मणिपुर में कोना घास की खेती का दायरा अब तेजी से बढ़ रहा है. मणिपुर में महिला सहायता समूह की कमाई का एक बड़ा जरिया कोना घास बन रही है. इस की खेती से महिलाओं को की आमदनी बढ़ी है. वहीं दूसरी तरफ इससे बन रहे घरेलू उपयोग की टोकरी और तरह-तरह के सैकड़ों प्रोडक्ट कि देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब मांग है. कोना घास से बने हुए उत्पाद महिलाओं को एक अलग पहचान दिलाने में मदद कर रहे हैं. अकेले मणिपुर में 50,000 से ज्यादा महिलाएं इस घास के उत्पादन से लेकर वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट बनाने के काम में लगी हुई है. इस काम की वजह से मणिपुर की महिला की आमदनी भी बढ़ रही है.
मणिपुर में कोना घास की खेती और इससे जुड़े हुए value-added प्रोडक्ट बनाने का काम कर रहे नवीन प्रसाद सिन्हा बताते हैं कि उनके इस काम को सबसे ज्यादा महिलाएं ही कर रही हैं. वह वाराणसी के एक प्रदर्शनी में अपने उत्पादों को लेकर आए हैं] जिसको यहां के लोगों ने खूब सराहा है. मणिपुर के इंफाल के आस-पास कोना घास की खेती हो रही है. इस घास से कई तरह की वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग आमतौर पर घरों में होता है. कोना से बनने वाली टोकरी ,लॉन्ड्री बॉस्केट, फ्रूट बास्केट यहां तक की महिलाओं की पर्स, मैट और हैट की खूब मांग है. इन सामानों की देश के भीतर ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब मांग है, जिनके जरिए महिलाओं की आमदनी में खूब तेजी से इजाफा हो रहा है.
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मणिपुर में 10000 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल पर कोना घास की खेती किसानों के द्वारा की जा रही है. यह घास धान की तरह ही निचले इलाकों में उगाई जाती है.साल में 3 बार इस घास की कटाई होती है. पहली बार मार्च में फिर अगस्त में और नवंबर में. इस घास को सूखाकर इसके उपयोग से कई तरह के value-added सामान बनाए जाते हैं. कोना घास को लेकर शुरू किए गए अपने स्टार्टअप से नवीन प्रसाद सिन्हा को अलग पहचान मिली है.
उन्होंने किसान तक को बताया कि इस घास से बने हुए 100 से भी ज्यादा तरह के प्रोडक्ट उन्होंने बनाए हैं. मणिपुर में 50,000 से ज्यादा महिलाओं को इस घास की वजह से रोजगार मिल रहा है. 50 से ज्यादा महिलाओं को उनके स्टार्टअप में काम मिला हुआ है. वह हर दिन सामान बनाने इस संख्या के आधार पर महिलाओं को पैसा देते हैं. इस काम के लिए वे महिलाओं को ट्रेनिंग देने का काम भी कर रहे हैं.
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