लीची ऐसा फल है जो अपने आकर्षक रंग, स्वाद और गुणवत्ता के लिए लोकप्रिय है. गर्मियों में लोगों को बेसब्री से लीची का इंतज़ार रहता है. यह फल बहुत ही रसीला होता है. लीची का फल लाल छिलकेदार होता है जिसमें सफेद रंग का गूदा होता है, जो स्वाद में मीठा और स्वादिष्ट होता है. अब लोगों का इंतज़ार खत्म हो गया है. मुजफ्फरपुर की शाही लीची अगले 20 से 25 दिनों में बाजार में उपलब्ध हो जाएगी. सरकार की ओर से भी इस बार खास तैयारी की गई है. रेल और विमान की मदद से देश के विभिन्न राज्यों व विदेशों में भी लीची भेजने की तैयारी चल रही है. मुरौल के रहने वाले किसान जय प्रकाश राय ने बताया कि इस बार करीब 15 मई तक बाजार में लीची आ जाएगी.
बिहार के लोग इसे ऑनलाइन भी खरीदारी कर सकेंगे, कोरोना काल के दौरान इस सुविधा को हमने शुरू किया था. साथ ही हमने एक संगठन बनाया है,जिसमें मुजफ्फरपुर के करीब 500 किसान जुड़े हैं. सभी के बागों से करीब तीन हजार टन लीची का उत्पादन इस सीजन होने का अनुमान है. यहां से खासकर यूपी, बिहार व झारखंड में 15 व 10 किलो के पैक में लीची भेजी जायेगी.
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बिहार लीची उत्पादक संघ के संयोजक कृष्ण गोपाल ने कहा कि इस बार लीची की अच्छी पैदावार होने की संभावना है. बिहार के अलावा चेन्नई, लखनऊ, विशाखापट्टनम, मुंबई, नागपुर, बेंगलुरु जैसे शहरों में 18 मई से लीची भेजना शुरू कर देंगे. कोल्ड चेन की मदद से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर इसे भेजा जायेगा. इन शहरों में 10 और 15 किलो के पैक भेजे जायेंगे. वहीं, बिहार के विभिन्न शहरों में एक किलो लीची का कंज्यूमर पैक व पांच किलो का फैमिली पैक तैयार किया जायेगा. इसे फ्रेश रखने के लिए पिछले साल खुद से तैयार हर्बल सॉल्यूशन का ट्रायल सफल रहा. इस बार इसका प्रयोग किया जायेगा, ताकि फ्रेश लीची का
मुजफ्फरपुर के बड़गांव के किसान केशन नंदन ने बताया कि साल 1993 में ही गांव में प्रोसेसिंग प्लांट लगाया था, जिसके कारण वह लीची के पल्प को भी बेचते हैं. उन्होंने कहा कि इस बार मौसम साथ नहीं दे रहा है. इस वजह से लीची कमजोर हो जा रही है. इसके फल भी गिर रहे है. फिर भी मेरे बगान से करीब 100 टन से अधिक लीची का उत्पादन होगा. इस बार बिहार सरकार की मदद से पैक हाउस बना रहे हैं. साथ ही रेफ्रिजरेटर वैन की भी खरीदारी करेंगे. इससे छह डिग्री सेल्सियस में लीची पहुंचायी जाएगी.
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