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Mustard Area: सरसों उत्पादक किसानों ने बनाया नया रिकॉर्ड, क्या सरकार दिखाएगी खरीद की दरियादिली?

Mustard Area: सरसों उत्पादक किसानों ने बनाया नया रिकॉर्ड, क्या सरकार दिखाएगी खरीद की दरियादिली?

आजादी के बाद पहली बार सरसों की खेती का रकबा 100 लाख हेक्टेयर के पार हुआ. लेक‍िन सरकार ने एमएसपी स‍िर्फ 200 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल बढ़ाई. अगर इस साल ओपन मार्केट में क‍िसानों को अच्छा दाम नहीं म‍िला तो फ‍िर आगे चलकर एर‍िया घट सकता है. आख‍िर क‍िसान घाटे में कब तक खेती को बढ़ाते रहेंगे.

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 दस म‍िल‍ियन हेक्टेयर से अध‍िक हुआ सरसों का रकबा. दस म‍िल‍ियन हेक्टेयर से अध‍िक हुआ सरसों का रकबा.

देश में पहली बार सरसों की खेती का रकबा 100 लाख हेक्टेयर के पार पहुंच गया है. क‍िसानों ने प‍िछले साल के मुकाबले इस बार 2.27 लाख हेक्टेयर ज्यादा एर‍िया में सरसों की बुवाई की है. लेक‍िन, सवाल यह है क‍ि क्या क‍िसानों की इस दर‍ियाद‍िली पर सरकार भी उनके ल‍िए कुछ करेगी या फ‍िर प‍िछले साल की तरह ही उन्हें फ‍िर न‍िराशा हाथ लगेगी. खाद्य तेलों में सरसों का योगदान करीब 28 फीसदी है. ऐसे में इसकी खेती का बढ़ाना भारत को खाद्य तेलों की न‍िर्भरता की ओर ले जाना है. सरसों की खेती का रकबा क‍िसी सरकारी म‍िशन से नहीं बढ़ा है, बल्क‍ि 2020 से 2022 तक क‍िसानों को म‍िले अच्छे भाव की वजह से यह सफलता म‍िली है.

हालांक‍ि, 2023 ने सरसों क‍िसानों को काफी न‍िराश क‍िया, क्योंक‍ि दाम एमएसपी से काफी कम म‍िला था. फ‍िर भी क‍िसानों ने इसका रकबा नहीं घटाया. वो इस साल अभी बाजार का रुख देखेंगे. ऐसे में अगर इस बार दाम नहीं बढ़ा तो अगले साल रकबा घट भी सकता है. साल 2024 की शुरुआत भी क‍िसानों को दाम के मामले में न‍िराश कर रहा है. राष्ट्रीय कृष‍ि बाजार यानी ई-नाम (e-NAM) के अनुसार देश के सबसे बड़े सरसों उत्पादक राजस्थान में एमएसपी से कम दाम पर ही सरसों की ब‍िक्री हो रही है.

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वर्तमान में क‍ितना है दाम 

  • जयपुर ज‍िले की चोकसू मंडी में 21 जनवरी को सरसों का न्यूनतम दाम 3,600 और अध‍िकतम दाम 5,431 रुपये प्रत‍ि क्विंटल रहा. 
  • राजस्थान की ही कोटा मंडी 21 जनवरी को सरसों का न्यूनतम दाम 4,675 और अध‍िकतम दाम 5,331 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. 
  • रबी मार्केट‍िंग सीजन 2023-24 के ल‍िए सरसों की एमएसपी 5450 रुपये प्रति क्विंटल थी. अप्रैल 2024 से शुरू होने वाले नए सीजन में सरकारी दाम 5650 रुपये तय क‍िया गया है. 

सरसों के दाम पर सरकारी न‍िराशा 

रबी मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए सरसों की एमएसपी 5650 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है. सरकार ने प‍िछले साल के मुकाबले 200 रुपये क्व‍िंटल की वृद्ध‍ि की है. जबक‍ि प‍िछले साल 400 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल की वृद्ध‍ि की गई थी. यानी इस साल सरकार ने सरसों की एमएसपी में बहुत कम वृद्ध‍ि की है. उससे पहले 2021-22 में 225 रुपये क्व‍िंटल की वृद्ध‍ि हुई थी.

हर‍ियाणा को छोड़ बाकी सब फ‍िसड्डी

  • सरसों उत्पादन में राजस्थान की ह‍िस्सेदारी 48 फीसदी की है जबक‍ि रबी मार्केट‍िंग सीजन 2023-24 में एमएसपी पर यहां स‍िर्फ 3,91,508.23 मीट्र‍िक टन सरसों खरीदा गया था. न‍ियम के अनुसार यहां 15 लाख मीट्र‍िक टन की खरीद होनी चाह‍िए थी.  
  • देश के कुल उत्पादन में हर‍ियाणा की ह‍िस्सेदारी महज 13.1 फीसदी है. उत्पादन में इसका स्थान तीसरा है. जबक‍ि एमएसपी पर सबसे ज्यादा सरसों खरीदने के मामले में दूसरे स्थान पर हर‍ियाणा था. यहां 3,47,105 मीट्र‍िक टन सरसों खरीदा गया. 
  • सरसों के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश की ह‍िस्सेदारी 13.3 प्रत‍िशत है. यह देश का दूसरा सबसे बड़ा सरसों उत्पादक है. इसके बावजूद यहां स‍िर्फ 1,67,591.09 मीट्र‍िक टन की ही एमएसपी पर खरीद हुई.  
  • सरसों की एमएसपी पर खरीद करने के मामले में गुजरात चौथे नंबर पर था. जबक‍ि उत्पादन में इसका नंबर छठा है. यहां इस साल 84,355.32 मीट्र‍िक टन सरसों खरीदा गया. 
  • उत्तर प्रदेश 10.4 फीसदी उत्पादन के साथ देश का चौथा सबसे बड़ा सरसों उत्पादक है. लेक‍िन खरीद के मामले में यह पांचवें नंबर पर है. यहां इस साल महज 28,958.16 मीट्र‍िक टन सरसों खरीदा गया. 
  • रबी मार्केट‍िंग सीजन 2023-24 में देश भर में 4,20,082 क‍िसानों ने एमएसपी पर सरसों बेचा. इस पर सरकार ने कुल 5558.15 करोड़ रुपये खर्च क‍िए. 

खरीद की नीत‍ि बदले 

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का कहना है क‍ि दलहन की तरह त‍िलहन फसलों की भी 100 फीसदी खरीद का एलान करना चाह‍िए. अभी कुल उत्पादन का 25 फीसदी खरीदने का ही प्रावधान है, वो भी सरकार नहीं खरीदती. प‍िछले साल 32 लाख टन की बजाय देश में एमएसपी पर स‍िर्फ 10 लाख 20 हजार मीट्र‍िक टन सरसों ही खरीदा गया. बाकी क‍िसानों ने औने-पौने दाम पर व्यापार‍ियों को फसल बेची. न‍िजी क्षेत्र ने एमएसपी से 1000 रुपये क्व‍िंटल के कम दाम पर फसलों की खरीद की. 

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