कॉफी के भाव आसमान पर, फिर भी मायूस हैं केरल के किसान...वजह जान लें

कॉफी के भाव आसमान पर, फिर भी मायूस हैं केरल के किसान...वजह जान लें

केरल के जिन क्षेत्रों में अधिक मात्रा में कॉफी उगाई जाती है उनमें से अधिकांश में गर्मियों में बारिश नहीं हुई है. ऐसे में केवल कुछ ही कॉफी किसान हैं जिनके बागानों में सिंचाई की सुविधाएं हैं. इसके अलावा सभी किसान बारिश पर ही निर्भर रहते हैं.

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कॉफी के भाव आसमान पर, फिर भी मायूस हैं केरल के किसान...वजह जान लेंकॉफी के भाव में इजाफा

कॉफी की बढ़ती कीमतें केरल के किसानों को खुश नहीं कर पा रही हैं. दरअसल लगातार तेजी से बढ़ रहे कॉफी के दाम से भी केरल के वायनाड, नीलगिरी सहित कई क्षेत्रों के किसान काफी मायूस हैं. इसका कारण चिलचिलाती गर्मी को माना जा रहा है. इस गर्मी से किसानों को ये चिंता है कि उनकी आगे की फसल भी मौसम के कारण कमजोर रहेगी. ऐसा माना जा रहा है कि गर्मियों की बारिश के अभाव के कारण पौधे मुरझा रहे हैं. कॉफी के पौधों में फूल खिलने के लिए फरवरी में गर्मियों की बारिश जरूरत होती है. लेकिन इस साल फरवरी महीने में बारिश नहीं होने से किसानों में मायूसी छाई हुई है.

गर्मी में कम बारिश है वजह

केरल के जिन क्षेत्रों में अधिक मात्रा में कॉफी उगाई जाती है, उनमें से अधिकांश में गर्मियों में बारिश नहीं हुई है. ऐसे में केवल कुछ ही कॉफी उत्पादक हैं जिनके बागानों में सिंचाई की सुविधाएं हैं. इसके अलावा सभी किसान बारिश पर ही निर्भर रहते हैं. इसलिए कीमतों में लगातार बढ़ोतरी का एक कारण कमजोर फसल को बताया जा रहा है. वहीं कम उत्पादन के बीच कई प्रमुख कंपनियां कॉफी खरीदने की होड़ में हैं.

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224 रुपये बढ़े कॉफी के दाम

आपको बता दें कि रोबस्टा कॉफी की फार्म गेट कीमत, जो केरल के वार्षिक उत्पादन 2022-2023 में 70000 टन का 70 प्रतिशत है, उसकी कीमत अब 29 अप्रैल, 2024 को 224 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक दर्ज की गई है. कीमतों में बढ़ोतरी के बीच भी किसान चिंतित हैं. किसान इन बढ़ती हुई कीमतों से ज़रा भी उत्साहित नहीं हैं. इस बारे में जॉर्ज डैनियल, उप निदेशक, क्षेत्रीय कॉफी अनुसंधान स्टेशन, चुंडेल ने बताया कि गर्मियों में बारिश की कमी के साथ-साथ वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि से अगले साल क्षेत्र में कॉफी उत्पादन प्रभावित होगा.

उत्पादन में गिरावट की आशंका

जॉर्ज डेनियल ने कहा कि इस क्षेत्र में 'अल नीनो' के बाद का प्रभाव देखा जा रहा है. कई हिस्सों में गर्मियों में हल्की बारिश हुई और फूल आना शुरू हो गया था. हालांकि बारिश लगातार नहीं हुई, केवल पर्याप्त सिंचाई सुविधाओं वाले किसान ही इस विकट स्थिति में सिंचाई का इंतजाम कर पाए हैं क्योंकि लगभग सभी जल स्रोत सूख गए हैं. इस बारे में विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि स्थिति की गंभीरता का आकलन जून के अंत तक ही किया जा सकता है, जब फल पकने के लिए तैयार हो जाएंगे. ऐसे में केरल के कई जिलों में उत्पादन में गिरावट की आशंका है.

किसानों को बारिश का इंतजार

इस बीच एक कॉफी बागान मालिक ने कहा कि इस साल कॉफी बेल्ट में एक बार भी बारिश नहीं हुई. साथ ही तालाबों में पानी का भंडारण सूख गया, इसलिए उनके पास बारिश का इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. वहीं केरल कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र (आरएआरएस), अंबालावायल के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष (2024) पहले तीन महीनों (जनवरी से मार्च) में, कुल वर्षा केवल 29.3 मिमी हुई है, जबकि, पिछले तीन वर्षों (2023,2022, 2021) में इसी अवधि के दौरान वर्षा 115.5 मिमी, 149.5 मिमी और 139.7 मिमी हुई थी.

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