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Wheat Procurement: अपने घरों में गेहूं रोक कर क्यों बैठे हैं पंजाब के किसान, पढ़ें क्या है उनकी राय

Wheat Procurement: अपने घरों में गेहूं रोक कर क्यों बैठे हैं पंजाब के किसान, पढ़ें क्या है उनकी राय

पंजाब की मंडियों और खरीद केंद्रों में अब तक 99 लाख टन ताजा कटी हुई फसल आ चुकी है. कृषि संगठन बीकेयू के एक गुट के प्रमुख बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि उपज में कम से कम 10 फीसदी की वृद्धि हुई है और किसान बाद में खुले बाजार में बेचने के लिए उतनी ही मात्रा अपने पास रख रहे हैं.

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पंजाब में गेहूं खरीद कब पकड़ेगी रफ्तार. (सांकेतिक फोटो) पंजाब में गेहूं खरीद कब पकड़ेगी रफ्तार. (सांकेतिक फोटो)

पंजाब में 1 अप्रैल से गेहूं की खरीद हो रही है, लेकिन मंडियों में अभी भी किसान उतनी संख्या में अनाज लेकर नहीं पहुंच रहे हैं. पहले कहा जा रहा था कि अभी गेहूं की फसल तैयार नहीं हुई है. जैसे-जैसे कटाई में तेजी आएगी वैसे-वैसे मंडियों में गेहूं की आवक बढ़ेगी. लेकिन अब पंजाब में गेहूं की कटाई लगभग समाप्ती की ओर है. लेकिन उसके बावजूद भी गेहूं खरीदी में पिछले साल के मुकाबवे उतनी तेजी नहीं है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बंपर पैदावार के बावजूद भी मंडियों में गेहूं की आवक क्यों नहीं हो रही है?

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल सरकार गेहूं के लिए 2,275 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दे रही है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खुले बाजार में गेहूं की कीमतें 2,800 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचने की उम्मीद है. पिछले (2023) रबी सीज़न में, सरकार ने एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था, लेकिन खुले बाजार में कीमतें 2,600 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थीं. पंजाब खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस साल के अंत आते-आते गेहूं की कीमतें एमएसपी से 400-500 रुपये प्रति क्विंटल अधिक हो जाएंगी. ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि इसी वजह से किसान सरकारी खरीद केंद्रों में गेहूं नहीं ला रहे हैं. वे कीमत बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं. 

20 लाख टन गेहूं निर्यात की योजना

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति एसएस गोसल ने कहा कि किसान ईरान-इजरायल संघर्ष और यूक्रेन-रूस युद्ध की पृष्ठभूमि में गेहूं की कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव से अवगत हैं. इसलिए वे उपज को रोके हुए हैं. गोसल ने कहा कि वैश्विक गेहूं संकट के कारण, भारत ने पिछले साल 20 लाख टन निर्यात करने की योजना बनाई थी, जिसके कारण कीमतें बढ़ीं. अधिकारियों का कहना है कि हालांकि केंद्र ने अंतिम समय में प्रस्ताव वापस ले लिया, लेकिन इसका कीमतों पर असर पड़ा.

इसलिए किसान नहीं बेच रहे किसान

नाभा के पास एक गांव के किसान नेक सिंह खोख ने कहा कि उनके गांव में बड़ी जोत वाले लोग पूरे स्टॉक को बिक्री के लिए मंडियों में नहीं ले जा रहे हैं. खोख ने कहा कि 30 एकड़ से अधिक भूमि पर गेहूं उगाने वाले कई किसान अपने पास उचित मात्रा में गेहूं का स्टॉक रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल भी किसानों ने सर्दियों में गेहूं बेचा था जब कीमत बढ़ गई थी. राज्य कृषि विभाग ने बंपर फसल की भविष्यवाणी की है, क्योंकि फसल काटने के प्रयोग में प्रति एकड़ 19 क्विंटल की औसत उपज से 3 क्विंटल प्रति एकड़ की वृद्धि देखी गई है. विभाग ने पहले 162 लाख टन गेहूं उत्पादन की भविष्यवाणी की थी, जिसमें से 132 लाख टन खरीद के लिए मंडियों में आने की उम्मीद है.