Agri business tips: किसान केले के पत्ते से कर सकते हैं बंपर कमाई, जानें इसके आसान तरीके

Agri business tips: किसान केले के पत्ते से कर सकते हैं बंपर कमाई, जानें इसके आसान तरीके

केले के पत्तों की बढ़ती मांग किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है. अगर किसान सही तकनीकों और तरीकों का उपयोग करें, तो वे इससे बंपर कमाई कर सकते हैं. साथ ही, पत्तों को सुरक्षित रखने के सरल उपायों को अपनाकर उनकी गुणवत्ता और ताजगी बनाए रख सकते हैं. किसान अपने व्यवसाय में नवाचार लाकर इस क्षेत्र में सफल हो सकते हैं. केले के पत्तों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाए, तो प्लास्टिक के कचरे में भारी कमी आएगी. प्लास्टिक की थैलियों, प्लेटों और पैकेजिंग की जगह केले के पत्तों का उपयोग करके हम प्रदूषण को काफी हद तक कम कर सकते हैं.

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किसान केले के पत्ते से कर सकते हैं बंपर कमाई, जानें इसके आसान तरीकेकिसान केले के पत्ते से कर सकते हैं कमाई, फोटो सौजन्य, BLT

आजकल पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुकता बढ़ने के कारण केले के पत्तों से बने उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है. विशेषकर यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों की बढ़ती मांग ने केले के पत्तों के उपयोग को बढ़ावा दिया है. केले के पत्ते न केवल स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हैं, बल्कि यह स्वच्छता के मानकों पर भी खरे उतरते हैं. केले के पत्तों की चिकनी और जलरोधी सतह के कारण इनमें जीवाणुओं और गंदगी का प्रवेश नहीं हो पाता, जिससे यह भोजन को स्वच्छ बनाए रखते हैं. केले के पत्तों का उपयोग न केवल एक पारंपरिक विधि है, बल्कि यह प्लास्टिक के दुष्प्रभावों से बचाने का एक प्रभावी विकल्प भी है. यह पूरी तरह से प्राकृतिक, पर्यावरण-अनुकूल और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है.

प्लास्टिक के विकल्प के रूप में केले के पत्तों का उपयोग करना, अपने देश की प्राचीन पंरपरा हमारी धरती और भावी पीढ़ियों के लिए एक अहम कदम साबित हो सकता है. अगर हम प्लास्टिक की जगह केले के पत्तों के उपयोग को बढ़ावा देते हैं, तो हम न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि अपनी सेहत और समग्र जीवनशैली को भी बेहतर बना सकते हैं.

केले के पत्ते क्यों बन रहे कमाई का जरिया?

केले के पत्ते एक प्राकृतिक और बायोडिग्रेडेबल उत्पाद हैं, जो आसानी से सड़-गल कर मिट्टी में मिल जाते हैं. दक्षिण भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के कई हिस्सों में केले के पत्तों का उपयोग भोजन परोसने के लिए प्राचीन काल से होता आ रहा है. केले के पत्तों पर खाना खाना पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. आज भी, केले के पत्तों का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के रूप में व्यापक रूप से हो रहा है. तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में केले की खेती खासतौर से फल और पत्तों के लिए की जाती है. इन राज्यों में केले के पत्तों पर खाना शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है.

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दिलचस्प बात यह है कि केले के पत्तों पर खाना खाने से ग्रीन टी की तरह एक प्राकृतिक रसायन शरीर में पहुंचता है. डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार केला अनुसंधान केंद्र हेड डॉ. एस के सिंह के अनुसार, खाड़ी देशों में केले के पत्तों की बढ़ती मांग किसानों के लिए आमदनी का एक प्रमुख साधन बन रही है. खासकर, छुट्टियों और पार्टियों के अवसर पर इनकी मांग में और वृद्धि होती है, जिससे निर्यात के अवसर भी बढ़ते हैं. 

केले के पत्तों के उपयोग से रोजगार  और पर्यावरण की सुरक्षा, फोटो सौजन्य : सोशल मीडिया
केले के पत्तों के उपयोग से रोजगार और पर्यावरण की सुरक्षा, फोटो सौजन्य : सोशल मीडिया

केले का पत्ता ऐसे रहेगा अधिक दिनों तक सुरक्षित 

डॉ. एस.के.सिंह ने बताया कि ताजे केले के पत्तों को संरक्षित करना एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि ये जल्दी फट और खराब हो जाते हैं. केले के पत्तों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए सही प्रोसेसिंग की जरूरी होती है. पहले पत्तों को पानी में भिगोकर साफ किया जाता है. फिर इन्हें बहते पानी से धोकर एक साफ कपड़े से पोंछा जाता है. पत्तों को 2-3 मिनट के लिए उबलते पानी में डाला जाता है और फिर ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है. इस प्रक्रिया को ब्लांचिंग कहते हैं, जो पत्तों की कठोरता बनाए रखती है और सूक्ष्मजीवों को नष्ट करती है.

ब्लांचिंग के बाद, पत्तों को मोड़कर प्लास्टिक की थैलियों में रखा जाता है और फ्रिज में स्टोर किया जाता है, जिससे यह 7-10 दिनों तक ताजे बने रहते हैं. शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए संशोधित वायुमंडलीय पैकेजिंग (Modified Atmospheric Packaging - MAP) का उपयोग किया जाता है, जो पत्तों की श्वसन दर को धीमा कर देता है और उन्हें अधिक समय तक ताजा बनाए रखता है. इसके अलावा, अगर पत्तों को 5°C तापमान में रखा जाए तो यह 10 दिनों से अधिक समय तक ताजगी बनाए रखते हैं.

केले के पत्तों से रोजगार और पर्यावरण की सुरक्षा

आजकल केले के पत्तों से बनी थालियां, कटोरियां और गिलास प्लास्टिक का एक बेहतरीन विकल्प साबित हो रहे हैं. ये पूरी तरह से प्राकृतिक होते हैं और पर्यावरण के लिए नुकसानदायक नहीं होते. इसके अलावा, केले के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां केले के पेड़ आसानी से उपलब्ध होते हैं, वहां इस व्यवसाय को बढ़ावा देकर स्थानीय किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है.

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दूसरी तरफ प्लास्टिक की तुलना में कहीं अधिक सस्ते होते हैं. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां केले के पेड़ आमतौर पर पाए जाते हैं, इसका बिजनेस करके लाभ कमा सकते हैं. केले के पत्ते पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल होते हैं, यानी ये आसानी से नष्ट हो जाते हैं और इन्हें कम्पोस्ट के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस प्रकार यह पर्यावरण संरक्षण में सहायक होते हैं. प्लास्टिक के स्थान पर केले के पत्तों का उपयोग एक प्रभावी कदम है जो न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित करता है. केले के पत्तों का उपयोग करके हम एक स्वच्छ, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं.


 

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