Kharif Sowing: कपास का रकबा पिछड़ा तो गन्ने की भी धीमी चाल, तिलहन की बुवाई में गिरावट दर्ज

Kharif Sowing: कपास का रकबा पिछड़ा तो गन्ने की भी धीमी चाल, तिलहन की बुवाई में गिरावट दर्ज

कृषि मंत्रालय ने खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा जारी किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, धान की खेती में उछाल है, मगर दलहन और तिलहन के मोर्चे पर मायूसी है. सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी देश में दलहन और तिलहन का रकबा जोर नहीं पकड़ पा रहा है. कपास के साथ ही यही बात है.

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कपास का रकबा पिछड़ा तो गन्ने की भी धीमी चाल, तिलहन की बुवाई में गिरावट दर्जIndustry experts believe the imports will put pressure on domestic cotton prices as mills shift to cheaper foreign supplies. (Photo: GettyImages)

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने खरीफ फसलों की बुवाई का ताजा आंकड़ा जारी किया है. इस आंकड़े में 19 सितंबर 2025 तक की बुवाई की जानकारी दी गई है. इसमें धान, दलहन, तिलहन, मोटे अनाज, गन्ना, कपास से लेकर मक्का आदि की जानकारी दी गई है. ताजा आंकड़ा बताता है कि सामान्य बुवाई से अभी तक का रकबा पार हो चुका है. कुल खरीफ फसलों की बुवाई का सामान्य आंकड़ा 1096 लाख हेक्टेयर है जबकि अभी तक रकबा 1115 लाख हेक्टेयर को पार कर चुका है. पिछले साल इसी अवधि में यह रकबा 1100 लाख हेक्टेयर था. 

धान के रबके में तेजी

धान की फसल का रकबा इस बार 438.51 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के 430.06 लाख हेक्टेयर से 8.45 लाख हेक्टेयर अधिक है. धान की खेती का सामान्य रकबा 403.09 लाख हेक्टेयर है. यह खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख फसल है और अच्छी बारिश से धान की बुवाई को फायदा हुआ है.

दलहन की खेती का हाल

दालों की कुल बुवाई थोड़ी ही बढ़ी है. इसमें पिछले साल से 0.89 लाख हेक्टेयर की वृद्धि है. पिछले साल यह 118.40 लाख हेक्टेयर थी जो बढ़कर 119.29 लाख हेक्टेयर तक पहुंची है. उड़द (काली दाल) की बुवाई 1.48 लाख हेक्टेयर बढ़ी है और अब 24.07 लाख हेक्टेयर हो गई है. मूंग (हरी दाल) में हल्की गिरावट (0.17 लाख हेक्टेयर) दर्ज की गई है. अरहर (तुअर) की बुवाई घटकर 46.10 लाख हेक्टेयर रह गई है, जो पिछले साल 46.34 लाख हेक्टेयर थी. यानी अभी तक 0.23 लाख हेक्टेयर की गिरावट है.

मोटे अनाज और मक्का की बुवाई

मोटे अनाजों (जैसे ज्वार, बाजरा, रागी) का क्षेत्रफल बढ़ा है और इसमें 12.43 लाख हेक्टेयर की वृद्धि है. पिछले साल 181.59 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती हुई थी जो इस साल बढ़कर 194.01 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. इसका सामान्य रकबा 180.71 लाख हेक्टेयर है. 

मक्का की बुवाई में 10.65 लाख हेक्टेयर की जोरदार बढ़ोतरी हुई है. यह अब 94.95 लाख हेक्टेयर पहुंच गई है जबकि सामान्य रकबा 78.95 लाख हेक्टेयर है.

ज्वार और बाजरा में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया. ज्वार जबकि 0.07 लाख हेक्टेयर की गिरावट में है और बाजरे में 0.37 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी है. रागी की बुवाई में 0.69 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है.

तिलहनों में गिरावट जारी

तिलहन की बुवाई में इस बार भी कमी देखी गई है और यह कमी 5.16 लाख हेक्टेयर की है. पिछले साल 194.67 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती हुई थी जबकि इस बार 189.51 लाख हेक्टेयर ही है.  सोयाबीन की बुवाई में 5.83 लाख हेक्टेयर की गिरावट आई है. मूंगफली का क्षेत्रफल 0.35 लाख हेक्टेयर बढ़ा है और 48.14 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा है. हालांकि सामान्य रकबा 45.10 लाख हेक्टेयर है. सूरजमुखी की बुवाई में 0.02 लाख हेक्टेयर की गिरावट हुई है.

कपास, गन्ना और जूट की बुवाई

कपास की बुवाई में 2.85 लाख हेक्टेयर की कमी आई है. अब यह 109.90 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछले साल इसी अवधि में 112.76 लाख हेक्टेयर था. इसका सामान्य रकबा 129.50 लाख हेक्टेयर है. 

गन्ना का क्षेत्रफल 1.86 लाख हेक्टेयर बढ़ा है और यह 59.07 लाख हेक्टेयर हो गया है. जूट और मेस्टा की बुवाई में 0.18 लाख हेक्टेयर की कमी आई है. हालांकि खरीफ फसलों की कुल बुवाई सामान्य से अधिक पहुंच गई है और कुछ फसलों में अच्छी बढ़ोतरी देखी गई है.

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