इस साल सेब का दाम काफी कम रहा है, लेकिन केले का भाव आसमान पर है. इसलिए आम का सीजन शुरू होने वाला है, लेकिन चर्चा में केले के दाम बने हुए हैं. क्योंकि पिछले साल तक थोक मंडियों में केले का भाव 500 से 700 रुपये प्रति क्विंटल तक रहता था, लेकिन इस बार थोक बाजारों में ही केले का भाव औसतन 2000 से 3500 रुपये तक पहुंच गया है. आलम ये है कि जिन मंडियों में आवक कम है वहां 3500 से 5000 रुपये तक का भाव पहुंच गया है. एक्सपोर्ट क्वालिटी का केले का भाव ज्यादा है. क्योंकि घरेलू और एक्सपोर्ट दोनों की मांग बढ़ी हुई है. इस सप्ताह शुरू हो रहे नवरात्र और रमजान की वजह से केले की महंगाई में और तड़का लगने वाला है. आखिर केले का दाम इतना बढ़ने की वजह क्या है? इस खबर में इसी बात का समझने की कोशिश करेंगे.
केला एक बारहमासी फल है जो बाजार में हर समय दिखता है. लेकिन, दाम को लेकर स्थितियां काफी बदल गई हैं. पहले व्यापारियों को फोन करके केला खरीदने के लिए बुलाना पड़ता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है. केला खरीदने के लिए व्यापारी सीधे किसानों के खेत में जा रहे हैं. केला किसान संघ के अध्यक्ष किरण चव्हाण का कहना है कि आम की आवक शुरू हो गई है, इसलिए सिर्फ त्यौहार की वजह से ही दाम बढ़ेगा. उसके बाद दाम स्थिर हो जाएगा. अभी एक्सपोर्ट वाले केले का भाव 30 से 35 रुपये किलो तक है. बारिश से बड़े पैमाने पर जो केला खराब हुआ है उसे घरेलू बाजार में बेचेंगे.
चव्हाण का कहना है कि इस साल महाराष्ट्र में केला उत्पादन कम हो गया है, जो देश का प्रमुख उत्पादक है. बेमौसम और बहुत बारिश की वजह से काफी खेती चौपट हो गई. उत्पादन कम होने की दूसरी वजह बीमारी है. राज्य में इस समय एक्सपोर्ट वाले केले का भाव किसानों को अच्छा मिल रहा है. फरवरी में एक्सपोर्ट होने वाले केला का दाम 40 से 45 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया था. एक्सपोर्ट क्वालिटी के केले का भाव बहुत अच्छा है. इससे कुछ किसान खुश हैं जबकि जिनकी फसल बारिश या बीमारी से नष्ट हो गई है वो निराश हैं.
अकोला जिले में केले की खेती करने वाले किसान सचिन पाटिल बताते हैं कि इस साल केले के उत्पादन में भारी गिरावट आई है, जिसकी वजह से दाम अच्छा मिल रहा है. पाटिल बताते हैं कि कुछ दिन पहले उन्होंने दस ट्रक यानि 100 क्विंटल केला दिल्ली की आजादपुर मंडी में भेजा, जिसका भाव उन्हें 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिला था. उत्पादन की कमी और डिमांड ज्यादा होने की वजह से व्यापारी भाव बढ़ाकर दे रहे हैं. पाटिल का कहना है कि कुछ दिनों में केले की कीमतों में और बढ़ोतरी होगी.
इस समय भारत केले का बड़ा एक्सपोर्टर है. महाराष्ट्र की बात करें तो यहां का भुसावल क्षेत्र इसके उत्पादन के लिए मशहूर है. भुसावल जलगांव जिले में है. यहां के केले को जीआई टैग मिला हुआ है. इसलिए इसकी विदेशों में खूब मांग है. केंद्र सरकार के अनुसार अप्रैल और मई 2013 में सिर्फ 26 करोड़ रुपए के केले का एक्सपोर्ट हुआ था. अब यह बढ़कर अप्रैल और मई 2022 में रिकॉर्ड 213 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. इसमें अब और वृद्धि का अनुमान है.
पुणे की मोशी मार्किट में 21 मार्च को दोपहर तक सिर्फ 36 क्विंटल केले की आवक हुई थी. यहां लोकल केले का न्यूनतम दाम 2000, अधिकतम 5000 और औसत भाव 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. दूसरी ओर नाशिक मंडी में सोमवार 20 मार्च को सिर्फ 138 क्विंटल केले की आवक हुई.
यहां भुसावली केले का न्यूनतम दाम 2500, अधिकतम 4200 और औसत भाव 3500 रुपये रहा. केला उत्पादन के लिए मशहूर है जलगांव महाराष्ट्र देश का प्रमुख केला उत्पादक है. यहां के जलगांव जिले का भुसावल इसकी खेती के लिए मशहूर है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश का केला उत्पादक क्षेत्र बुरहानपुर स्थित है.
दक्षिण भारत केले की खेती में अव्वल है. भारत में पिछले कुछ वर्षों में सबसे ज्यादा खेती आंध्र प्रदेश में होती थी. इससे पहले तमिलनाडु केला उत्पादन में पहले स्थान पर था. इसके बाद महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक का नंबर आता है.
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