लाख की खेती के लिए पलास के पेड़ों का ऐसे करें उपयोग, अधिक लाह उत्पादन का तरीका भी जानें

लाख की खेती के लिए पलास के पेड़ों का ऐसे करें उपयोग, अधिक लाह उत्पादन का तरीका भी जानें

अक्‍सर आपने खूबसूरत लाख की चूड़‍ियां देखी होंगी और अक्‍सर आप यह भी सोचते होंगे कि आखिर लाख कैसे बनता है. दरअसल लाख की खेती एक तरह के कीड़ों की मदद से होती है जिसे केरिया लैका या बीहन के तौर पर जाना जाता है. इस कीड़े के लार्वा को ही लाख के तौर पर जाना जाता है. इसी से लाख का उत्‍पादन होता है जो आज कई तरह के औद्योगिक मकसदों के लिए प्रयोग किया जाता है.

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 लाख की खेती के लिए पलास के पेड़ों का ऐसे करें उपयोग, अधिक लाह उत्पादन का तरीका भी जानेंजानिए कैसे होता है लाख का उत्‍पादन

अक्‍सर आपने खूबसूरत लाख की चूड़‍ियां देखी होंगी और अक्‍सर आप यह भी सोचते होंगे कि आखिर लाख कैसे बनता है. दरअसल लाख की खेती एक तरह के कीड़ों की मदद से होती है जिसे केरिया लैका या बीहन के तौर पर जाना जाता है. इस कीड़े के लार्वा को ही लाख के तौर पर जाना जाता है. इसी से लाख का उत्‍पादन होता है जो आज कई तरह के औद्योगिक मकसदों के लिए प्रयोग किया जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो लाख की खेती एक अच्‍छा व्‍यवसाय हो सकता है जिसके जरिये सालाना लाखों रुपये तक की कमाई की जा सकती है. आज हम आपको बताएंगे कि आप कैसे पलास के पेड़ों का प्रयोग करके लाख की ज्‍यादा से ज्‍यादा खेती कर सकते हैं. 

कैसे तैयार होता है लाख 

लाख को एक सूक्ष्म मादा कीड़ा अपने शरीर के बाहरी आवरण के तौर पर तैयार करती है. मादा लाख कीट खुद की और अपने बच्‍चों की रक्षा के लिए इसका निर्माण करती है. ऐसे में आप इसे इस आवरण या कवर को कीड़े का निवास स्‍थान भी कह सकते हैं. लाख उत्‍पादन करने वाले कीड़े जिस पेड़ की टहनियों पर रहते हैं, उसका ही रस चूसकर जिंदा रहते हैं. लाख के कीड़े पलास, बेर, कुसुम, पीपल जैसे पेड़ों पर रहते हैं. 

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कटाई-छंटाई है जरूरी 

जिन क्षेत्रों में किसान लाख की खेती शुरू करने जा रहे हैं, वहां के कुल पलास के पेड़ों को दो खंडों में बांटकर खेती करें. पहले खंड के पेड़ों की काट-छांट अप्रैल के महीने में कर लें ताकि छह महीने के बाद यानी अक्‍टूबर या नवंबर में इन पर कीड़ें छोड़े जा सकें. ध्‍यान रखें की कटाई-छटाईं के समय सिर्फ ऐसी ही टहनियों को काटें जहां पर मोटी लाख जमा हो गई. जहां पर कीड़ें की टहनियां नहीं हैं या फिर ये दूर-दूर हों, उन्‍हें न काटें. अब दूसरे खंडों के पेड़ों की काट-छांट अगले साल अप्रैल में कर लें. इसी तरह से इनकी कांट-छांट करते रहें.  लाख के अच्‍छे उत्‍पादन के लिए ऐसे पेड़ जरूरी हैं जिन पर लाख के कीड़े अच्‍छी तरह से जीवित रहते हैं. इन पेड़ों पर ही लाख का अच्‍छा उत्‍पादन भी होता है. 

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कैसे दिखते हैं बीमार पेड़ 

ऐसे पेड़ जिनकी टहनियां किसी छतरी सी नजर आती हैं और ठंडे स्‍थानों पर होते हैं, उन पर कीड़ों की संख्‍या ज्‍यादा होती है. जबकि पलाश के ऐसे पेड़ जिनकी टहनियां छोटी होती हैं और इन पर नरम टहनियां कम होती हैं. इन पेड़ों को कीड़ों के लिए सही नहीं माना जाता है.  पलास के जिन पेड़ों की टहनियां पतली हों और उनकी संख्‍या कम होती है. ये पेड़ बीमार नजर आते हैं. ऐसे पेड़ों की कटाई-छंटाई फरवरी के महीने में कर लेनी चाहिए ताकि तेजी से नई डालियां इस पर आ सकें और स्‍वस्‍थ हो जाएंगी. 

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गर्मी और बारिश बेहतर 

आमतौर पर अक्टूबर नवंबर में महीने में लाख के शिशु कीड़ें पत्तियों पर बैठते हैं. अगर नर्म  और रसदार टहनियां नहीं होंगी तो इसका असर पड़ेगा. कीड़ों के संचारण से पहले कुछ पत्तियों बांस से तोड़कर हटाने से समस्‍या दूर हो सकती है. लेकिन पत्तियों के हटाते समय छाल नहीं हटानी चाहिए. पलास से बीहन उत्पादन के लिए गर्मी और बारिश की फसल कारगर होगी. एक औसत पलास के पेड़े पर 400 से 450 ग्राम बीहन लगता है. इसके लिये 50 ग्राम का बंडल बनाना चाहिए.  मगर ध्‍यान रखें कि ज्‍यादा बीहन लगाने से भोजन की कमी होगी जिससे टहनियां सूख जाएंगी. इसकी वजह से कीड़े भी मर सकते हैं. 

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