महाराष्ट्र में एक तरफ जहा प्याज और सोयाबीन की खेती करने वाले किसान कम दाम से परेशान हैं तो वहीं इस साल चने की खेती करने वाले किसानों की बल्ले-बल्ले है. राज्य की अधिकांश मंडियों में चने का दाम एमएसपी से ज्यादा चल रहा है. जबकि देसी चने पर से सरकार ने आयात शुल्क खत्म कर दिया है. राज्य के लातूर जिले की औसा मंडी में तो काबुली चने के दाम ने रिकॉर्ड बना दिया है. यहां 12 मई को सिर्फ 14 क्विंटल चने की आवक हुई थी. यहां इसका न्यूनतम दाम 8000, अधिकतम 8450 और औसत दाम 8220 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया. जबकि चने की एमएसपी 5440 रुपये प्रति क्विंटल है.
भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों से देसी चने पर 66 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया हुआ था. जिसे चने की महंगाई कम करने के लिए अब 31 अक्टूबर 2024 तक के लिए हटा दिया गया है. जिससे कि दूसरे देशों से सस्ता चना आ सके और महंगाई खत्म हो. इसके बावजूद राज्य की अधिकांश मंडियों में चने का दाम एमएसपी से ज्यादा ही चल रहा है. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार बुलढाणा मंडी में सिर्फ 158 क्विंटल चने की आवक हुई थी. यहां पर काबुली चने का न्यूनतम दाम 8500, अधिकतम 9250 और औसत दाम 9000 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
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चना उत्पादन में मध्य प्रदेश जहां सबसे आगे हैं तो वहीं दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र है, जो 19.77 प्रतिशत चने का उत्पादन करता है. राज्य के कई जिलों में चने की खेती होती है. केंद्र सरकार के अनुसार 2023-24 में चने का उत्पादन 121.61 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष के चने के उत्पादन से थोड़ा कम है. साल 2022-23 में चने का उत्पादन 122.67 लाख मीट्रिक टन था. उत्पादन बहुत कम नहीं है फिर भी दाम बढ़े हुए हैं. इसका किसानों को फायदा मिल रहा है.
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