भीषण गर्मी और लू ने लोगों के पसीने छुड़ा रखे हैं. लेकिन, यह गर्मी और तापमान रबी सीजन की धान फसल के लिए वरदान बताई जा रही है. क्योंकि, रबी में बोई गई धान की फसल का यह कटाई का वक्त चल रहा है. एक्सपर्ट का कहना है कि अधिक तापमान फसल की क्वालिटी सुधार में मदद कर रहा है, क्योंकि, पौधों में नमी नहीं बच रही है, जिससे धान के गट्ठों में कीट लगने या धान खराब होने का खतरा कम हो जा रहा है. वहीं, नई फसल के बाजार में आवक शुरू होने से रबी चावल की कीमत खरीफा चावल की तुलना में 10 फीसदी तक कम हो गई है.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस साल रबी धान का रकबा पिछले सीजन के 40.37 लाख हेक्टेयर की तुलना में 1.07 फीसदी कम होकर 39.29 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है. सरकारी अनुमान के मुताबिक इस साल रबी चावल का उत्पादन 123.57 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है. इस बीच एक्सपर्ट के हवाले से आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बार रबी धान की क्वालिटी बेहतर रहने की उम्मीद भी जताई है.
रबी सीजन में धान की खेती पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, बिहार, तेलंगाना, ओडिशा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश समेत उत्तर-पूर्वी राज्यों में खूब की जाती है.रबी धान की कटाई का वक्त चल रहा है. वर्तमान में बढ़ते तापमान ने धान की क्वालिटी को बेहतर करने में मददगार साबित हो सकती है. इसके साथ ही यदि पौधे से धान निकालने में देरी भी होती है तो दिक्कत नहीं है और किसान, व्यापारी पौधे से धान निकालने के बाद लंबे समय तक स्टोर कर सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार बाजार में रबी धान फसल का चावल आना शुरू हो चुका है, जिससे चावल की कीमत में करीब 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
रिपोर्ट के अनुसार इस साल रबी फसल की पैदावार अच्छी रही है. वर्तमान हीटवेव चावल की नमी को सूखने और गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर रही है. चावल मार्केटिंग और एक्सपोर्ट से जुड़े लोगों के अनुसार चावल को सुखाने के लिए हमें ड्रायर टूल्स का इस्तेमाल नहीं करना पड़ रहा है. व्यापारी इसे लंबे समय तक स्टोर कर सकते हैं और नमी कम रहने से फसल खराब नहीं होगी. हालांकि, गर्मी का असर चावल की भूसी के तेल के उत्पादन पर पड़ रहा है. क्योंकि तेल निकालने के लिए मजदूरों की कमी है. चावल की भूसी का तेल चावल की कठोर बाहरी भूरी परत को निकालकर बनाया जाता है. इसे 24 घंटे के अंदर निकालना होता है. भारत सालाना 10.5 लाख टन चावल-भूसी तेल का उत्पादन करता है.
तापमान गर्म रहने से चावल मजबूत रहता है, जबकि नमी रहने पर दाना टूट जाता है. घरेलू स्तर पर टूटे हुए चावल की मांग मेट्रो शहरों में बहुत कम है. हालांकि भारत के ग्रामीण हिस्सों में इसकी खूब खपत होती है. व्यापारी टूटे हुए चावल को लेकर बहुत उत्सुक नहीं है क्योंकि सरकार ने घरेलू कीमतों को कम रखने के लिए टूटे चावल के निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है. जबकि, घरेलू स्तर पर टूटे चावल की कीमत भी कम मिलती है.
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