चिरौंजी के बारे में बहुत कुछ बताने की जरूरत नहीं. आप खुद भी इससे पूरी तरह वाकिफ होंगे. खासकर मिठाई और सूखे मेवे में इसका इस्तेमाल खूब देखते होंगे. स्वाद में भी यह मजेदार होता है. लेकिन क्या कभी सोचा है कि यह चिरौंजी कहां से आता है? कभी सोचा है कि चिरौंजी का पेड़ या पौधा कैसा होता है? अगर नहीं तो हम आपको बताएंगे कि चिरौंजा क्या है, उसके फायदे क्या हैं और यह भी जानेंगे कि चिरौंजी की बागवानी कर किसान कैसे मुनाफा कमा सकते हैं.
चिरौंजी से कमाई के बारे में जानने से पहले आइए इसकी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां ले लेते हैं. चिरौंजी एक सदाबहार वृक्ष है जिसकी ऊंचाई 15 से 25 फीट तक हो सकती है. इस वृक्ष की छाल बहुत मोटी और खुरदरी होती है. पत्तियां भी बड़ी होती हैं. इसके फल अंडाकार और गोल होते हैं जिसका आकार 8.12 मिमी तक हो सकता है. इस फल की गुठली को फोड़कर चिरौंजी निकाली जाती है और उसे ही बाजार में बेचा जाता है. कमाई के लिहाज से चिरौंजी के फल, चिरौंजी गोंद और चिरौंदी दाना तीनों ही महत्वपूर्ण हैं.
चिरौंजी में भरपूर प्रोटीन पाया जाता है. इसलिए शरीर में अगर प्रोटीन की कमी हो, तो चिरौंदी उसे पूरा करने में मदद करता है. चिरौंजी को मिठाई में और सूखे मेवे में इस्तेमाल किया जाता है. जिन्हें कमजोरी हो, वे चिरौंजी के सेवन से इसे दूर कर सकते हैं. अगर सर्दी-जुकाम की शिकायत हो, तो चिरौंजी को दूध के साथ पकाकर खाने से राहत मिलती है. सौंदर्य उत्पाद में भी चिरौंजी बड़ा रोल निभाता है. तभी इसे फेशियल या क्रीम आदि में प्रयोग किया जाता है. इसे चेहरे पर लगाने से चमक आती है और कील-मुहांसे की समस्या दूर होती है. चिरौंजी के गोंद का प्रयोग कई रोगों के इलाज में होता है. पेय पदार्थों में भी गोंद मिलाने के काम आता है.
चिरौंजी की बागवानी में अधिक मेहनत नहीं होती क्योंकि इसे आसानी से बोया जा सकता है. देखभाल की जरूरत नहीं होती क्योंकि जंगली जानवर इसे नहीं खाते. जंगली पौधा होने के चलते इसे पानी की अधिक जरूरत नहीं होती. जमीन उपजाऊ न भी हो या पथरीली जमीन भी हो, तो उस पर चिरौंजी उगाया जा सकता है. इसके पौधे पर कीट, या रोगों का असर नहीं होता. देखभाल कम और कमाई अधिक, चिरौंजी के साथ यही खास बात है.
चिरौंजी से मिलने वाले उत्पाद की बाजार में बेहतर कीमत मिलती है. इसके हर उत्पाद महंगे बिकते हैं. इसकी खेती बड़े स्तर पर की जाए तो कमाई लाखों में हो सकती है. जिन किसानों के पास पर्याप्त खेत है, वे अधिक कमाई कर सकते हैं. जिनके पास कम खेत है, वे धान-गेहूं के मेढ़ पर इसे लगाकर चिरौंजी की पैदावार ले सकते हैं.
चिरौंजी का फल पकने में 4-5 महीने लग जाते हैं. फरवरी के पहले सप्ताह से तीसरे सप्ताह तक इसके फूल आते हैं. इसके फलों की तुड़ाई अप्रैल-मई में की जाती है. इसे पके फल मीठे और स्वादिष्ट होते हैं जिन्हें खाया जाता है. तुड़ाई के बाद फल को एक रात के लिए पानी में भिगाया जाता है और उसके बाद उसे धोकर दो-तीन दिन धूप में सुखाया जाता है. फिर उसकी गुठली निकाली जाती है. गुठली को ओखली में कूट कर उसके दाने निकाले जाते हैं. यह काम हाथ से किया जा सकता है. अगर पूंजी हो, तो इन काम के लिए मशीन भी आती है.
एक एकड़ जमीन पर 5-5 मीटर के फासले पर चिरौंजी के 160 पेड़ लगाए जा सकते हैं. औसतन एक पेड़ से साल में 20 किलो गुठली मिलती है. इन गुठलियों को कम से कम 80-100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा सकता है. अस्सी रुपये के हिसाब से एक एकड़ में 2.5 लाख से अधिक की कमाई की जा सकती है. अगर खरीदार गुठली के दाम 100 रुपये तक देने को तैयार हो जाए, तो यह कमाई और भी बढ़ जाएगी.
कमाई और भी अधिक बढ़ानी है तो गुठली से घर पर ही दाने निकाले और बेचे जा सकते हैं. एक पेड़ से 4 किलो तक चिरौंजी दाना मिलता है. यह दाना बाजार में 800-1000 रुपये प्रति किलो तक बिकता है. इस तरह एक एकड़ में अगर 160 पेड़ लगाए जाएं तो चिरौंजी दाने से साल में 5 लाख रुपये से भी अधिक कमाई की जा सकती है. अगर ऑनलाइन मार्केट प्लेस पर अपने खेत का चिरौंजी बेचा जाए तो किसान को 160 रुपये प्रति 100 ग्राम तक कमाई हो सकती है. इस तरह किलो का भाव 1600 रुपये तक जा सकता है. इस हिसाब से देखें तो एक एकड़ में चिरौंजी से 10 लाख से अधिक कमाई पाई जा सकती है.
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