पंजाब-हरियाणा में किसानों ने फिर जलाई पराली, सुप्रीम कोर्ट की फटकार का नहीं दिखा कोई असर

पंजाब-हरियाणा में किसानों ने फिर जलाई पराली, सुप्रीम कोर्ट की फटकार का नहीं दिखा कोई असर

पंजाब और हरियाणा में जलाई गई पराली से दिल्‍ली में भी प्रदूषण का स्‍तर बढ़ने लगता है. इसके लिए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए दोनों राज्‍यों की सरकारों की ये घटनाएं न रोक पाने के लिए आलोचना की थी. अब शुक्रवार को फिर इन राज्‍यों में पराली जलाने के कुछ मामले सामने आएं हैं.

Advertisement
पंजाब-हरियाणा में किसानों ने फिर जलाई पराली, सुप्रीम कोर्ट की फटकार का नहीं दिखा कोई असरपंजाब-हरियाणा में फिर सामने आई पराली जलाने की घटनाएं. (फोटो- एएनआई)

पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं नहीं रुकने पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दोनों राज्‍य की सरकारों को फटकार लगाई है. वहीं, केंद्र सरकार को पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ जुर्माना बढ़ाने पर विचार करने को कहा है. बावजूद इसके इन राज्‍यों में पराली जलाने की घटनाएं बंद नहीं हो रही हैं. न्‍यूज एजेंसी एएनआई के मुताबि‍क, शुक्रवार को हरियाणा के कैथल जिले और करनाल-जींद रोड क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं. वहीं पंजाब में अमृतसर के हरदो पुतली गांव और बरनाला के हंडियाया गांव में भी पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं.

सुप्रीम कोर्ट ने की थी आलोचना

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 23 अक्टूबर को हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश ना लगा पाने को लेकर दोनों राज्‍यों की सरकारों की आलोचना करते हुए कहा था कि यहां इस समस्‍या से निपटने के लिए पर्याप्‍त कार्रवाई नहीं की गई. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्‍प्‍णी करते हुए कहा कि स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना सभी नागरिकों का मौलिक अधिकार है. 

न्यायमूर्ति अभय एस ओका, एहसानुद्दीन अमानुल्लाह और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों पर पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई न करने और कुछ मामलों में केवल नाममात्र जुर्माना वसूलने पर भी कड़ी आपत्ति जताई थी. 

ये भी पढ़ें - धान की धीमी खरीद, FIR और रेड एंट्री...इन तीन वजह से आंदोलन पर उतरे पंजाब के किसान

सरकार की कार्रवाई से किसान नाराज

बता दें कि इस हफ्ते यानी सोमवार से हरियाणा में पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई देखने को मिल रही है. कई जिलों में किसानों पर एफआईआर दर्ज करने, गिरफ्तारी, जुर्माना और फसल पोर्टल पर रेड एंट्री जैसी कार्रवाई की जा रही है. इसे लेकर कई किसान नेताओं और संगठनों ने रोष जताया है. किसान संगठनों ने मांग की है कि सरकार इस तरह की कार्रवाई न करे और पराली प्रबंधन के लिए मशीनरी उपलब्ध कराए. वहीं, 1000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी को भी बढ़ाए. 

खेत में जलती पराली. (फोटो-एएनआई)
खेत में जलती पराली. (फोटो- एएनआई)

दिल्‍ली में बढ़ता है प्रदूषण

मालूम हो कि पराली जलाने से सबसे पहले स्‍थानीय स्‍तर पर वायु प्रदूषण बढ़ता है और खेत-मिट्टी को भी बहुत नुकसान पहुंचता है. वहीं इन राज्‍यों में जलने वाली पराली का धुआं दिल्‍ली की हवा को भी काफी प्रभावित करता है, जिससे वहां की वायु गुणवत्ता खतरनाक स्‍तर पर पहुंच जाती है. दिल्‍ली में प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि लोगों को आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्‍कत महसूस होने जैसी समस्‍याएं झेलनी पड़ती हैं. इस भयावह प्रदूषण से सबसे ज्‍यादा खतरा बच्‍चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को होता है. 

हरियाणा में मदद बढ़ाने पर विचार

इधर, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा है कि हमारी सरकार पराली न जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1,000 रुपये सहायता दे रही है. हम इस राशि को और बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं. सीएम नायब सैनी ने कहा, ''मैंने हाल ही में एक बैठक में अधिकारियों से कहा है कि अगर सब्सिडी बढ़ाने की जरूरत है तो बढाएं और किसानों को पराली प्रबंधन की जरूरी मशीनें उपलब्ध कराएं." 

POST A COMMENT