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बिहार में झुलसा रोग से आलू की फसल बर्बाद, किसान इन दवाओं का करें इस्तेमाल, नहीं होगा नुकसान

बिहार में झुलसा रोग से आलू की फसल बर्बाद, किसान इन दवाओं का करें इस्तेमाल, नहीं होगा नुकसान

फाइटोथोड़ा इंफेस्टेस नामक फंगस के चलते आलू की फसल में झुलसा रोग लगता है. खास बत यह है कि लगातार कई दिनों तक 15 डिग्राी से कम तापमान रहने पर देरी से बोई गई आलू की फसल झुलसा रोग की चपेट में आ जाती है.

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झुलसा रोग से कैसे करें बचाव. (सांकेतिक फोटो) झुलसा रोग से कैसे करें बचाव. (सांकेतिक फोटो)

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित पूरे उत्तर भारत में शीतलहर व कोहरे के साथ कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. इस सर्दी से गेहूं उत्पादक किसानों के चेहरे खिल गए हैं. क्योंकि गेहूं की फसल के लिए शीतलहर फायदेमंद होता है. लेकिन आलू की खेती करने वाले किसानों की शीतलहर और पाले ने चिंता बढ़ा दी है. कई राज्यों में पाला गिरने से आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की शिकायत आई है. किसानों का कहना है कि यदि मौसम में जल्द बदलान नहीं हुआ, तो लागत निकालना मुश्कल हो जाएगा. 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार बिहार में झुलसा रोग ने किसानों को ज्यादा परेशान कर दिया है. सारण जिले किसानों का कहना है कि ढ़ाई महीने में आलू की फसल तैयार हो जाती है. मौसम अच्छा रहने पर 20 कट्टे में 20 क्विंटल तक आलू की पैदावार मिलती है. लेकिन इस बार लागत निकालना मुश्किल हो गया है. आलू की फसल शीतलहर और पाले की चपेट में आ गई है. इससे आलू में झुलसा रोग लग गया है. लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. कृषि विभाग ने शीतलहर और पाले से फसल को बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है.

इस वजह से लगता है रोग

एडवाइजरी के मुताबिक, फाइटोथोड़ा इंफेस्टेस नामक फंगस के चलते आलू की फसल में झुलसा रोग लगता है. खास बत यह है कि लगातार कई दिनों तक 15 डिग्राी से कम तापमान रहने पर देरी से बोई गई आलू की फसल झुलसा रोग की चपेट में आ जाती है. इस रोग के लगने पर आलू की पत्तियां सूखने लगती हैं. फिर धीरे- धीरे पूरी फसल चौपट हो जाती है. इससे आलू का उत्पादन गिर जाता है.

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झुलसा रोग का उपचार

एडवाइजरी की माने तो झुलसा रोग से आलू की फसल को बचाने के लिए किसानों को मैकोजेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करें. किसान एक हेक्टेयर में दो किलो मैकोजेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते हैं. खास बात यह है कि घुलनशील चूर्ण का छिड़का 15 दिन पर करना चाहिए. इससे आलू की फसल के ऊपर झुलसा रोग का असर नहीं होता है. वहीं, 10 डिग्री से कम तापमान रहने पर किसान रिडोमिल 4 प्रतिशत एमआई का आलू की फसल के ऊपर छिड़काव कर सकते हैं. इसके अलावा किसानों को खेत में जरूरत से ज्यादा कीटनाशकों का भी छिड़काव नहीं करना चाहिए. इससे भी फसल को नुकसान पहुंचता है.

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