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Arbi Farming: अरबी की खेती में ये टिप्स अपनाने से मिलेगा बेहतर उत्पादन, साथ में मुनाफा भी

Arbi Farming: अरबी की खेती में ये टिप्स अपनाने से मिलेगा बेहतर उत्पादन, साथ में मुनाफा भी

अरबी की पत्तियों में विटामिन ए, कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन पाया जाता है. स्वाद और गुणों से भरपूर इस सब्जी की मांग गांव से लेकर शहरों तक में काफी रहती है. गर्मियों में जहां सब्जियों की काफी किल्लत रहती है, वहां अरबी की सब्जी इस कमी को काफी हद तक दूर कर देती है. यही वजह है कि किसान गर्मियों में अरबी की बंपर उपज लेकर भरपूर कमाई कर सकते हैं.

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अरबी की खेती अरबी की खेती

देश के लगभग सभी इलाकों में अरबी की खेती जायद और खरीफ में की जाती है. अरबी कुल में दो तरह की प्रमुख प्रजातियां होती हैं. पहली एडिन और दूसरी डेसिन. छोटे आकार की एडिन को लोग आम भाषा में अरबी, घुइयां या कुचई के नामों से जानते हैं. जबकी लंबे बेलन के आकार वाले डेसिन को लोग बंडे के नाम से जानते हैं. इसकी खेती सबसे ज्यादा अफ्रीकन देशों में की जाती है. इसके कंद में जहां भूरपूर मात्रा में स्टार्च होता है. वहीं अरबी की पत्तियों में विटामिन ए, कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन पाया जाता है. स्वाद और गुणों से भरपूर इस सब्जी की मांग गांव से लेकर शहरों तक में काफी रहती है. गर्मियों में जहां सब्जियों की काफी किल्लत रहती है. वहां अरबी की सब्जी इस कमी को काफी हद तक दूर कर देती है. यही वजह है कि किसान गर्मियों में अरबी की बंपर उपज लेकर भरपूर कमाई कर सकते हैं.

तकनीक के साथ बेहतर लाभ

अरबी की खेती में बस ज़रूरत है थोड़ी तकनीक की. तकनीक के साथ इसकी खेती करने के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी अच्छी रहती है. खेत की तीन-चार जुताई ज़रूर करें. खेत को बढ़िया तरीक़े से भुरभुरा करके तैयार कर लें. बुवाई के समय ध्यान रखें कि खेत में अच्छी नमी हो. सिंचित अवस्था में अरबी की दो कतारों के बीच प्याज की तीन कतार लगाने पर अतिरिक्त लाभ प्राप्त हो सकता  है. इसके अलावा लीची और आम के नए लगाए गए बगीचे में अरबी की सहफसली खेती भी सफलतापूर्वक की जा सकती है. इससे पेड़ों की कतारों के बीच की भूमि का उचित उपयोग होता है. साथ ही बगीचों के रख-रखाव से फलों की अच्छी पैदावार प्राप्त होती है.

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अरबी की बेहतर क़िस्में 

बंपर उपज की उम्मीद किसान तभी कर सकते हैं, जब वे उन्नत किस्मों का चुनाव करके अरबी की खेती करें. इसके लिए अरबी की स्थानीय किस्में जैसे रश्मि, इंद्र, श्री पल्लवी किस्मों को लगा सकते हैं. साथ ही ANDC-1, 2, 3, मुक्ता काशी, राजेंद्र अरबी, सी-9, सी -135, और फैजाबादी जैसी उन्नतशील क़िस्मों की खेती आप कर सकते हैं जो 120 से 150 दिनों में तैयार हो जाती हैं.

अरबी में कितना दें खाद-उर्वरक 

अरबी से बेहतर उत्पादन के लिए खेत में अंतिम जुताई करते समय 100 से 150 क्विंटल सड़ी हुई गोबर खाद मिलाएं. इसके साथ 80 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 50 से 60 किलो पोटाश मिट्टी में मिलाएं. नाइट्रोजन की 80 किलो मात्रा में से आधी मात्रा और पोटाश की आधी मात्रा का ही प्रयोग करें. लेकिन फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा भूमि में बुवाई से पहले मिलाएं.

अरबी की बुवाई का तरीक़ा 

अरबी की बुवाई जायद में फरवरी और खरीफ में जून में करनी चाहिए. अरबी की बुवाई कतारों में करनी चाहिए. इसकी बुवाई करते समय कतार से कतार के बीच की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें. लेकिन ध्यान रखें कि अरबी के कंदों को 6 से 7 सेंटीमीटर का गड्डा खोदकर ही बोएं.

अरबी की फसल में सिंचाई 

अरबी की बुवाई के 4-5 दिन के बाद सिंचाई करनी चाहिए. अंकुरण हो जाने के बाद 8 से 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें. सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान जरुर रखें कि फसल में जल भराव नहीं हो.

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अरबी की खुदाई और उपज 

अरबी की बुवाई के 120 से लेकर 150 दिन के बाद ये पककर तैयार हो जाती है. फसल के पकने की पहचान पत्तियों के पीले होकर नीचे गिरने से आप लगा सकते हैं. अरबी की उपज इसकी किस्मों पर आधारित होती है. लेकिन आमतौर पर अरबी की एक हेक्टेयर खेती से 250 से 300 क्विंटल तक की उपज ली जा सकती है. बस ज़रूरत है उन्नत किस्मों के चुनाव, सही तकनीक से बुवाई और खेती के समय किए जाने वाले ज़रूरी प्रबंधनों को करने की.