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Jeera Price: कैसे लगेगा दाल में तड़का! जीरे की कीमतें छू रहीं आसमान, 6 महीने में 90% बढ़े दाम

Jeera Price: कैसे लगेगा दाल में तड़का! जीरे की कीमतें छू रहीं आसमान, 6 महीने में 90% बढ़े दाम

गुजरात की ऊंझा मंडी में एक महीने पहले हर दिन 30,000 से 35,000 बैग जीरे की आवक होती थी, जो अब घटकर 7,000-8,000 बैग पर आ गई है. यानी आवक में चार से पांच गुना तक की कमी है. इससे आसानी से समझा जा सकता है कि जीरे के भाव क्यों बढ़ रहे हैं और आगे क्या स्थिति रहने वाली है.

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जीरा के भाव में बड़ी तेजी देखी जा रही है जीरा के भाव में बड़ी तेजी देखी जा रही है

जीरा के भाव आसमान छू रहे हैं. इसका रेट अभी प्रति क्विंटल 48,420 रुपये चल रहा है. हालांकि एक दो महीना पहले कीमतें 49,000 रुपये पर पहुंच गई थीं. लेकिन उसके बाद हल्की गिरावट दर्ज की गई. बाजारों में फिर से तेजी आने लगी है. इसकी मुख्य वजह बताई जा रही है. पहली वजह, विदेशों से भारत के जीरे की बहुत अधिक मांग है. दूसरी, देश में जीरे का स्टॉक कम पड़ गया है. इसलिए मांग के हिसाब से सप्लाई नहीं होने के कारण जीरे का रेट दिनोंदिन नई ऊंचाई छू रहा है. हाल के दिनों में राजस्थान में भारी बारिश और ओलावृष्टि हुई जिससे जीरे की नई खेप प्रभावित हुई है. मंडियों में आवक घटने से इसके दाम में उछाल देखा जा रहा है.

एनसीडेक्स पर सोमवार को जीरे का भाव शुरू में 48,420 रुपये दर्ज किया गया. केवल एक दिन में भाव में 3.4 परसेंट की तेजी दर्ज की गई. गुजरात के ऊंझा बाजार में सोमवार को जीरे का स्पॉट भाव 47,985 रुपये दर्ज किया गया. 'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले छह महीने में जीरे के दाम में लगभग 90 फीसद तक की तेजी आ चुकी है. इसमें भी पिछले एक महीने में ही 30 फीसद का उछाल देखा गया है.

भाव पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

बाजार के जानकारों का कहना है कि जीरे का दाम बढ़ने के पीछे सप्लाई में कमी आना और विदेशों से मांग में तेजी को मुख्य वजह बताई जा रही है. चीन से अभी सबसे ज्यादा मांग आ रही है, लेकिन उस मांग के मुताबिक सप्लाई नहीं हो देखी जा रही. इससे डिमांड और सप्लाई में भारी अंतर है जिससे कीमतें जोर पकड़ रही हैं. 

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मसालों के एक्सपर्ट प्रेमचंद मोइत्रा कहते हैं कि अभी सप्लाई की भारी कमी देखी जा रही है. जितने अमीर और बड़े किसान हैं, उन्होंने जीरे की 50 फीसद से अधिक उपज को रोक कर रखा है. पिछले साल का पांच लाख बैग इस बार बचा था जिसकी बिक्री हो रही है. बचे हुए बैग में भी अभी भारी कमी है. 2022 में 30 से 35 लाख जीरे के बैग बचे थे जिससे बाजार में सप्लाई बनी रही. लेकिन इस बार पिछले साल की खेप भी नहीं बची और उत्पादन भी घट गया. साथ में विदेशों से भारी डिमांड आ रही है.

पैदावार में आई भारी गिरावट

मोइत्रा कहते हैं कि राजस्थान का 60-65 परसेंट और गुजरात का 65-70 परसेंट जीरा मंडियों और बाजारों में पहुंच चुकी है. इस साल 500 बैग (एक बैग में 55 किलो) जीरे के उत्पादन का अनुमान है जिसमें से अभी तक बाजारों में 280-300 लाख बैग पहुंच चुका है. अब 200 लाख बैग और भी पहुंचने की उम्मीद है. मगर कुछ किसानों ने अधिक दाम की उम्मीद में उपज को रोक कर रखा है. इस वजह से भी मंडियों में जीरे की आवक घट गई है और दाम बढ़ गए हैं. 

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गुजरात की ऊंझा मंडी में एक महीने पहले हर दिन 30,000 से 35,000 बैग जीरे की आवक होती थी, जो अब घटकर 7,000-8,000 बैग पर आ गई है. यानी आवक में चार से पांच गुना तक की कमी है. इससे आसानी से समझा जा सकता है कि जीरे के भाव क्यों बढ़ रहे हैं और आगे क्या स्थिति रहने वाली है.