इस साल सरसों उत्‍पादन में होगी बड़ी गिरावट! जानिए क्‍या कहते हैं SEA के सर्वे के आंकड़े

इस साल सरसों उत्‍पादन में होगी बड़ी गिरावट! जानिए क्‍या कहते हैं SEA के सर्वे के आंकड़े

सरकार की ओर से रबी सीजन 2024-25 के लिए बुवाई और उत्‍पादन से जुड़े अनुमान‍ित आंकड़े जारी किए जा चुके है. इसमें सरसों फसल का रकबा 89.30 लाख हेक्टेयर और 128.73 लाख टन उत्‍पादन रहने का अनुमान है. अब SEA ने अपने आंकड़े जारी किए है, जिसमें उत्‍पादन को लेकर बड़ी गिरावट का अनुमान लगाया गया है.

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इस साल सरसों उत्‍पादन में होगी बड़ी गिरावट! जानिए क्‍या कहते हैं SEA के सर्वे के आंकड़े सरसों की फसल. (सांकेतिक तस्‍वीर)

केंद्र सरकार ने इस साल 89.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की बुवाई और 128.73 लाख टन उत्‍पादन का अनुमान लागाया है. लेकिन, अब सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने रबी 2024-25 सीजन के लिए रेपसीड-सरसों के रकबे और उत्पादन को लेकर अपने खुद के अनुमान जारी किए है. SEA ने क्षेत्र सर्वेक्षण और सैटश्योर के साथ मिलकर सैटेलाइट के माध्‍यम से लगाए जाने वाले पूर्वानुमान विश्लेषण के आधार पर, सरसों का कुल रकबा 92.5 लाख हैक्टेयर होने का अनुमान है लगाया है, जबकि SEA के मुताबिक, 115.2 लाख टन उत्पादन रहने का अनुमान है.  

पिछले साल से कम ही रहेगा उत्‍पादन

उक्‍त आंकड़ों में रकबा तो सरकारी आंकड़ों के मुकाबले मामूली रूप से ज्‍यादा है, लेकिन उत्‍पादन को लेकर SEA ने बड़ी गिरावट दिखाई है. हालांकि, SEA का अनुमानि‍त सरसों फसल रकबा, पिछले साल सरकार की ओर से जारी किए गए 91.8 लाख हेक्टेयर रकबे से कम है, जो 2.5 प्रतिशत की गिरावट दिखाता है. SEA के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत की खाद्य तेल को लेकर दूसरे देशों पर निर्भरता बढ़ी है. यही वजह है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक बनकर उभरा है. इस वजह से देश के खजाने पर तो बुरा असर पड़ ही रहा है, साथ ही किसानों की आय पर भी गंभीर दबाव पड़ा है. 

सरसों की कीमतें कम होने की संभावना

संजीव अस्‍थाना ने कहा कि एक जिम्मेदार और शीर्ष उद्योग निकाय के रूप में एसईए ने तिलहन की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई पहलों की शुरुआत की है. इसी क्रम में एक इनिशिटिव, 'मॉडल मस्टर्ड फार्म प्रोजेक्ट' वर्ष 2020-21 से चलाया जा रहा है, जिसका उद्येश्‍य वर्ष 2029-30 तक भारत के रेपसीड-सरसों के उत्पादन को 200 लाख टन तक बढ़ाना है.

वहीं, इस दौरान SEA के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. बी.वी. मेहता ने कह कि सरसों के लिए मौजूदा एमएसपी 5950 रुपये प्रति क्विंटल है. सरसों की कीमत पहले ही एसएसपी को छू चुकी है और आवक के दबाव के साथ इसके नीचे जाने की संभावना है. सरकार को किसानों की सुरक्षा के लिए एमएसपी पर खरीद के लिए नैफेड और अन्य एजेंसियों को तैयार करना चाहिए.

सर्वे में इन तकनीकों और चीजों को किया गया शामिल

सैटस्योर के कुमारजीत मौमदार ने बताया कि SEA ने फसल क्षेत्र के आकलन में उच्चतम स्तर की सटीकता के लिए दो दौर के व्यापक फसल सर्वेक्षण, रिमोट सेंसिंग विश्लेषण के माध्यम से सर्वेक्षण के लिए सैटस्योर एनाल्यूटिक्स इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड को शामिल किया है. उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण में बुवाई से लेकर कटाई तक किसानों के साथ लगातार बातचीत भी शामिल थी, ताकि सभी कृषि पद्धतियों के प्रभाव को सुनिश्चित किया जासके, इनपुट का चयन किया जा सके और अंतिम अनुमान पर पहुंचने के लिए मौसम पर विचार किया जा सके.

कुल आठ राज्यों जैसे असम, गुजरात, हरियाणा, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का सर्वेक्षण किया गया. आठ प्रमुख राज्यों के प्राथमिक सर्वेक्षण और शेष राज्यों के द्व‍ितीयक सर्वेक्षण के आधार पर, वर्ष 2024-25 के लिए भारत का रेपसीड-सरसों का रकबा 92.5 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है.

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