औषधीय खूबियों के चलते काला चावल तेजी से लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है. हालांकि, इसकी महंगी कीमत के चलते यह बड़े पैमाने पर लोगों की रसोई तक नहीं पहुंच पा रहा है. काला चावल मणिपुर में भारी मात्रा में उगाया जाता है. आमतौर पर स्वास्थ्य लाभ के लिए लोग इस चावल का इस्तेमाल करते हैं. किसान उत्पादक संगठनों के जरिए काला चावल को बाजार भाव से 25 फीसदी सस्ता बेचा जा रहा है. कम कीमत में इस चावल को ऑनलाइन सरकारी प्लेटफॉर्म ओएनडीसी (डिजिटल कॉमर्स नेटवर्क) से खरीदा जा सकता है.
काला चावल की पैदावार सबसे पहले चीन में हुई थी, बाद में यह भारत के मणिपुर में उगाया जाने लगा. इसे मणिपुर काला धान या चखाओ काला धान के नाम से जाना जाता है. इसे अनुकूल मौसम और जलवायु के चलते असम और सिक्किम में भी उगाया जाता है. हालांकि, कुछ किसान महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भी इसकी खेती कर रहे हैं. यह काला धान 100 से-120 दिन में तैयार हो जाता है और इसका पौधा पौधा 4.5 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है, जो आम धान के पौधे की तुलना में बड़ा होता है.
काला चावल को अपना आकर्षक रंग एंथोसायनिन से मिलता है, एक प्राकृतिक काले रंग का रंगद्रव्य जो इन चावलों को असाधारण एंटी-ऑक्सीडेंट गुण और अन्य स्वास्थ्य लाभयुक्त बना देता है. इसे जैविक तरीके से उगाया जाता है, जिससे इसमें न्यूट्रीशन वैल्यू बढ़ जाती है. किसान काला धान बुवाई के दौरान जीबामृत, वर्मीकम्पोस्ट और जैव उर्वरक का उपयोग करते हैं. अन्य प्रकार के चावल की तुलना में काले चावल में विशेष रूप से पोषक तत्व अधिक होते हैं. लेकिन यह विशेष रूप से एंथोसायनिन से समृद्ध है और पॉवरफुल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है जो शरीर की कोशिकाओं को नुकसान होने से बचाते हैं.
काला धान भी आम धान की तरह ही बाली की शुरुआत और दाना भराव होता है. इसका उत्पादन औसतन प्रति एकड़ 12-15 क्विंटल होता है. काले चावल का इस्तेमाल ज्यादातर औषधि के रूप में खीर के रूप में किया जाता है. काला चावल का आटा, सूजी, सिरप, बीयर, वाइन, केक, ब्रेड, लड्डू और अन्य मीठे खाद्य पदार्थ और ब्यूटी प्रोडक्ट समेत कुछ अन्य वस्तुओं को बनाने में किया जाता है.
काला धान की खेती आम धान की तरह ही की जाती है, लेकिन इसके चावल की कीमत अन्य चावल की तुलना में दोगुनी कीमत में बिकता है. आमतौर पर सामान्य धान का चावल 50-60 रुपये प्रति किलो में बिकता है. जबकि, काला चावल बाजार में 200-260 रुपये प्रतिकिलो में बिकता है. लेकिन, किसान उत्पादक संगठनों के जरिए काला चावल को 25 फीसदी छूट के केवल 150 रुपये प्रति किलो कीमत में सरकारी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ओएनडीसी पर बेचा जा रहा है. इसका मतलब है कि ओएनडीसी पर काला चावल सीधे करीब 100 रुपये प्रतिकिलो सस्ता मिल रहा है.
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— SFAC India (@sfacindia) March 23, 2024
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