Mustard Farming: किसानों के लिए फायदे का सौदा है सरसों की खेती, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

Mustard Farming: किसानों के लिए फायदे का सौदा है सरसों की खेती, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

किसान सरसों की वैज्ञानिक तरीके से खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसकी खेती का उचित समय सितंबर से अक्टूबर महीने का माना जाता है. यहां जानिए इसकी खेती के लिए कैसी होनी चाहिए मिट्टी और कौन सी है सबसे बेहतर किस्म.

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Mustard Farming: किसानों के लिए फायदे का सौदा है सरसों की खेती, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिएजानिए सरसों की खेती के बारे में

राई की फसल तिलहन की प्रमुख फसल है. राई का हम दो तरीके से उपयोग कर सकते हैं. राई की फसल से निकलने वाले खाद्य तेल को भोजन बनाने के लिए उपयोग में लिया जाता है. राई की खली को जानवरों के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. राई की फसल तेलीय फसल के लिए की जाती है. तेलहनी फसलों में तोरिया, सरसों और राई को प्रमुख स्थान प्राप्त है. राई का तेल लगभग सभी घरों में उपयोग किया जाता है, जिस वजह से इसका रेट भी काफी अधिक मिलता है. बाजार में इसकी हमेशा मांग बनी रहती है. इसे ध्यान में रखते हुए किसान अगर वैज्ञानिक तरीका अपनाकर खेती करें तो अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं. 

राई की खेती राजस्थान, मध्यप्रदेश, यूपी, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, असम, झारखं, बिहार और पंजाब में की जाती है. सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक माना जाता हैं  खरीफ सीजन चालू है. ऐसे में किसान सही तरीके से इसकी खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं.

कैसे करें खेत की तैयारी

राई की खेती करने के लिए सबसे पहले एक समतल भूमि वाले खेत को तैयार कर लेना है. खेत के अंदर सामान्य हल से दो या तीन बार अच्छी तरह से जुताई कर देनी है. अगर सामान्य हल से जुताई नहीं कर पा रहे हैं तो खेत के अंदर कल्टीवेटर के द्वारा दो से तीन बार जुताई कर देनी है. प्रत्येक जुताई के बाद सुहागा फेर देना है. जुताई पूर्ण हो जाने के बाद कुछ दिनों बाद राई की फसल की बुवाई कर देनी है. 

राई की उन्नत किस्में 

पूसा बोल्ड 

इस क़िस्म को तैयार होने में 120-140 दिन का समय लग जाता है. इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 18-20 क्विंटल है जिससे 42 परसेंट तक तेल की मात्रा मिल जाती है.

क्रांति 

राई की यह किस्म प्रति हेक्टेयर 20 से 22 क्विंटल का उत्पादन दे देती है और फसल को तैयार होने में 125 से 130 दिन लग जाते हैं. इस क़िस्म से 40 परसेंट तक तेल मिल जाता है.

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राजेंद्र राई पिछेती 

इस किस्म को तैयार होने में 105 से 115 दिन का समय लग जाता है, जिसका उत्पादन 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है. इससे 41 परसेंट तेल की मात्रा मिल जाती है.

मौसम और जलवायु

राई की खेती करने के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है. राई की फसल रबी की फसल है. इसलिए यह शीत ऋतु में ही की जाती हैं. राई की खेती के लिए दोमट मिट्टी और कछारी मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है.

राई की कटाई और पैदावार 

राई की उन्नत किस्में 100 से 120 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं. इस दौरान जब इसकी फलिया 75% तक पीली-भूरी दिखाई देने लगे तब कटनी कर लें. राई के एक हेक्टेयर के खेत से 16 से 22 क्विंटल का उत्पादन मिल जाता है और दानों से 40 से 42 प्रतिशत तेल की मात्रा मिल जाती है. राई के तेल का बाज़ार भाव काफी अच्छा होता है और खली के भी अच्छे दाम मिल जाते हैं, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिल जाता है.

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