महाराष्ट्र के किसानों में खुशी की लहर है. कुछ इलाकों को छोड़ दें तो बाकी जगहों पर किसान खुश हैं. खुशी की वजह है महाराष्ट्र के 32 जलाशयों में 12 जलाशय पूरी तरह से फुल हैं. इससे रबी फसल के लिए सिंचाई की टेंशन दूर हो गई है. महाराष्ट्र के कई इलाके ऐसे हैं जहां सिंचाई के पानी की समस्या रहती है. लेकिन इस बार समस्या खत्म हो जाएगी क्योंकि जलाशयों से खेतों में सिंचाई का भरपूर पानी मिल सकेगा.
भरपूर पानी से रबी फसलों को फायदा होने के साथ कुछ खरीफ फसलों को भी लाभ होगा क्योंकि अभी कटाई में समय है. कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि अगले 10 दिन में बारिश रुक जाती है तो खरीफ फसलों को फायदा होगा. उससे अधिक दिन बारिश रहेगी तो फसल प्रभावित हो सकती है क्योंकि फिर कटाई का दौर शुरू हो जाएगा.
भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD ने बताया है कि महाराष्ट्र में 36 जिलों में 11 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है. यह आंकड़ा 23 सितंबर तक का है जो कि दक्षिण पश्चिम मॉनसून की बारिश का है. कहीं-कहीं बारिश इतनी अधिक हुई है कि फसलें डूब गई हैं. इस बार 30 जिलों में 28.3 लाख हेक्टेयर में फसलें लगी हैं. खरीफ सीजन में महाराष्ट्र में 144 लाख हेक्टेयर में खेती होती है. इस बार 136 लाख हेक्टेयर में खेती हुई है.
क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन लिमिटेड के सीईओ (सीड्स), सत्येंद्र सिंह ने कहा, “अगर बारिश जल्द थम जाती है, तो रबी फसलों की अच्छी संभावनाएं हैं. राज्य में किसान अब केला जैसे फलों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं.”
डीपक फर्टिलाइजर्स के नरेश देशमुख ने बताया कि नांदेड़ जिले में सोयाबीन, मक्का, कपास और दलहन की फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं.
सांगली के व्यापारी सुनील पाटिल ने कहा कि उड़द की फसल संकट में है, लेकिन हल्दी को फायदा होगा.
लासलगांव एपीएमसी की पूर्व अध्यक्ष सुवर्णा जगताप ने बताया कि प्याज की नर्सरी और फसलें जलभराव से प्रभावित हैं, लेकिन रबी प्याज का स्टॉक कीमतों को स्थिर रखेगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today