केंद्र सरकार द्वारा प्याज का एक्सपोर्ट बैन करने के खिलाफ महाराष्ट्र के किसानों में गुस्सा है. मार्च तक प्याज निर्यात नहीं होगा. सरकार के इस फैसले का राज्य में जगह-जगह विरोध हो रहा है. हालांकि, उन्हें इस बात की कोई उम्मीद नहीं है कि सरकार इस फैसले को वापस लेगी. लेकिन वो एक बात तय कर चुके हैं कि वे अब प्याज की खेती बंद कर देंगे. अब इसकी जगह किसी और फसल की खेती करेंगे. भारत के प्याज उत्पादन में महाराष्ट्र का योगदान लगभग 43 प्रतिशत है. कम दाम और सरकारी हस्तक्षेप से परेशान किसान अब वैकल्पिक फसलों की ओर देख रहे हैं. हालांकि किसानों ने ऐसा किया तो अगले साल प्याज की उपलब्धता पर गहरा प्रभाव पड़ेगा.
एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर महीने लगभग 13 लाख टन प्याज की खपत होती है, जो कि रसोई का सबसे महत्वपूर्ण सामान है. महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संगठन के अध्यक्ष भरत दिघोले का कहना है कि सरकार किसानों के लिए प्याज की खेती को अलाभकारी बना रही है. सरकार की अस्थिर नीतियों के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है और हो रहा है. किसान अब और नुकसान का बोझ उठाने के लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए इनकी खेती कम करने और छोड़ने का फैसला कर रहे हैं.
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सरकारी नीतियों के अलावा, मॉनसून की अनिश्चितता भी किसानों को प्याज से दूर जाने के लिए मजबूर कर रही है. मौसम के उतार-चढ़ाव से फसल की पैदावार प्रभावित होती है. पिछले तीन वर्षों में अनियमित बारिश ने ख़रीफ़ प्याज की फसल को नुकसान पहुंचाया है, जिससे उपज कम हुई और किसानों को नुकसान पहुंचा है. इस साल खरीफ सीजन में सूखे की वजह से फसल कम हुई है. जिससे किसानों को नुकसान झेलना पड़ा है. उससे पहले दो साल से किसानों को दाम नहीं मिला. वो एक या दो रुपये किलो के हिसाब से प्याज बेच रहे थे. लेकिन अब इस साल अगस्त में दाम बढ़ा तो सरकार ने उसे रोकने के लिए पूरा जोर लगा दिया.
वार्षिक प्याज आपूर्ति का लगभग 70 प्रतिशत रबी फसल से आता है, जिसकी कटाई मार्च और मई के बीच की जाती है. इसीलिए सरकार ने मार्च तक एक्सपोर्ट पर रोक लगाई है. बाकी की मात्रा खरीफ और देर से आने वाली खरीफ फसलों से आती है. जिनकी कटाई अक्टूबर और मार्च के बीच की जाती है, लेकिन खरीफ सीजन के प्याज को स्टोर नहीं किया जाता है. जून से सितंबर के दौरान, प्याज की कटाई नहीं होती है, और स्टोर किया हुआ प्याज की खाने के काम आता है. लेकिन इस साल रबी सीजन वाली प्याज की रोपाई के समय ही किसान कह रहे हैं कि वो खेती कम करेंगे या प्याज लगाएंगे ही नहीं. इससे सरकार की चिंता बढ़ी हुई है.
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