किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार रबी और खरीफ की मुख्य फसलों के अलावा सब्जियों और फलों की खेती करने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है. इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी मिल सकता है. किसानों को सब्जियों की खेती करने के लिए कई राज्य सरकारें अनुदान भी उपलब्ध करवा रही हैं. करेले की खेती पूरे भारत में की जाती है. महाराष्ट्र में भी बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती है.इसकी मांग साल भर बनी रहती है. यह मधुमेह यानी शुगर के रोगियों के लिए अच्छी मानी जाती है. करेले का रस और सब्जी बनाकर सेवन करने से पाचनतंत्र की खराबी और भूख की कमी जैसी तकलीफों में आराम मिलने का दावा किया जाता है.
सामान्य तौर पर 40 से 50 रुपये किलो तक इसका दाम बना रहता है. फसल कम समय में तैयार हो जाती है जिसे किसान बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. करेले की फसल बुबाई के बाद सिर्फ 60 से 70 दिन में तैयार हो जाती है. इसकी खेती मॉनसून और गर्मी के मौसम में होती है. इसके उत्पादन के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु अत्यधिक उपयुक्त होती है.इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर होता हैं. यह खनिज तत्वों से भरपूर होता है. इसमें पोटेशियम, जिंक, मैग्नेशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, आयरन, कॉपर, मैगनीज पाए जाते हैं. यानी उगाने वालों और खाने वालों दोनों के लिए यह फायदेमंद है.
एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत बागवानी फसलों के लिए सरकार मदद देती है. सब्जियां बागवानी फसलों में आती हैं. योजना में किसी विशेष सब्जी फसल का नाम नहीं है. इसलिए करेले की खेती के लिए कोई अलग प्रावधान नहीं है. सब्जियों की खेती के लिए सरकार जो पैसा देती है उसमें आप करेला भी उगा सकते हैं. हाइब्रिड बीजों से सब्जियों की खेती करने पर प्रति लाभार्थी को अधिकतम 2 हेक्टेयर तक लाभ दिया जाता है. लागत प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये तय है.
सामान्य क्षेत्रों में इस लागत का 40 परसेंट और पूर्वोतर एवं हिमालयी में 50 फीसदी अनुदान दिया जाता है. यानी सामान्य क्षेत्रों में 20 हजार और पहाड़ी व पूर्वी राज्यों के लिए 25 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की मदद दी जाती है.इसके लिए किसान hortnet.gov.in पर अप्लाई कर सकते हैं.
करेले की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है इसके अलावा नदी किनारे की जलोढ़ मिट्टी भी इसकी खेती के लिए उचित मानी जाती है. वहीं बात करें इसके लिए सही जलवायु की तो करेले की खेती के लिए गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है.इसे बारिश के मौसम में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. करेले की खेती 25 से 35 डिग्री सेंटीग्रेट का तापमान अच्छा होता है.
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करेले की उन्नत किस्में कल्याणपुर बारहमासी, पूसा विशेष, हिसार सलेक्शन, कोयम्बटूर लौंग, अर्का हरित, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा औषधि, पूसा दो मौसमी, पंजाब करेला-1, पंजाब-14, सोलन हरा और सोलन सफ़ेद, प्रिया को-1, एस डी यू- 1, कल्याणपुर सोना, पूसा शंकर-1 आदि हैं.
करेले के बीज की बुवाई करने से 25-30 दिन पहले 25-30 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद को एक हेक्यटेयर खेत में मिलाना चाहिए. 20 किग्रा एन/हेक्टेयर 30 किग्रा पी तथा 30 किग्रा के प्रति हेक्टेयर बुवाई के समय डालें तथा 20 किग्रा एन की दूसरी खुराक फूल आने के समय डालें. साथ ही 20 से 30 किलो एन प्रति हेक्टेयर, 25 किलो पी और 25 किलो के रोपण के समय डालें. 25 से 30 किग्रा एन की दूसरी किश्त 1 माह में दी जानी चाहिए.
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