोगुनी की जा सकती है. उनकी माने तो उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में एमएसपी के माध्यम से किसानों की आमदनी दोगुनी करने की प्रयाप्त संभावनाएं हैं.

रमेश चंद के अनुसार, दूसरी ओर पंजाब जैसे कुछ ऐसे भी राज्य हैं जो संतृप्ति बिंदु पर पहुंच गए हैं. यानी इन राज्यों के किसान पहले के मुकाबले ज्यादा कमाई कर रहे हैं. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि गुणवत्ता और स्वास्थ्य केंद्रित खाद्य उत्पादों पर ध्यान देकर किसानों की इनकम बढ़ाई जा सकती है. उन्होंने कृषक समुदाय से राज्यों पर दबाव बनाने के साथ-साथ अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में नीतियां लागू करने की अपील की.

6 से 7 प्रतिशत की कृषि बढ़ोतरी हुई है

उन्होंने कहा कि हमें अपनी कृषि नीति को वर्तमान परिवेश के अनुरूप आगे बढ़ाने की जरूरत है. 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए देश की प्रति व्यक्ति आय 6 से 7 गुना बढ़नी होगी. उन्होंने कहा कि  भारत को दुनिया में अग्रणी देश बनाने में कृषि क्षेत्र की प्रमुख भूमिका है. रमेश चंद की माने तो भारतीय अर्थव्यवस्था के समावेशी विस्तार को सुनिश्चित करने के लिए कृषि में भी कम से कम 4 से 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जरूरत है. चंद ने कहा कि आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्यों ने 6 से 7 प्रतिशत की कृषि ग्रोथ हुई है, जो मैन्युफैक्चरिंग से भी बेहतर है. उसी विकास पथ को देश के बाकी हिस्सों में भी दोहराया जा सकता है. 

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जाति या धर्म के आधार पर न बंटें

उन्होंने यह भी कहा कि कृषि निवेश में सरकार का योगदान लगभग 16 से 17 प्रतिशत है, जिसमें अधिकांश निवेश किसानों द्वारा स्वयं किया जाता है. उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कॉरपोरेट सेक्टर ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को केवल एक बाजार के रूप में माना है. वहीं, एमएसपी की कानूनी गारंटी पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता वीएम सिंह ने अगले पांच वर्षों के लिए अपनी इच्छा रखते हुए कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों को एमएसपी मिले, जो सी2 (व्यापक) पर 50 प्रतिशत लाभ पर आधारित होना चाहिए. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे जाति या धर्म के आधार पर न बंटें.

सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है

दरअसल, C2 लागत उत्पादन की A2+FL लागत और स्वामित्व वाली भूमि का अनुमानित किराये का मूल्य और निश्चित पूंजी पर ब्याज है, जबकि A2+FL सभी भुगतान की गई लागत और पारिवारिक श्रम का अनुमानित मूल्य है. वहीं, भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने कहा कि किसान नेताओं को सी2 लागत + 50 प्रतिशत लाभ की मांग से आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि पंजाब के किसानों को धान और गेहूं के लिए पहले से ही कीमतें मिल रही हैं. सरकार उनकी पूरी उपज खरीद रही है और फिर भी प्रदेश में सबसे ज्यादा किसान विरोध/आंदोलन हो रहा है.

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