अपने देश के किसी भी हिस्से में आम के छोटे-बड़े बाग जरूर मिलेंगे. इनमें कई अलग-अलग किस्मों के आम के पेड़ होते हैं. अपने देश के आम बाहर के देशों से लेकर अपने देश में खूब मांग रहती है. आम के चमकदार-मीठे-रसीले यानी अच्छी क्वालिटी के फलों के अच्छे दाम मिलते हैं. आम के बागों में बौर लगने का समय है. मगर आम तौर पर यह देखा गया है कि अगर हम खाद-पानी, कीटों और रोगों का अच्छे से प्रबंधन नहीं कर पाते, तो फलों की गुणवत्ता में कमी आती है. इसके लिए कुछ तकनीकी जानकारी भी जरूरी है ताकि फल चमकदार हों और आकार बड़ा हो. इसलिए, अभी से ही तैयारी शुरू कर दें. क्योंकि आम के पेड़ों का सही प्रबंधन आपकी उत्पादन को बढ़ा सकते हैं. ध्यान ना देने पर पेड़ कीट-रोगों की चपेट में आ सकते हैं. इसलिए आम के बाग से अधिक से अधिक फायदा पाने के लिए ध्यान देना जरूरी है, जिससे आम की बंपर फलत के साथ ही बेहतरीन क्वालिटी भी मिले.
आम की बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार आम की क्वालिटी उत्पादन के लिए यह वक्त काफी अहम है, क्योंकि मंजर निकलने से लेकर फल आने तक की अवस्था बेहद संवेदनशील होती है. आम के में बौर निकलने के दो-तीन महीने पहले ही बगीचे से सिंचाई बंद कर देनी चाहिए. पौधों पर फल लग जाने के बाद आम के बाग में दो या तीन बार सिंचाई करनी चाहिए. पहली सिंचाई को फल लगने के बाद करना चाहिए. दूसरी सिंचाई को जब आम के फल कांच की गोली जैसी होती है, तब करना चाहिए और तीसरी सिंचाई को मई के दूसरे सप्ताह में करना चाहिए. इससे आम के आकार और गुणवत्ता में वृद्धि होती है. आम में बौर बनने की अवस्था पर सिंचाई नहीं करनी चाहिए. क्योंकि इस अवस्था पर सिंचाई करने से फूल बनने वाली पूरी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती और बौर गिर सकते हैं. जब फल सरसों के दाने के बराबर हो जाएं,तब जाकर पेड़ों को सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए.
अच्छी फलत के लिए बौर निकलने से पहले अगर 3 प्रतिशत यूरिया का घोल छिड़काव करते हैं, तो इससे बौर और फलन के लिए फायदेमंद होता है. बौर निकलने के समय आम के पेड़ पर कीटनाशकों का छिड़काव नहीं करना चाहिए, क्योंकि आम में परागण हवा या मधुमक्खियों द्वारा होता है. अगर कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है, तो मधुमक्खियां मर जाएंगी और बौर में पर नमी के कारण परागण संभव नहीं हो पाता है, इससे फल लगने में कमी आती है. अगर संभव हो तो बौर निकलते समय मधुमक्खियों के लिए मधुबक्सों को अपने बाग के पास रखें आम के फूलों में बेहतर परागण होता है. इससे आम के फ्रूट सेटिंग करने में मदद मिलती है. आम में जब बौर खिल जाएं या 50 प्रतिशत तक फूल आ जाएं, तब दवाओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए. जब फल सरसों के दाने बराबर दिख रहे हों, तब कीट-रोगों से बचाव के लिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव का इंतज़ाम करें.
कृषि विशेषज्ञ ने कहा कि इसके अलावा अपने विकास क्रम में फल तेजी से बढ़ते हैं, जबकि फलों को वातावरण की सही नमी ना मिलने पर उसके छिलके फटने लगते हैं. इससे फलों का उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा. ऐसी स्थितियों से बचने के लिए फल तैयार होने के वक्त तक कुछ-कुछ दिनों पर फलों को पानी की हल्की फुहार देते रहें. इसमें कई बार बोरॉन का इस्तेमाल बेहतर होता है. जब फल मटर के दाने के बराबर हो जाएं तो 2 ग्राम बोरेक्स प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. फलों को गिरने से बचाने के लिए अप्रैल महीने में फलों को गिरने से रोकने लिए प्लेनोफिक्स 90 मिलीलीटर दवा को 200 लीटर का छिड़काव करना चाहिए. अगर आम के बगीचे में इस तरह प्रबंधन करते हैं तो फलत तो बढ़ेगी ही फलों की क्वालिटी भी बेहतर होगी. इससे आपको बाजार में अच्छे दाम मिल पाएंगे. क्योंकि, फलों की क्वालिटी ही आपको सही दाम दिला पाएगी. इसलिए आम के बागों का बेहतर प्रबंधन अभी से शुरू कर दें.
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