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पालक की ऑफ सीजन खेती कैसे करते हैं? साल भर कमाई का बना सकते हैं साधन

पालक की ऑफ सीजन खेती कैसे करते हैं? साल भर कमाई का बना सकते हैं साधन

सब्जियों के सामान्य मौसम के बाद या उससे पहले ताजी सब्जी का उत्पादन ऑफ सीजन उत्पादन कहा जाता है. दरअसल किसान अब कई सब्जियों और फलों को उगाने लगे हैं जो ऑफ सीजन में उत्पादन देते हैं. इसमें पालक भी शामिल है. ऑफ सीजन में किसानों को अच्छी कमाई होती है.

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पालक की ऑफ सीजन खेती पालक की ऑफ सीजन खेती

भारतीय खान-पान में हरी सब्जियों का अपना एक अलग ही महत्व है. ऐसे में हरी सब्जियों में पालक की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है. पालक की खेती सर्दी और गर्मी दोनों ही मौसम में की जाती है. लेकिन अधिकतर किसान इसकी खेती सर्दी के समय में करते हैं. वहीं सर्दियों में बाज़ार में इसकी डिमांड भी बढ़ जाती है. ये आयरन से भरपूर एक ऐसी सब्जी है, जिसे कई तरीके से खाया जाता है. इसे आलू के साथ मिलाकर सब्जी बनाई जाती है. वहीं इसे कच्चे सलाद के रूप में भी खाया जाता है. इसके अलावा पालक की कढ़ी, जूस और सूप भी बनाया जाता है.

वैसे तो पालक की खेती ज्यादातर फरवरी-मार्च और नवंबर-दिसंबर में की जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पालक की ऑफ सीजन खेती कैसे करते हैं? साथ ही पालक की ऑफ सीजन खेती करके साल भर अच्छी कमाई की जा सकती है. आइए जानते हैं कैसे?.

ऑफ सीजन खेती से कमाई

सब्जियों के सामान्य मौसम के बाद या उससे पहले ताजी सब्जी का उत्पादन ऑफ सीजन उत्पादन कहा जाता है. दरअसल किसान अब कई सब्जियों और फलों को उगाने लगे हैं जो ऑफ सीजन में उत्पादन देते हैं. इसमें पालक भी शामिल है जिसकी आप ऑफ सीजन खेती कर सकते हैं क्योंकि पालक एक ऐसी सब्जी है जिसकी डिमांड पूरे साल बाजारों में बनी रहती है. इसी डिमांड की वजह से किसानों की अच्छी कमाई होती है.

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ऑफ सीजन कैसे करें खेती

पालक की ऑफ सीजन खेती करने के लिए थोड़ा अधिक पोषक तत्वों से साथ अधिक बीज की जरूरत होती है. पालक की ऑफ सीजन खेती से किसान सब्जी उत्पादन की बेहतर तकनीक भी सीख सकते हैं. इसके साथ ही किसान सब्जी उत्पादन को अपना मुख्य पेशा बना सकते हैं. ऑफ सीजन में पालक की खेती करने के लिए किसानों को थोड़ी अधिक खाद और अधिक पानी की जरूरत होती है. साथ ही इसकी खेती किसान पॉलीहाउस में भी कर सकते हैं.

कैसे करें खेत की तैयारी

पालक की बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बना लें. इसके लिए हैरो या कल्टीवेटर से 2 से 3 बार जुताई कर लेनी चाहिए. अच्छी उपज पाने के लिए खेत में पाटा लगाने से पहले 20 से 30 टन सड़ी हुई गोबर का छिड़काव करना चाहिए. साथ ही एक क्विंटल नीम की खली या पत्तियों से तैयार हुई खाद को मिट्टी में मिला देना चाहिए. इसके बाद खेत में पालक की बुवाई करनी चाहिए.