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Neem Farming: कम उपजाऊ और खराब जमीन में नीम की खेती से लाखों कमाएं, ये है नई तकनीक

Neem Farming: कम उपजाऊ और खराब जमीन में नीम की खेती से लाखों कमाएं, ये है नई तकनीक

Neemnama: आज नीम को भारत के सर्वाधिक संभावनाओं वाले वृक्ष के रूप में पहचाना जा रहा है, जिसे सबसे शुष्क, कम उपजाऊ और पथरीली जमीन से भी उगा सकते हैं. वर्षा आधारित क्षेत्रों में और पोषक तत्वों की कमी वाली मिट्टी में भी नीम की खेती लाभकारी हो सकती है.

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नमी की खेती से लाभ नमी की खेती से लाभ

Neem Nama: नीम के बीजों और पत्तियों की मांग आजकल विभिन्न उद्योगों में है. आज इससे कई व्यावसायिक उत्पाद बनाए जा रहे हैं जिससे इसकी डिमांड बढ़ रही है. वैज्ञानिकों के अनुसार, पांच साल के बाद एक नीम का पौधा 1000 से 1500 रुपये की आमदनी दे सकता है. अगर हर खेत में 3 से 4 नीम के पेड़ हों, तो फसलों में हानिकारक कीटों और बीमारियों का प्रकोप कम होता है. नीम को भारत में सर्वाधिक संभावनाओं वाले पेड़ के रूप में माना जा रहा है. नीम का पौधा जलवायु और उच्च ठंडे क्षेत्रों के अलावा हर जगह उग सकता है.

नीम ग्रामीण क्षेत्रों की अधिकतम जरूरतों को पूरा करता रहा है. नीम का उपयोग ईंधन, चारा, तेल, उर्वरक और सामान्य दातुन के लिए किया जाता रहा है और इसके बीज, पत्तियां और लकड़ी उपयोगी होते हैं. इसे कम उपजाऊ, पथरीली जमीन, उबड़ खाबड़, टील और मेड़ों पर उगा सकते हैं. नीम को वर्षा-आधारित क्षेत्र और पोषक तत्वों की कमी वाली मिट्टी में भी उगाया जा सकता है और इससे पर्यावरण को भी फायदा होता है. किसान अब नीम के पौधे लगाकर अपनी बेकार जमीन या मेड़ों पर आय का जरिया बना सकते हैं. आज के नीमनामा सीरीज मे जानेंगे नीम की खेती के तरीके.

नीम की खेती का बेहतर तरीका 

नीम की खेती के लिए सबसे अहम है इसके अच्छे पौधे तैयार किए जाएं. पौधे बीज से या कटिंग से तैयार किए जाते हैं. लेकिन बेहतर है कि इसे बीज से तैयार किया जाए. इसमे आसानी होती है. नर्सरी तैयार करने के लिए ताजा बीजों का उपयोग किया जाना चाहिए. कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान, झांसी के निदेशक डॉ. ए. अरुणाचलम के अनुसार देश में 275 तरह के नीम के पौधे हैं, जिनमें से 175 तरह की अच्छी क्वालिटी के नीम के पौधे हैं. संस्थान उनका जलवायु क्षेत्र के अनुसार ग्रेडिंग कर रहा है. कृषि, स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए नीम लाभकारी है. नर्सरी तैयार करने के लिए ताजे बीज को 24 घंटे के लिए ठंडे पानी में भिगोना चाहिए और उसकी ऊपरी सतह को हटाना चाहिए, जिससे पौधे की अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है. 

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पौधे उन्नत तकनीकों से तैयार करें

नीम के बीज बोने के लिए बारीक बालू के नर्सरी बेड तैयार किए जाते हैं, जिनमें 15 सेंटीमीटर उंची क्यारी बनाई जाती है और 2.5 सेंटीमीटर की गहराई पर बीज बोए जाते हैं. बीज बोने के बाद, मिट्टी से हल्का-फुल्का ढक देना चाहिए, ताकि पक्षियों और कीड़े बीजों को खा न जाएं. नीम का अंकुरण लगभग एक से दो सप्ताह में हो जाता है. इसके बाद, पौधे को 16 x 20 सेंटीमीटर के पॉली बैग में रखा जाता है, जिसमें 50 फीसदी बलुई दोमट, 40 फीसदी नदी की रेत और 10 फीसदी वर्मी कम्पोस्ट या कम्पोस्ट का मिश्रण होना चाहिए. एक पॉली बैग में 5 से 6 ग्राम एज़ोस्पिरिलम और फॉस्फोबैक्टीरिया को अच्छी तरह से मिलाना चाहिए. 

