अंजीर की खेती एक हेक्टेयर में देती है 5-6 लाख की कमाई, 100 रुपये किलो तक जा सकती है बिक्री

अंजीर की खेती एक हेक्टेयर में देती है 5-6 लाख की कमाई, 100 रुपये किलो तक जा सकती है बिक्री

इसके पौधे तीसरे वर्ष में उपज देना शुरू कर देते हैं और प्रत्येक पौधा 15-20 किलोग्राम उपज देता है. प्रति पौधा 1500-2000 रुपये तक मूल्य के फल देता है. उत्पादकों द्वारा अर्जित प्रति हैक्टेयर आय 5-6 लाख रुपये है जो मौजूदा कृषि स्थिति की तुलना में काफी अधिक है. अंजीर की खेती उल्लेखनीय रूप से किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार कर रही है.

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अंजीर की खेती एक हेक्टेयर में देती है 5-6 लाख की कमाई, 100 रुपये किलो तक जा सकती है बिक्रीकिसान अंजीर की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं

किसान अपनी कमाई बढ़ाने के लिए नए-नए फलों और सब्जियों की खेती कर रहे है. इसी कड़ी में कुछ लोग अंजीर की खेती से भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. यह किसानों के लिए फायदे का सौदा है. अंजीर की खेती एक हेक्टेयर में किसान को आराम से 5-6 लाख रुपये की कमाई करवा देती है. इसकी कीमत बाजार में 100 रुपये किलो तक हो जाती है. फिकस कैरिका या अंजीर मानव जाति के लिए ज्ञात प्राचीन फलों में से एक है. अंजीर का उत्पादन मुख्य रूप से मध्य पूर्व के देशों द्वारा किया जाता है. भारत, अंजीर उत्पादन में 12वें स्थान पर है. क्योंकि यहां कम किसान इसकी खेती करते हैं.

अंजीर की व्यावसायिक खेती ज्यादातर महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश (लखनऊ और सहारनपुर) कर्नाटक (बेल्लारी, चित्रदुर्ग और श्रीरंगपटना) और तमिलनाडु तथा कोयम्बटूर के पश्चिमी हिस्सों तक ही सीमित है. हालांकि इसकी खेती किसानों के लिए फायदेमंद है. अब इसे आगे बढ़ाने के प्रयास जारी है. राजस्थान का बाड़मेर, भारत का पांचवां सबसे बड़ा जिला है, जहां इसकी खेती होती है. इस क्षेत्र में दोमट महीन से लेकर खुरदरी और चूने वाली मिट्टी है.

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अंजीर की खेती के लिए मौसम

उप-उष्णकटिबंधीय और पर्णपाती फल होने के कारण, अंजीर की खेती को शुष्क और अर्ध-शुष्क वातावरण, भरपूर धूप एवं मध्यम तापमान और मध्यम पानी की आवश्यकता होती है. अंजीर, उच्च तापमान यानी 450 सेंटीग्रेड तक में जीवित रह सकता है. बाड़मेर क्षेत्र की जलवायु परिस्थितियां अंजीर की खेती के लिए अत्यधिक उपयुक्त हैं. वर्ष 2019-20 में केवीके, बाड़मेर केंद्र में 5 हैक्टेयर क्षेत्र में अंजीर की खेती की गई और अब यह उल्लेखनीय रूप से 200 हैक्टेयर क्षेत्र तक बढ़ चुकी है. इसकी मुख्य किस्म 'डायना' है जिसे पौधों के बीच 4.4 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है.

हर पौधा देता है 15-20 किलो उपज

पानी की कमी से पौधों की सुरक्षा के लिए खेती वाले क्षेत्र में ड्रिप सिंचाई प्रणाली स्थापित की गई है. वर्तमान में अंजीर की खेती वाले ब्लॉक चौहटन, सिंदरी, शिवना, गुडामलानी, बाड़मेर और शिव हैं. इसके पौधे तीसरे वर्ष में उपज देना शुरू कर देते हैं और प्रत्येक पौधा 15-20 किलोग्राम उपज देता है. प्रारंभ में रोपण सामग्री की व्यवस्था स्वयं केवीके के सहयोग से की गई और इसके बाद मौजूदा उत्पादकों ने प्रौद्योगिकी अपनाने वाले नए किसानों से आवश्यक सामग्री प्राप्त की.

प्रति वृक्ष 2000 रुपये की होगी आय

इसका एक वृक्ष 1500-2000 रुपये तक मूल्य के फल देता है. उत्पादकों द्वारा अर्जित प्रति हैक्टेयर आय 5-6 लाख रुपये है जो मौजूदा कृषि स्थिति की तुलना में काफी अधिक है. अंजीर की खेती उल्लेखनीय रूप से किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार कर रही है और यह किसान परिवार को गुणवत्तापूर्ण पोषण भी प्रदान कर रही है.
इसके फल की मांग तेजी से बढ़ रही है तथा आसपास बाजारों की उपलब्धता के कारण अंजीर उत्पादकों के लिए यह मुनाफे का सौदा बन गया है. उत्पाद के उच्च पोषक मूल्य से संबंधित होने के कारण इसकी स्थानीय बाजार के साथ-साथ उद्योगों में भी उच्च मांग है.

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