चने का रकबा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने किया आग्रह, इन राज्यों से की अपील

चने का रकबा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने किया आग्रह, इन राज्यों से की अपील

उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव निधि खरे ने कहा कि किसानों को रबी सीजन में चने की बुवाई क्षेत्र बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना कीमत को स्थिर बनाए रखने में सहायक होगी. साथ ही किसानों की भी आय में बढ़ोतरी होगी. बता दें कि चना एक ऐसी फसल है, जो कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देती है.

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चने का रकबा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने किया आग्रह, इन राज्यों से की अपीलचने का रकबा बढ़ाने का आग्रह

रबी सीजन में देश के अलग-अलग राज्यों में चने की बुवाई जारी है. इसी बीच उपभोक्ता मामलों के विभाग (डीओसीए) की सचिव निधि खरे ने मध्य प्रदेश समेत सभी चना उत्पादक राज्यों से चने के बुवाई क्षेत्र को बढ़ाने का आग्रह किया है. निधि खरे ने राज्यों से किए आग्रह में कहा है कि देश में चना का उत्पादन क्षेत्र बढ़ाया जाना जरूरी हो गया है, ताकि चने की महंगाई पर अंकुश लगाया जा सके. उन्होंने कहा है कि प्रमुख दाल उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में इस रबी सीजन में चना की बुवाई क्षेत्र में विस्तार किया जाए.

किसानों को प्रोत्साहित करना जरूरी

निधि खरे ने कहा कि किसानों को रबी सीजन में चने की बुवाई क्षेत्र बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना कीमत को स्थिर बनाए रखने में सहायक होगी. साथ ही किसानों की भी आय में बढ़ोतरी होगी. इस बार केंद्र सरकार को घरेलू आपूर्ति सुचारू रखने के लिए तंजानिया और ऑस्ट्रेलिया से चना और मटर आयात करनी पड़ी थी.

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250 रुपये बढ़ा चने का एमएसपी 

बता दें कि चना के प्रति किसानों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने 2025-26 के लिए चना के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की है. 2025-26 के विपणन वर्ष (अप्रैल-जून) के लिए चने का एमएसपी 250 रुपये बढ़ाकर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है. यह कदम किसानों को अधिक बुआई के लिए प्रेरित करेगा, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पर किसान प्राकृतिक बारिश पर ज्यादा निर्भर हैं.

चने के रकबे में भारी गिरावट 

चना एक ऐसी फसल है, जो कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देती है. मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में अब तक बड़े हिस्से में चने की बुआई हो चुकी है, कुछ किसान अब भी बुवाई कर रहे हैं, जो जल्द ही पूरी हो जाएगी. वहीं, 2023-24 के फसल वर्ष में चना का उत्पादन 10 फीसदी गिरावट के साथ 11.03 मिलियन टन रहा, जो पिछले साल के मुकाबले काफी कम रहा है. इस वजह से देश में दालों का उत्पादन 7 फीसदी घटकर 24.24 मिलियन टन रह गया है.

पैदावार बेहतर रहने की संभावना

पिछले साल चने का जरूरत भर उत्पादन नहीं हुआ, इस वजह से सरकार को पीली मटर और देसी चना के आयात को प्रोत्साहित करना पड़ा था. पीली मटर और विदेशी चने के आयात से घरेलू जरूरतें पूरी करनी पड़ी थीं. डीओसीए सचिव निधि खरे ने कहा चना की उपलब्धता देश में महंगाई और मूल्य स्थिरता के लिए बेहद जरूरी है. चना हमारे देश में एक बहुउपयोगी खाद्यान्न है. चना का इस्तेमाल साबुत चना, चना दाल और बेसन के रूप में किया जाता है.

सरकार ने किसानों के लिए उचित और लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए एमएसपी तहत चना की खरीदारी करने की घोषणा की है. इस साल अच्छी मॉनसूनी बारिश हुई है, इस वजह से भूजल स्तर में सुधार देखने को मिला है. इस वजह से माना जा रहा है कि इस साल चना का पर्याप्त उत्पादन होगा. 

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