नीम की रोपाई में इन बातों का रखें ध्यान

नीम की रोपाई करने के लिए छह महीने पुराने पौधों का चयन करना अधिक उत्तम होता है. इसके लिए शुष्क क्षेत्रों में बड़े पौधे लगाना चाहिए. पौधे की लंबाई कम से कम 45 सेमी होनी चाहिए, क्योंकि छोटे पौधे सूख जाते हैं और गर्मी में सूख जाते हैं. नीम की रोपाई के लिए गड्ढे का आकार 1 x 1 x 1 मीटर का होना चाहिए और इसे मेंड़, सड़क, उबड़ खाबड़, टीलों और खाइयों में समतल खेतों में लगाया जा सकता है. सामान्यतः पौधे के बीच की दूरी जगह और किस्मों के अनुसार 3 मीटर से लेकर 10 मीटर तक रख सकते हैं. नीम की रोपाई सामान्यतः बारिश ऋतु में की जाती है और मैदानी क्षेत्रों में 30 सेंटीमीटर ऊंचे पौधे और शुष्क क्षेत्रों में 45 सेंटीमीटर ऊंचे पौधे की रोपाई करना अधिक बेहतर माना जाता है.

नीम के विकास के लिए खाद और उर्वरक

नीम के बेहतर विकास के लिए दो साल तक खाद और उर्वरक का प्रयोग किया जाना चाहिए. पहले साल में प्रति पौधे लगभग 5-10 ग्राम यूरिया, सुपर फॉस्फेट और पोटाश दिया जाना चाहिए. दूसरे वर्ष में 10 ग्राम सुपर फॉस्फेट दिया जाना चाहिए. खाद के मिक्सर में कीटनाशक भी मिलाया जाना चाहिए और 200 ग्राम प्रति पौधा देना चाहिए. दूसरे साल पौधों को हानिकारक कीटों से सुरक्षा मिल सके, उसके लिए नीम के पौधों को 0.25% मेलेथियन या 0.02% डेमोक्रोन के साथ छिड़काव किया जाना चाहिए. निराई गुड़ाई के बाद सिंचाई की जानी चाहिए.

नीम की खेती से बढ़िया कमाई का रास्ता

कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान, झांसी के अनुसार नीम के पौधे का पांचवें वर्ष से प्रति पेड़ 5-10 किलोग्राम बीज उत्पादन होता है और दसवें वर्ष के बाद यह उपज बढ़कर 10-15 किलोग्राम प्रति पेड़ हो जाता है. पूर्ण विकसित पेड़ प्रति वर्ष 30-100 किलोग्राम फल उत्पन्न करता है. नीम बीज की बिक्री कीमत प्रति किलो 10 रुपये से लेकर 20 रुपये किलो तक होती है. 10 साल के पेड़ से 5-6 फीट का लकड़ी का उत्पादन किया जा सकता है. नीम की पत्तियों का पाउडर बनाकर बेचा जा सकता है.

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आजकल ऑनलाइन में 100 ग्राम और 150 ग्राम के पैकेट 150 रुपये में मिलते हैं. यानी एक किलो पाउडर की कीमत 1000 से 1500 रुपये तक हो सकती है. अब आप इससे मुनाफा की गणना कर सकते हैं. नीम पाउडर की बिक्री से लाखों की कमाई हो सकती है. इसके आलावा नीम के पाउडर बनाने और तेल निकालने के लिए 2 से लेकर 5 लाख तक की मशीनें आ रही हैं. इसको लगा कर खुद का ब्रांड बनाकर लाखों की कमाई कर सकते हैं. नीम की खेती के लिए जिला वन विभाग, कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान, झांसी में संपर्क कर सकते हैं.