पंजाब के मानसा जिले में इस बार कपास उत्पाद किसानों को खासा नुकसान हो रहा है. कहीं फसलों के ऊपर कीटों के हमले हो रहे हैं, तो कहीं पर बीज ही अंकुरित नहीं हुए हैं. इससे किसानों के ऊपर आर्थिक नुकसान का बोझ बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे तो आपको जिले में कई ऐसे किसान मिल जाएंगे, जिनके खेत में कपास के बीच अच्छी तरह से अंकुरित नहीं हुए हैं. लेकिन हम जिस किसान के बारे में बात करने जा रहे हैं, उन्होंने लीज पर जमीन लेकर खेती की थी. अब बीज अंकुरित नहीं होने से उनकी चिंता बढ़ गई है.
दैनिक ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, इस किसान का नाम कुलदीप सिंह चहल है. वे मानसा के खियाली चाहियांवाली गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने कपास की खेती के लिए चार एकड़ जमीन लीज पर लेने के बाद कपास की बुवाई कर दी. लेकिन उन्हें उस समय झटका लगा जब अप्रैल में खरीदे गए बीज अंकुरित नहीं हुए. 5 मई को उन्होंने फिर से नए बीज खरीदे और बोए. वे कहते हैं कि उन्हें बहुत निराशा हुई कि वे बीज भी अंकुरित नहीं हुए. उन्होंने कहा कि मैंने फिर से बीज खरीदे और उन्हें अपने खेत में बोया.
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कुलदीप सिंह चहल ने कहा कि दूसरी खेप के बीज भी अंकुरित नहीं हुए. जब दूसरे कपास किसानों को इस बारे में पता चला तो उन्होंने मुझे सलाह दी कि मैं बीज पर फिर से पैसा खर्च करने के बजाय खेत को ऐसे ही छोड़ दूं. मुझे लीज के पैसे और डीजल से ट्यूबवेल चलाने की लागत के कारण 80,000 रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. उन्होंने कहा कि मेरी एकमात्र राहत यह है कि खेती के लिए इस्तेमाल किए गए दूसरे ब्रांड के बीज अंकुरित हुए है. जबकि, दुख की बात है कि कुलदीप का मामला अकेला ऐसा नहीं है जहां बीज अंकुरित नहीं हुए है, जिले में ऐसे बहुत से किसान हैं.
मानसा के गांवों में किसानों द्वारा खराब गुणवत्ता वाले बीजों की शिकायत किए जाने के बाद, राज्य कृषि विभाग ने पिछले महीने मानसा के स्टोरों से नौ कंपनियों के बीजों के नमूने लिए. पिछले सप्ताह आए परिणामों ने अधिकारियों और किसानों की सबसे बड़ी आशंकाओं की पुष्टि की, क्योंकि बीजों में अंकुरण क्षमता कम थी. कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि हमने बीज अधिनियम, 1966 और बीज नियंत्रण आदेश, 1983 के तहत नौ डीलरों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं, जिनके बीजों के 11 नमूनों में अंकुरण क्षमता कम पाई गई थी.
पंजाब के कृषि और किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुदियान ने द ट्रिब्यून को बताया कि उन्होंने अपने अधिकारियों से पहले ही कह दिया है कि इस तरह की गतिविधियों में लिप्त किसी को भी न बख्शा जाए. उन्होंने कहा कि किसानों को धोखा देने वाले किसी भी व्यक्ति से सख्ती से निपटा जाएगा. हमने इन बीजों की आपूर्ति करने वाली पांच बीज कंपनियों को पहले ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. एक अन्य कपास किसान बलकार सिंह ने अफसोस जताया कि हालांकि कपास उत्पादक इस साल बीजों की गुणवत्ता के बारे में शिकायत कर रहे थे, लेकिन उनकी अंकुरण क्षमता की जांच के लिए कोई नमूना नहीं लिया गया.
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उन्होंने कहा कि कुछ बीज अंकुरित हुए भी, लेकिन उनका विकास रुक गया. अगर सैंपलिंग पहले की गई होती, तो किसान दूसरी कंपनियों के बीज खरीदकर बोते. किसानों ने दो बार बीज बोए, लेकिन अंकुरण नहीं हुआ, जिससे भारी नुकसान हुआ. बठिंडा के कुछ गांवों में भी कपास की फसल में विकास रुकने की समस्या सामने आई है. हालांकि, राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि वहां यह समस्या कमजोर मॉनसून और संबंधित पर्यावरणीय कारकों का परिणाम है. विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लेकिन हां, यह भी चिंता का विषय है, क्योंकि कमजोर कपास के पौधे कीटों के हमले के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं. हमें आने वाले दिनों में बारिश की उम्मीद है, जिससे कपास की फसल को मदद मिलेगी.
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