बीते कई महीनों से दालों की कीमतों में नरमी नहीं दिख रही है. दालों की महंगाई दर 18 फीसदी से ऊपर चल रही है, जिसके चलते खाद्य महंगाई दर हर महीने बढ़ रही है. महंगाई से परेशान जनता को राहत देने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है. जिसके चलते बीते दिन केंद्र प्याज निर्यात पर लगी रोक को हटा दिया है अब विदेश से खरीदे जाने वाले चना पर आयात शुल्क को हटा दिया है. इससे चना आयात को बढ़ावा मिलेगा और ट्रेडर्स को कीमतों में राहत मिलेगी जो बाजार में दाम नीचे लाने में मदद करेगी. केंद्र ने पीली मटर के आयात की समयसीमा को बढ़ा दिया है.
दालों की कीमतों में नरमी का कोई संकेत नहीं दिख रहा है, ऐसे में केंद्र ने चना (बंगाल चना) पर आयात शुल्क हटा दिया है. इसके साथ ही पीली मटर के लिए आयात शुल्क विंडो को 31 अक्टूबर तक बढ़ा दिया है. बता दें कि पीली मटर पर पहले से केंद्र ने आयात शुल्क हटा रखा है. चना पर 66 फीसदी का आयात शुल्क लगता है, जिससे ट्रेडर्स को चना काफी महंगा पड़ता है और गिने चुने ट्रेडर्स ही इसकी खरीद करते हैं. इन वजहों से बाजार में चना की कीमत अधिक रहती है तो आपूर्ति में भी दबाव बना रहता है.
केंद्र सरकार ने नोटीफिकेशन में चने के शुल्क-मुक्त आयात की घोषणा की गई जो बीते दिन शनिवार से प्रभावी कर दी गई है. केंद्र ने पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात को भी अक्टूबर के अंत तक बढ़ा दिया है, जिसका उपयोग अक्सर चने के विकल्प के रूप में किया जाता है. सरकार ने अप्रैल की शुरुआत में पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात को दो महीने बढ़ाकर 30 जून तक बढ़ाया था, जिसके बाद अब 31 अक्तूबर तक इसे बढ़ाया गया है.
मध्य भारत के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में चने की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,440 रुपये प्रति क्विंटल से 1015 फीसदी अधिक हैं. इसकी बड़ी वजह रकबे में गिरावट के चलते कम उत्पादन है. इसके अलावा अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार 2023-24 के लिए चना फसल का उत्पादन 121.61 लाख टन है, जो पिछले वर्ष के 122.67 लाख टन से थोड़ा कम है.
चने की कीमतों में तेजी के रुझान के कारण सरकारी एजेंसियों के लिए बफर स्टॉक के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दालों की खरीद करना कठिन हो गया है. नेफेड पोर्टल पर खरीद आंकड़ों के अनुसार चालू सीजन में चना खरीद 765 टन थी. इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने शुल्क मुक्त आयात की आलोचना करते हुए कहा कि इससे दूसरे देशों के दाल उत्पादकों को फायदा हो रहा है. जबकि, सरकार का तर्क है कि इससे दाल की उपलब्धता और आपूर्ति में आसानी होगी, जो खुदरा कीमतों के नीचे लाने में मदद करेगा.
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