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बांधों में सिंचाई के लिए बहुत कम बचा है पानी, आंध्र में बुवाई का काम पूरी तरह से ठप 

बांधों में सिंचाई के लिए बहुत कम बचा है पानी, आंध्र में बुवाई का काम पूरी तरह से ठप 

देश में इस समय मॉनसून दस्‍तक दे चुका है लेकिन कहीं बादल जमकर बरस रहे हैं तो कहीं बारिश की चाल सुस्‍त हो गई है. कुछ इसी तरह के हालात अब आंध्र प्रदेश में किसानों को परेशान कर रहे हैं. कृष्‍णा डेल्‍टा में इस समय फसल बुवाई का सीजन शुरू हो चुका है लेकिन पानी की कम सप्‍लाई की वजह से यह रुक गया है. यहां के अहम तालाबों में पानी का स्‍तर बहुत ही नीचे चला गया है और स्थिति काफी नाजुक हो गई है.

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आंध्र प्रदेश में कई बांधों में पानी का स्‍तर बहुत ही नाजुक आंध्र प्रदेश में कई बांधों में पानी का स्‍तर बहुत ही नाजुक

देश में इस समय मॉनसून दस्‍तक दे चुका है लेकिन कहीं बादल जमकर बरस रहे हैं तो कहीं बारिश की चाल सुस्‍त हो गई है. कुछ इसी तरह के हालात अब आंध्र प्रदेश में किसानों को परेशान कर रहे हैं. कृष्‍णा डेल्‍टा में इस समय फसल बुवाई का सीजन शुरू हो चुका है लेकिन पानी की कम सप्‍लाई की वजह से यह रुक गया है. यहां के अहम तालाबों में पानी का स्‍तर बहुत ही नीचे चला गया है और स्थिति काफी नाजुक हो गई है. जैसे ही नहरों से पानी छोड़ा जाता है वैसे ही जून की शुरुआत में ही कृष्‍णा डेल्‍टा में खेती की सीजन जल्‍द शुरू हो जाता है जोकि धान की बुवाई के लिए काफी महत्‍वपूर्ण होता है. लेकिन इस साल स्थिति काफी अलग है. 

पीने के पानी को प्राथमिकता 

अखबार टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिचिंटला, नागार्जुन सागर, और श्रीसैलम प्रोजेक्‍ट्स में पानी बहुत कम हो गया है और इस वजह से स्थिति बहुत ही जटिल होती जा रही है. प्रकाशम बैराज में भी पानी की कमी देखी जा सकती है. यहां पर तो पानी अब इतना कम हो गया है कि रेत के बड़े-बड़े पहाड़ नजर आने लगे हैं. अथॉरिटीज की प्राथमिकता इस समय विजयवाड़ा शहर में पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना है और इस वजह से सिचाईं की जरूरतों को नजरअंदाज किया जा रहा है.  कृष्‍णा डेल्‍टा 13.08 लाख एकड़ तक फैला है जो कि पूरी तरह से खेती योग्‍य भूमि है. इसमें कृष्‍णा, गुंटूर, प्रकासम और पश्चिमी गोदावरी जिले आते हैं.

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दिसंबर से मुश्किल में किसान  

इन इलाकों में किसानों को दिसंबर 2023 से संघर्ष करना पड़ रहा है. पानी की कमी की वजह से किसानों ने 2023-24 के सीजन में दूसरी फसल की बुवाई करने से परहेज किया था. अब जबकि अधिकारियों की तरफ से कोई स्‍पष्‍ट निर्देश नहीं मिले हैं तो किसानों की इकलौती उम्‍मीद बारिश हैं. उन्‍हें बस आशा है कि लगातार बारिश से ये तालाब भर जाएंगे.  थोटलावल्लुरू के एक किसान राम कुमार चंदू कहते हैं कि पिछले 10 सालों से उन्‍हें अक्‍सर ही पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है.

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किसानों को तूफान का डर  

अथॉरिटीज ने किसानों से अनुरोध किया था कि वह रबी के सीजन में बुवाई न करें और किसानों को आदेश मानने के लिए मजबूर होना पड़ा था. अब एक बार फिर किसान अथॉरिटीज के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं. फसल बुवाई में देरी ने इस साल के अंत में चक्रवातों के संभावित प्रभाव के बारे में भी चिंताएं बढ़ा दी हैं. किसान संगठन के  नेता एम केशवा राव कहते हैं कि अक्‍टूबर नवंबर में कृष्‍णा डेल्‍टा में चक्रवाती तूफान का खतरा बहुत ज्‍यादा है. किसानों को अब बुवाई में और देरी होने का डर है.