तमिलनाडु के मदुरै जिले के किसानों ने खेती योग्य क्षेत्रों में गिरावट के लिए जल संसाधन विभाग को दोषी ठहराया. किसानों का कहना है कि विभाग समय पर वैगई नदी से पानी छोड़ने में विफल रहा है. इसके चलते किसान समय पर धान की बुवाई नहीं कर पाए. खास बात यह है कि किसानों ने ये मुद्दा मदुरै में आयोजित एक कृषि शिकायत निवारण बैठक के दौरान उठाया है. इन किसानों का कहना है कि सिंचाई के अभाव में वे खेती नहीं कर पाए, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ है. ऐसे में सरकार को किसानों की मुआवजे के रूप में आर्थिक मदद करनी चाहिए.
द न्यू इंडिय एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक से पहले, कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस सीजन में मेलूर ब्लॉक में खेती में गिरावट आई है. पिछले वर्ष जहां खेती योग्य भूमि 14,567 हेक्टेयर थी, वहीं सिंचाई की समस्या के कारण इस वर्ष खेती योग्य भूमि 9,000 हेक्टेयर कम हो गई. किसानों ने कहा कि जहां बाजार में धान की कीमत 28 रुपये से ऊपर पहुंच गई है, वहीं कई किसानों ने इस साल खेती नहीं की है, क्योंकि सिंचाई के लिए पानी जारी करने में देरी हुई है.
किसान पलानीसामी ने लोक निर्माण विभाग और जल संसाधन विभाग से खेती के क्षेत्रों में गिरावट की जिम्मेदारी लेने और प्रभावित किसानों को मुआवजा प्रदान करने का आग्रह किया. वहीं, जवाब में, अधिकारियों ने कहा कि जल स्तर के आधार पर भले ही देरी हुई, फिर भी सभी किसानों को पानी जारी कर दिया गया. अधिकारी ने यह भी आश्वासन दिया कि अगले सीजन से बिना किसी देरी के मौसम के आधार पर पानी छोड़ा जाएगा.
कुलमंगलम के एक अन्य किसान, तिरुपति ने आरोप लगाया कि किसानों को प्रत्यक्ष खरीद केंद्रों (डीपीसी) पर श्रम लागत के रूप में 60 रुपये प्रति बैग का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे किसान बहुत प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसान 20 रुपये तक देने को तैयार हैं. तमिलनाडु सिविल स्टेट कॉरपोरेशन के क्षेत्रीय प्रबंधक ने कहा कि सरकारी आदेश के अनुसार, सरकार डीपीसी में श्रमिकों को प्रति बैग केवल 10 रुपये का भुगतान करेगी और किसानों से कहा कि अगर कोई पैसे की मांग करता है तो शिकायत दर्ज करें, जिसके बाद कार्रवाई की जाएगी.
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वहीं, फसल का मौसम शुरू होने के साथ, मदुरै में तीन डीपीसी खोले गए हैं और जल्द ही और भी जोड़े जाएंगे. किसानों ने अधिकारियों से मदुरै में किसानों की सहायता के लिए स्थायी डीपीसी स्थापित करने और उसिलामपट्टी में फूल बेचने के लिए एक विशेष केंद्र स्थापित करने का अनुरोध किया, क्योंकि उन्हें अपनी उपज को मदुरै केंद्रीय बाजार में लाने के लिए यात्रा लागत वहन करनी पड़ती है.
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