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धान की नर्सरी लगाने से पहले इस बात पर दें ध्यान, संतुलित खाद के इस्तेमाल से होगा बड़ा फायदा

धान की नर्सरी लगाने से पहले इस बात पर दें ध्यान, संतुलित खाद के इस्तेमाल से होगा बड़ा फायदा

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सबसे पहले बीज का चयन सावधानीपूर्वक करें. इसके लिए आधार व प्रमाणित बीज का ही प्रयोग करें. इसमें पूर्ण जमाव, किस्म की शुद्धता और स्वस्थ होने की प्रमाणिकता होती है. धान की पौध तैयार करने के लिए 8 मीटर लम्बी एवं 1.5 मीटर चौड़ी क्यारियां बना लेते हैं. जब तक नई पौध हरी न हो जाए, पक्षियों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए विशेष सावधानी बरती जाए.

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धान की खेती धान की खेती

खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान की खेती का समय आ गया है. किसान इसकी नर्सरी लगाने की तैयारी कर रहे हैं. नर्सरी लगाने से पहले अच्छी किस्म के बीजों की सबसे पहली जरूरत होती है. अगर अच्छी किस्म के बीज के साथ ही किसान वैज्ञानिक तरीके से इसकी नर्सरी लगाएं और खेती करें तो ज्यादा फायदा होगा. दरअसल मई महीने से धान की खेती तैयारी शुरू हो जाती है, ऐसे में सबसे जरूरी होता है कि आप धान की नर्सरी कैसे तैयार करते हैं. क्योंकि नर्सरी के समय ही ध्यान देकर कई तरह के रोग और कीटों से होने वाले नुकसान से बच सकते हैं. साथ ही खरपतवार भी खत्म करके फसलों की अच्छी पैदावार ले सकते हैं. इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने कुछ टिप्स दिए हैं.

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सबसे पहले बीज का चयन सावधानीपूर्वक करें. इसके लिए आधार व प्रमाणित बीज का ही प्रयोग करें. इसमें पूर्ण जमाव, किस्म की शुद्धता और स्वस्थ होने की प्रमाणिकता होती है. धान की पौध तैयार करने के लिए 8 मीटर लम्बी एवं 1.5 मीटर चौड़ी क्यारियां बना लेते हैं. जब तक नई पौध हरी न हो जाए, पक्षियों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए विशेष सावधानी बरती जाए. शुरू के 2-3 दिनों तक अंकुरित बीजों को पुआल से ढके रहें. नर्सरी क्यारियों के ऊपर अंकुरित बीजों को समान रूप से छिड़क दें.

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बीज बोने से पहले क्या करें

धान की नर्सरी के लिए मध्यम आकार की प्रजातियों के लिए 40 किलोग्राम मोटे धान के लिए 45 किलोग्राम तथा बासमती प्रजातियों के लिए 20-25 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है. धान के बीज को बोने से पूर्व 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा या 2.5 ग्राम कार्बण्डाजिम या थीरम से बीजोपचार कर लेना चाहिए. जहां पर जीवाणु झुलसा या जीवाणुधारी रोग की समस्या हो वहां पर 25 किलोग्राम बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या 40 ग्राम प्लांटोमाइसीन को मिलाकर पानी में रातभर भिगो दें तथा 24-36 घंटे तक जमाव होने दें. बीच-बीच में पानी का छिड़काव करते रहें तथा दूसरे दिन छाया में सुखाकर नर्सरी में डाल दें.

 सिंचाई और मिट्टी पर ध्यान दें

स्वस्थ एवं रोगमुक्त पौध तैयार करने के लिए उचित जल निकास एवं उच्च पोषक तत्वों से मुक्त दोमट मिट्टी का इस्तेमाल करें. सिंचाई के स्रोत के पास पौधशाला का चयन करें. बुवाई से एक महीने पहले नर्सरी तैयार की जाती है. नर्सरी क्षेत्र में 15 दिनों के अंतराल पर पानी देकर खरपतवारों को उगने दिया जाए तथा हल चलाकर या अवरणात्मक (नॉन सेलेक्टिव) खरपतवारनाशी जैसे कि पैराक्वाट या ग्लाइफोसेट का एक किलोग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव करके खरपतवारों को नष्ट कर दें. ऐसा करने से धान की मुख्य फसल में भी खरपतवारों की कमी आएगी. नर्सरी क्षेत्र को गर्मियों में (मई-जून) अच्छी तरह 3-4 बार हल से जुताई करके खेत को खाली छोड़ने से मिट्टी से संबंधित रोगों में काफी कमी आती है.

कितनी खाद डालें

अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए संतुलित पोषक तत्वों के उपयोग करें. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार 1000 वर्गमीटर क्षेत्र के लिए 10 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद, 10 किलोग्राम डाई-अमोनियम फॉस्फेट तथा 2.5 किलोग्राम जिंक सल्फेट जुताई से पहले मिट्टी में अच्छी तरह मिलाने के बाद में बुवाई करें. अगर 10-12 दिनों बाद पौधों का रंग हल्का पीला हो जाए, तो एक सप्ताह के अंतराल पर दो बार 10 किलोग्राम यूरिया/1000 मीटर की दर से मिट्टी की ऊपरी सतह पर मिला दें, जिससे पौध की बढ़वार अच्छी होगी.

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