उत्तर भारत में खरीफ कपास की बुआई शुरू हो गई है. लेकिन इस बार इसके रकबे में गिरावट आने की संभावना जताई जा रही है. कहा जा रहा है कि पिछले सीजन में कपास की फसल में पिंक बॉलवर्म नामक बीमारी फैल गई थी. इसके चलते कपास की क्वालिटी प्रभावित हुई और कीमतों में गिरावट देखी गई. ऐसे में किसानों का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन इस साल नुकसान से बचने के लिए बहुत से किसानों ने कपास की खेती से दूरी बना ली. वे इस साल धान, मक्का और ग्वार की खेती करने की योजना बना रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि इनकी खेती में कपास के मुकाबले ज्यादा फायदा होगा.
क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन में बीज व्यवसाय के सीईओ सत्येन्द्र सिंह ने कहा कि पिंक बॉलवॉर्म एक गंभीर संक्रमण है. इसके चलते उपज तो प्रभावित होती ही है, साथ में किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि इस खरीफ सीजन में कपास की बुआई की शुरुआत धीमी है, क्योंकि बीज की बिक्री भी कम हो रही है. पिछले साल इस समय तक कपास के बीच की खूब बिक्री हुई थी. हालांकि, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कुल कपास के रकबे जानने के लिए हमे इंतजार करना होगा होगा. उन्होंने कहा कि तीनों उत्तरी राज्यों में कपास का रकबा पिछले साल के स्तर को नहीं छू पाएगा.
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जोधपुर में साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर (एसएबीसी) के संस्थापक निदेशक भागीरथ चौधरी ने कहा कि हरियाणा और राजस्थान के किसान इस साल कपास के रकबे को कम करने के लिए पंजाब का रास्ता अपना सकते हैं, क्योंकि पीबीडब्ल्यू के गंभीर संक्रमण ने फसल की गुणवत्ता पर असर डाला है. इसके अलावा, खराब गुणवत्ता के कारण आय पर असर पड़ा और किसानों को फसल के नुकसान का मुआवजा नहीं मिला.
चौधरी ने कहा कि हरियाणा और राजस्थान में कपास के रकबे में लगभग 25 प्रतिशत की कमी आ सकती है और पंजाब में भी मामूली गिरावट देखी जा सकती है. पंजाब के उन इलाकों में जहां पानी की उपलब्धता है, किसान वापस धान की खेती की ओर लौट सकते हैं, जबकि राजस्थान में वे ग्वार की ओर रुख कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि मक्का और मूंग भी एक विकल्प के रूप में उभर सकते हैं. सिरसा में बीज खुदरा विक्रेता योगेश कुमार ढाका ने कहा कि रकबा लगभग 15 प्रतिशत कम हो जाएगा.
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ढाका ने कहा कि पिछले साल की तुलना में कपास के बीजों की बिक्री धीमी है और किसानों ने उन क्षेत्रों में बुआई शुरू कर दी है जहां सरसों की कटाई हो चुकी है. उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता है, वहां किसान धान की खेती करेंगे, जबकि अन्य क्षेत्रों में वे मूंग और मूंगफली की खेती कर सकते हैं. रासी सीड्स के संस्थापक और अध्यक्ष एम रामासामी को कपास के रकबे में कुछ सुधार की उम्मीद है. मानसून का पूर्वानुमान अनुकूल है और कीमतें अच्छी रही हैं. हमें देश भर में कपास के तहत क्षेत्र में न्यूनतम 5 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है.
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