IIHR बेंगलुरु ने तैयार कीं हाइब्रिड मिर्च की 3 किस्में, खतरनाक बीमारियों का नहीं होगा कोई असर 

IIHR बेंगलुरु ने तैयार कीं हाइब्रिड मिर्च की 3 किस्में, खतरनाक बीमारियों का नहीं होगा कोई असर 

बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ हॉर्टीकल्‍चर रिसर्च (IIHR) की तरफ से हाइब्रिड मिर्च की ऐसी तीन किस्‍में डेवलप की गई हैं, जो कई बीमारियों को भी रोकने में सक्षम हैं. आईआईएचआर के वैज्ञानिकों की तरफ से जो तीन मिर्च विकसित की गई हैं वो कई बीमारियों को रोक सकती हैं.

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IIHR बेंगलुरु ने तैयार कीं हाइब्रिड मिर्च की 3 किस्में, खतरनाक बीमारियों का नहीं होगा कोई असर प्रतिकात्‍मक तस्‍वीर

बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ हॉर्टीकल्‍चर रिसर्च (IIHR) की तरफ से हाइब्रिड मिर्च की ऐसी तीन किस्‍में डेवलप की गई हैं, जो कई बीमारियों को भी रोकने में सक्षम हैं. आईआईएचआर के वैज्ञानिकों की तरफ से जो तीन मिर्च विकसित की गई हैं वो फाइटोपथोरा रूट रोट (पीआरआर) और लीफ कर्ल वायरस (एलसीवी) सहित कई बीमारियों को रोक सकती हैं. मौसम में उतार-चढ़ाव की वजह से पीआरआर और लीफ कर्ल वायरस मिर्च की फसल के लिए खतरनाक होते हैं. 

हर साल अरबों का नुकसान 

पीआरआर मिट्टी में होने वाली वह बीमारी है जो विनाशकारी कवक रोग की वजह से होता है. यह मिर्च की फसलों में जड़ के सड़ने की वजह बनता है. इसके परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर करीब 100 मिलियन डॉलर का वार्षिक नुकसान होता है.  एलसीवी, प्रकोप और उपज हानि के मामले में यह सबसे विनाशकारी बीमारी है जिसका सामना उत्‍पादकों को करना पड़ता है.

यह सफेद मक्खियों की वजह से फैलती है. इससे प्रभावित पौधों में पत्तियां मुड़ जाती हैं और लुढ़क जाती हैं. इसकी वजह से उनका विकास रुक जाता है. आईआईएचआर के सब्जी फसल प्रभाग की प्रिंसिपल प्रधान वैज्ञानिक माधवी रेड्डी के. ने इस पर कहा कि संस्थान के 11 हाइब्रिड्स में से तीन, अर्का निहिरा, अर्का धृति और अर्का गगन में पीआरआर और एलसीवी के लिए संयुक्त प्रतिरोध है. 

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बीमारियों से बचने की नीति 

रेड्डी ने आगे कहा, 'हम अगले साल उनका व्यावसायीकरण करेंगे और कुछ निजी बीज कंपनियों ने पैतृक लाइनें लेने में रुचि दिखाई है.' उन्‍होंने बताया कि  पीआरआर और एलसीवी पर केमिकल या फिर किसी तरह के कोई फर्टिलाइजर का कोई नियंत्रण या फिर असर नहीं होता है.  इसके परिणामस्वरूप रासायनिक अवशेष निर्यात को प्रभावित करते हैं. इन बीमारियों से बचने के लिए पौधों के प्रतिरोध की खोज सबसे अच्छी अनुशंसित रणनीति है. 

भारत सबसे बड़ा निर्यातक 

रेड्डी के अनुसार, इस दिशा में, सीजीएमएस (साइटोप्लाज्मिक) लाइनों को फेनोटाइपिक चयन और मार्कर-सहायता चयन का उपयोग करके विकसित किया गया था. उनका उपयोग एलसीवी-प्रतिरोधी पुरुष माता-पिता के साथ एफ 1 संकर बनाने के लिए किया गया था. नई हाइब्रिड मिर्च मध्यम से बहुत ज्‍यादा तीखेपन के लिए मशहूर है. इनमें गुंटूर और वारंगल जैसे प्रमुख बढ़ते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है. भारत सूखी मिर्च का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है. साल 2022-23 में सूखी मिर्च का निर्यात 10444 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया.
 

 

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