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ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई में 7 फीसदी की बढ़ोतरी, 27 लाख हेक्टेयर हुआ धान का रकबा

ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई में 7 फीसदी की बढ़ोतरी, 27 लाख हेक्टेयर हुआ धान का रकबा

मूंग की फसल की बुआई 0.6 प्रतिशत कम होकर 2 लाख हेक्टेयर हो गई, जबकि उड़द की बुआई 1 प्रतिशत बढ़कर 1.11 लाख हेक्टेयर बताई गई है. ग्रीष्मकालीन दालों के प्रमुख उत्पादक मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और गुजरात हैं.

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किसान तेजी से कर रहे हैं धान की बुवाई. (सांकेतिक फोटो) किसान तेजी से कर रहे हैं धान की बुवाई. (सांकेतिक फोटो)

किसानों ने रबी फसलों की कटाई करने के साथ-साथ ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई भी शुरू कर दी है, जो मई महीने तक जारी रहेगी. खास बात यह है कि शुक्रवार तक पूरे देश में 39.44 लाख हेक्टेयर में किसानों ने ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई की है. यह पिछले वर्ष की तुलना में 7.3 प्रतिशत अधिक है. इस बार धान, मक्का और मूंगफली के रकबे में वृद्धि दर्ज की गई है. जबकि सूरजमुखी, बाजरा और रागी जैसी कुछ अन्य फसलों का रकबा पिछले साल से कम है.

द बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि मंत्रालय द्वारा जारी साप्ताहिक अपडेट के अनुसार, धान की बुआई 8 प्रतिशत बढ़कर 27.08 लाख हेक्टेयर हो गई है, जबकि मोटे अनाज का क्षेत्रफल 9.1 प्रतिशत बढ़कर 4.19 हेक्टेयर हो गया. मोटे अनाजों में, मक्के का क्षेत्रफल 24.2 प्रतिशत बढ़कर 2.99 लाख हेक्येयर हो गया है, जबकि ज्वार 0.2 लाख हेक्टेयर पर लगभग दोगुना हो गया है. इसी तरह बाजरा का क्षेत्रफल 23 प्रतिशत घटकर 0.97 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है. वहीं, ग्रीष्मकालीन दालों का क्षेत्रफल 0.5 प्रतिशत बढ़कर 3.23 लाख हेक्टेयर को छू गया है, जिसका मुख्य कारण अन्य छोटी स्थानीय दालों के कवरेज में 15.6 प्रतिशत की वृद्धि है.

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तिलहन क्षेत्र में 7.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी

मूंग की फसल की बुआई 0.6 प्रतिशत कम होकर 2 लाख हेक्टेयर हो गई, जबकि उड़द की बुआई 1 प्रतिशत बढ़कर 1.11 लाख हेक्टेयर बताई गई है. ग्रीष्मकालीन दालों के प्रमुख उत्पादक मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और गुजरात हैं. इसी तरह तिलहन क्षेत्र में 7.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसका रकबा 4.94 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है. इसमें मूंगफली 2.7 लाख हेक्टेयर और तिल 1.85 लाख हेक्टेयर शामिल है. जबकि, सूरजमुखी का रकबा 15 प्रतिशत कम होकर 19,000 हेक्टेयर रह गया है.

56 फीसदी कम बारिश हुई है

इस बीच, 1 मार्च से प्री-मॉनसून सीजन में संचयी वर्षा 15 मार्च तक अखिल भारतीय आधार पर सामान्य से 8 प्रतिशत कम है. जबकि उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में 36 प्रतिशत की अधिकता है. मध्य भारत में 22 प्रतिशत कम बारिश हुई है. लंबी अवधि के औसत की तुलना में अब तक वर्षा हुई है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि 1-15 मार्च के दौरान दक्षिण में सामान्य से 96 फीसदी कम बारिश हुई है और पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत में औसत से 56 फीसदी कम बारिश हुई है.

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