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मोटे अनाजों में मक्का और बाजरे ने मारी बाजी, इन तीन राज्यों में सबसे अधिक बढ़ा रकबा

मोटे अनाजों में मक्का और बाजरे ने मारी बाजी, इन तीन राज्यों में सबसे अधिक बढ़ा रकबा

मक्का और बाजरे के अलावा कपास और गन्ने की खेती में तेजी देखी जा रही है. गन्ना मिलें किसानों को समय पर बकाये का भुगतान कर रही हैं इससे किसानों में खेती को लेकर प्रोत्साहन है. कपास की जहां तक बात है तो इस बार एमएसपी से अधिक रेट मिलने की वजह से किसान अधिक से अधिक कपास उगाना चाह रहे हैं.

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इस साल मक्के की खेती में तेजी देखी जा रही है इस साल मक्के की खेती में तेजी देखी जा रही है

कृषि मंत्रालय ने खरीफ सीजन की बुआई का आंकड़ा जारी कर दिया है. इसमें अलग-अलग फसलों के रकबे की जानकारी दी गई है. आंकड़े के मुताबिक, खरीफ सीजन में मोटे अनाजों (श्री अन्न) की खेती में मक्का और बाजरे ने बाजी मारी है. अभी तक की बुआई का रिकॉर्ड बताता है कि मोटे अनाजों का रकबा सबसे अधिक है. पिछले साल देश में 1.3 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाजों की बुआई की गई थी. इस बार यह रकबा बढ़कर 1.5 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. जहां तक राज्यों की बात है तो मक्का और बाजरे की खेती में पहले नंबर पर जम्मू-कश्मीर, दूसरे पर उत्तर प्रदेश और तीसरे स्थान पर कर्नाटक है.

सरकारी आंकड़े के मुताबिक, पिछले साल की इसी अवधि के दौरान 1.30 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष लगभग 1.54 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मोटे अनाज की बुआई दर्ज की गई है. अगर अलग-अलग राज्यों में रकबे की बात करें तो जम्मू-कश्मीर (0.75 लाख हेक्टेयर), उत्तर प्रदेश (0.53 लाख हेक्टेयर), कर्नाटक (0.23 लाख हेक्टेयर), हरियाणा (0.03 लाख हेक्टेयर) और पंजाब में 0.01 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाजों की खेती हुई हुई है. यह रकबा और भी बढ़ सकता है क्योंकि अभी कई जगह बुआई चल रही है.

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गन्ना-कपास का रकबा बढ़ा

इस बार गन्ना और कपास का रकबा बढ़ने का भी अनुमान है. गन्ने की खेती अधिक होने के पीछे वजह ये बताई जा रही है कि गन्ना मिलें किसानों को बकाया समय पर चुकता कर रही हैं. इससे किसान गन्ने की खेती के लिए अधिक प्रोत्साहित हो रहे हैं. अभी तक 46.98 लाख हेक्टेयर में गन्ने की बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल इसी अवधि में 46.67 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी. गन्ने के रकबे में पहले नंबर पर उत्तर प्रदेश और दूसरे पर महाराष्ट्र है. इन्हीं दोनों राज्यों में पूरे देश की तीन-चौथाई खेती हुई है.

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गन्ने की तरह कपास की खेती में भी तेजी देखी जा रही है. कपास की बुआई इसलिए अधिक हो रही है क्योंकि किसानों को इसका दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक मिल रहा है. हालांकि पिछले साल की तुलना में इस बार किसानों को फायदा नहीं है. लेकिन दाम समर्थन मूल्य से अधिक है जिससे किसानों में कमाई को लेकर उम्मीद बनी हुई है. पिछले साल महाराष्ट्र में कपास का दाम 12,000 रुपये से कहीं कहीं 16,000 रुपये प्रति क्विंटल तक चला गया था. इसी उम्मीद में किसानों ने कई जगह अपना स्टॉक रोक कर रखा है.

इसलिए बढ़ी कपास की खेती

बढ़े दाम के चलते इस बार किसान कपास की खेती अधिक कर रहे हैं. पिछले साल 10.78 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हुई थी जो इस बार बढ़कर 13.43 लाख हेक्टेयर हो गई है. इसमें से 12.5 लाख हेक्टेयर में कपास हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में कपास की खेती की गई है. पिछले साल के मुकाबले कम दाम मिलने के बावजूद इसका कपास का रेट एमएसपी से अधिक चल रहा है. इस वजह से किसान इसकी अधिक से अधिक खेती कर कमाई करना चाहते हैं. यही वजह है कि कपास का रकबा बढ़ रहा है.