राजस्थान और गुजरात में जीरे की बुवाई में देरी, कई जगहों पर नई फसल भी हुई खराब

राजस्थान और गुजरात में जीरे की बुवाई में देरी, कई जगहों पर नई फसल भी हुई खराब

जीरे के सबसे बड़े उत्पादक राज्य गुजरात में, रबी 2024-25 फसल सीजन के दौरान 25 नवंबर तक केवल 57,915 हेक्टेयर में जीरे की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 2.44 लाख हेक्टेयर में जीरे की बुआई हुई थी.

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राजस्थान और गुजरात में जीरे की बुवाई में देरी, कई जगहों पर नई फसल भी हुई खराबजीरे की बुवाई में देरी

भारतीय रसोई की कल्पना मसालों के बिना नहीं की जा सकती है. इसमें जीरा भी ऐसा ही एक प्रमुख मसाला है. बात करें जीरे के प्रमुख उत्पादक राज्य की तो इसमें गुजरात और राजस्थान शामिल हैं. लेकिन इन दोनों राज्यों में मौसम संबंधी समस्याओं के कारण बुवाई में देरी हो गई है. पिछले कुछ हफ्तों में दिन के तापमान में वृद्धि ने जीरे की बुआई को प्रभावित किया है और कई जगहों पर नई फसल भी खराब हो गई है. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि बुआई की अवधि 20 दिसंबर तक बढ़ने की संभावना है. इसलिए किसान देर से भी जीरे की बुवाई कर सकते हैं.

सबसे बड़े उत्पादक राज्य गुजरात में, रबी 2024-25 फसल सीजन के दौरान 25 नवंबर तक केवल 57,915 हेक्टेयर में जीरे की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 2.44 लाख हेक्टेयर में जीरे की बुआई हुई थी.

जीरे की बुवाई में 20-25 दिन की देरी

राज्य कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, गुजरात में जीरे के लिए 3.81 लाख हेक्टेयर से अधिक के सामान्य फसल क्षेत्र में से अब तक केवल 15 प्रतिशत क्षेत्र को कवर किया गया है. वहीं, दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान में भी स्थिति बहुत अलग नहीं है. बीज मसालों के लिए सबसे बड़ा व्यापार संगठन, फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टेकहोल्डर्स के सचिव तेजस गांधी ने कहा कि हाल के दिनों में बढ़े हुए तापमान के कारण जीरे की बुआई में 20-25 दिन की देरी हुई है.

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जीरे का रकबा अच्छा रहने की उम्मीद

तेजस गांधी ने कहा कि इस साल रकबा अच्छा रहने की उम्मीद है. राजस्थान में रकबे में बढ़ोतरी हो सकती है, जबकि गुजरात में रकबा पिछले साल के स्तर का 80-90 प्रतिशत रहने की संभावना है. उन्होंने कहा कि सौंफ उगाने वाले किसानों का एक वर्ग इस साल जीरे की खेती कर सकता है.

20 दिसंबर तक कर सकते हैं बुवाई

जोधपुर में साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर के संस्थापक निदेशक भागीरथ चौधरी ने कहा कि राजस्थान में दिन के बढ़े हुए तापमान ने जीरे और कुछ क्षेत्रों में सरसों की नई फसल को प्रभावित किया है. चौधरी ने कहा कि जिन किसानों को रबी में बोई गई नई फसलों को समस्या का सामना करना पड़ा हो, वे जीरे की फिर से बुवाई कर सकते हैं क्योंकि बुवाई का समय 20 दिसंबर तक बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसबगोल उत्पादकों का एक वर्ग जीरे की ओर रुख कर सकता है.

जीरे की बुवाई के लिए सही समय अक्टूबर के अंत से नवंबर के मध्य तक का होता है. वहीं, इस साल मौसम बुवाई के लिए अनुकूल नहीं रहा है और राजस्थान के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों जैसे जैसलमेर, फलोदी और नागौर सहित अन्य जिलों में अंकुरण की समस्याएं आई हैं. हालांकि, अब तापमान में गिरावट आ रही है और बुवाई में तेजी देखी जा रही है.

अधिक सर्दी से जीरे को होगा फायदा

जोधपुर में मसाला व्यापारी और जीरा निर्यातक दिनेश सोनी ने कहा कि बुवाई में 20-25 दिन की देरी हो रही है, इसलिए लंबी सर्दी से फसल को फायदा होगा. बुधवार को एनसीडीईएक्स पर जीरा मार्च 2025 अनुबंध 2 फीसदी की गिरावट के साथ 24720 रुपये पर था, जबकि हाजिर कीमतें 24,881 रुपये के आसपास थीं. मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 2023-24 के दौरान भारत का जीरा उत्पादन 11.87 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र से बढ़कर 8.6 लाख टन हो गया है. पिछले वर्ष जीरा उत्पादन 9.37 लाख हेक्टेयर में 5.77 लाख टन था.

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