खरीफ फसल मक्के पर फॉल आर्मीवर्म कीट के प्रकोप से किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. फॉल आर्मी वर्म कीट अमेरिकी मूल का एक विनाशकारी कीट है. ये कीट भारत में मक्का की फसल में बहुत अधिक आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा है. इसका मूल स्थान अमेरिका के दक्षिणी फ्लोरिडा और टेक्सास का क्षेत्र माना जाता है. लेकिन इसका दुष्प्रभाव अब तक भारत समेत 70 देशों में कम से कम 80 प्रकार की फसलों, सब्जियों, फलों और फूलों तक फैल चुका है. इसका भारत में आक्रमण 18 मई 2018 को कर्नाटक के शिवमोगा में देखा गया था. इसके बाद फॉल आर्मी वर्म कीट तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिशा, गुजरात, छत्तीसगढ़, केरल, राजस्थान, झारखंड, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में देखा गया. भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान लुधियाना (आईआईएमआर) ने इस हानिकारक कीट से बचने के लिए सुझाव दिए हैं.
आईआईएमआर लुधियाना के अनुसार, फॉल आर्मीवर्म मुख्य रूप से मक्के की फसल को नुकसान पहुंचाता है और मक्के की अनुपस्थिति में यह कीट ज्वार की फसल पर हमला करता है. अगर दोनों फसलें खेतों में उपलब्ध नहीं हैं, तो गन्ना, चावल, गेहूं, रागी जैसी फसलों को प्रभावित करता है. यह कपास और सब्जियों को भी नुकसान पहुंचा सकता है. यह कीट इतना खतरनाक है कि यह जिस भी फसल को पाता है, उसे पूरी तरह से नष्ट कर देता है.
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आईआईएमआर लुधियाना के विशेषज्ञो के अनुसार, फॉल आर्मी कीट अपने खाने वाले फसलों के लिए 100 किलोमीटर तक उड़ सकते हैं. आर्मी वर्म कीट के नर पंतगों को शऱीर के दो लक्षणों से पहचाना जा सकता है. इस कीट के पीठ के केंद्र पर पीले रंग का धब्बा और आगे के पंख पर एक सफेद रंग का धब्बा होता है. फॉल आर्मी कीट की मादा पतंग अकेले अपने जीवन काल में 1000 से अधिक अंडे देती है. फॉल आर्मी वर्म कीट का लार्वा अवस्था ही फसल को नुकसान पहुंचात है. इसके लार्वा हल्के हरे या गुलाबी भूरे रंग के होते हैं. मक्का में फॉल आर्मीवर्म हरे जैतून या हल्के गुलाबी रंग के दिखाई देते हैं.
फॉलआर्मी वर्म कीट की निगरानी मक्के की अंकुरित अवस्था से करना जरूरी है. अगर फसल में कुछ छिद्र दिखाई देते हैं तो आर्मी वर्म कीट के प्रकोप होने की संभावना हो सकती है. एक बार लार्वा इस्टर अवस्था में प्रवेश करता है तो इसके खाने की प्रवृति के कारण मक्के की पत्तियां कटे-फटे आयताकार की बन जाती हैं. फ़ॉल आर्मीवर्म लार्वा पौधों की पत्तियों को खाते हैं. इससे पत्तियों पर सफेद धारियां पड़ जाती हैं. जैसे-जैसे लार्वा बढ़ते हैं, वे पौधों की ऊपरी पत्तियों को खाना शुरू कर देते हैं. इस प्रकार पत्तियों पर एक ही पंक्ति में बड़े गोल छेद दिखाई देते हैं. जब लार्वा पांचवे और छठवें अवस्था पर पहुंचता है, तो ये तेजी से पत्तियो को खाकर नष्ट कर देता है. मक्का में भुट्टा बनने की अवस्था में फॉल आर्मी वर्म कीट बहुत नुकसान पहुंचाता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, मक्के की अगेती बुआई फॉल आर्मीवर्म से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है. किसी खेत में एक बार मक्के की कटाई करने के बाद अगले वर्ष उसी खेत में मक्के की बुआई करने से बचना चाहिए. प्यूपा को वयस्क अवस्था में रोकने के लिए खेत में 100 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से नीम के बीज डालें. फेरोमोन ट्रैप और ब्लैकलाइट ट्रैप लगाकर फ़ॉल आर्मीवर्म पतंगों पर नज़र रखें और अंडे के गुच्छों को नष्ट कर दें. अगर मक्के की प्रारंभिक गोभ की अवस्था पर फेरोमेन ट्रैप में एक कीट की उपस्थित हो तो पहला स्प्रे 5 फीसदी नीम बीज कर्नल इमल्शन (NSKE) या एडिक्टिन 1500 पीपीएम/5 मिली/लीटर पानी के हिसाब छिड़काव करना चाहिए.
आईआईएमआर लुधियाना ने आर्मी वर्म कीट के नियंत्रण के लिए उपाय सुझाए हैं. कीट का हमला मक्के के अंकुरण के 2-4 सप्ताह बाद होता है और 5 से 10 प्रतिशत पौधा संक्रमित होता है. सबसे पहले स्प्रे बीटेके 2 मिली दवा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करना चाहिए. अगर पौधे में हानि 10 प्रतिशत से पार हो जाए तो स्पाईनटारम 11.7% एससी 05 मिली दवा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
अगर मक्का अंकुरण के 4 से 7 सप्ताह बाद वाली फसल में फॉल आर्मी वर्म का आक्रमण होता है और पौधे 10-20 फीसदी संक्रमित होते हैं तो स्पाईनटोरम 11.7% एससी दवा 0.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी याक्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 18.5 एससी 0.4 मिली प्रति लीटर पानी हिसाब से छिड़काव करें. अगर बड़े लार्वा गोभ के अंदर खाते हुए पाए जाते हैं तो थियोडीकार्ब 75% WP आधारित जहर चारे का प्रयोग करें.
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अगर देर से गोभ अवस्था यानी मक्के के अंकुरण के सात सप्ताह वाली फसल में इस कीट के कारण 20 फीसदी संक्रमित पौधे पाए जाते हैं, तो स्पाईनटोरम 11.7% एससी दवा 0.5 मिली प्रति लीटर पानी या क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 185 एससी 0.4 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से दवा का छिड़काव करें. अगर भूट्टे की अवस्था पर आर्मी वर्म कीट का आक्रमण होता है और भूट्टे में 10 फीसदी से अधिक नुकसान हो रहा है तो इस अवस्था पर कीटनाशक दवा का छिड़काव नहीं करना चाहिए. इस अवस्था पर कीट को हाथ से पकड़ कर नष्ट कर देना चाहिए.
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