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गाजियाबाद में पूरे देश से हो रही आमों की सप्लाई, अल्फांसो सहित इन किस्मों की है सबसे अधिक डिमांड

गाजियाबाद में पूरे देश से हो रही आमों की सप्लाई, अल्फांसो सहित इन किस्मों की है सबसे अधिक डिमांड

साहिबाबाद मंडी के व्यापारियों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में 70 वाहनों में करीब 250 टन आम मंडियों में पहुंचा है. मंडी के कुछ व्यापारियों ने बताया कि गर्मी के कारण बिक्री प्रभावित हुई है, क्योंकि खुदरा विक्रेता और ग्राहक खरीदारी करने से कतराने लगे हैं.

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आम की कीमतों में कब शुरू होगी गिरावट. (सांकेतिक फोटो) आम की कीमतों में कब शुरू होगी गिरावट. (सांकेतिक फोटो)

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में देशभर से आमों की सप्लाई हो रही है. यहां के लोग लंगड़ा, अल्फांसो, हिमायत, बेनिशान और रसाल का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं. वहीं, व्यापारियों का कहना है कि जैसे-जैसे मौसम आगे बढ़ेगा, बाजारों में और भी किस्में आने की उम्मीद है. गाजियाबाद की साहिबाबाद मंडी के व्यापारियों ने बताया कि मुंबई से मंगाए जाने वाले अल्फांसो की मांग बहुत हो रही है. इस आम को लोग हापुस के नाम से भी जानते हैं. इसके अलावा तेलंगाना के सफेदा की बहुत अधिक डिमांड है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, साहिबाबाद मंडी में आम बेचने वाले महेंद्र ने बताया कि हम मलीहाबाद से दशहरी लाते हैं, जिसे आम के बागों के रूप में भी जाना जाता है. जून तक हमें दक्षिण और पश्चिम के राज्यों से आम मिलेंगे, लेकिन सिर्फ 15 दिनों में हमें मेरठ, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर से आम मिलने लगेंगे. फिर, हमें यूपी के कई अन्य इलाकों से भी आम मिलेंगे. इससे आमों की कीमत में गिरावट आएगी. 

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200 रुपये किलो है कीमत

व्यापारियों ने बताया कि लखनऊ से चार किस्म के आम मंडियों में आते हैं, जिसमें दशहरी, चौसा, लंगड़ा और सफेदा है. इसके अलावा अहमदाबाद के केसर व रत्नागिरी की भी डिमांड बहुत है. नोएडा सेक्टर 12 के फल विक्रेता अनिल यादव ने बताया कि हम केसर 200 रुपये किलो और सफेदा 100 रुपये किलो बेचते हैं. इसलिए ग्राहक बड़ी संख्या में आ रहे हैं. हर दिन मेरे सारे आम बिक जाते हैं. लोग सबसे ज्यादा केसर खरीद रहे हैं, जो गुजरात से आता है.

क्या कहते हैं व्यापारी

साहिबाबाद मंडी के व्यापारियों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में 70 वाहनों में करीब 250 टन आम मंडियों में पहुंचा है. मंडी के कुछ व्यापारियों ने बताया कि गर्मी के कारण बिक्री प्रभावित हुई है, क्योंकि खुदरा विक्रेता और ग्राहक खरीदारी करने से कतराने लगे हैं. पिछले साल की तुलना में किफायती दरों पर अलग-अलग किस्म के आम उपलब्ध कराने के बावजूद ग्राहकों की आमद कम हुई है. इनमें से ज़्यादातर 100 रुपये प्रति किलो से कम कीमत के हैं. हमें उम्मीद है कि जून तक ग्राहकों की संख्या बढ़ेगी. सेक्टर 42 के एक फल विक्रेता नरेश यादव ने कहा कि नोएडा और गाजियाबाद के कई निवासियों ने आमों की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की है.

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