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Mustard Price: इस तरीके से किसान पा सकते हैं सरसों की MSP से ज्यादा कीमत

Mustard Price: इस तरीके से किसान पा सकते हैं सरसों की MSP से ज्यादा कीमत

राजस्थान के टोंक जिले में डोडवाड़ी गांव में किसान गोपीलाल जाट ने ट्रैक्टर ट्रॉली में सरसों पिराई मशीन लगा ली है. इससे वे किसानों के घर तक पहुंच गए हैं. साथ ही किसानों को फायदा यह है कि एमएसपी से कम पर बिक रही सरसों के तेल और खल को मिलाकर वे एमएसपी से अधिक कमा सकते हैं.

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टोंक जिले के डोडवाड़ी गांव में किसान गोपीलाल जाट ने ट्रैक्टर पर सरसों पिराई मशीन लगा ली है. फोटो- Ramlal Jaat टोंक जिले के डोडवाड़ी गांव में किसान गोपीलाल जाट ने ट्रैक्टर पर सरसों पिराई मशीन लगा ली है. फोटो- Ramlal Jaat

इस साल सरसों की कीमत एमएसपी से काफी कम है. किसानों को प्रति क्विंटल 700 रुपये तक का घाटा हुआ है. लेकिन टोंक जिले के एक किसान ने इसका तोड़ निकाल लिया. इस उपाय से किसान एमएसपी से ज्यादा कीमत सरसों की ले पाएंगे. दरअसल, टोंक जिले के डोडवाड़ी गांव में एक किसान गोपीलाल जाट ने सरसों की पिराई मशीन को ट्रैक्टर ट्रॉली पर लगा दिया है. इस ट्रैक्टर को वे किसान के दरवाजे तक लेकर जा रहे हैं और उनकी सरसों की पिराई कर रहे हैं. साथ ही तेल निकालने के बाद बची ‘खल’ को भी किसान बाजार भाव पर बेच सकते हैं. 

ये है पूरा गणित

गोपीलाल जाट किसान तक से कहते हैं, “सरसों की एमएसपी 5450 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन इस बार हमें 4400-4500 रुपये ही मिल पाए हैं. इसीलिए मैंने ट्रैक्टर ट्रॉली पर ही सरसों पिराई मशीन लगा ली.” जाट कमाई का गणित बताते हुए कहते हैं, “बाहर सरसों की पिराई आठ रुपये प्रति किलो ली जाती है. एक क्विंटल सरसों में से करीब 35 किलो तेल निकलता है. फिलहाल सरसों का तेल 115 रुपये प्रति किलो चल रहा है. इसमें से आठ रुपये पिराई और दो रुपये अन्य खर्चा घटा दें तो 105 रुपए प्रति किलो के भाव से 3675 रुपये का तेल हमें मिल गया.” 

इसी तरह तेल के अलावा सरसों की खल भी निकलेगी. फिलहाल इसका बाजार भाव 42 रुपये प्रति किलो है. इस तरह 2730 रुपये की खल किसान को मिलेगी. इस तरह एक क्विंटल सरसों की कीमत किसान को 6405 रुपये मिलेगी. यह एमएसपी 5450 रुपये से 955 रुपये ज्यादा है. वहीं, फिलहाल किसान को जो 4500 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है उससे किसान को 1905 रुपये अधिक मिल पाएंगे. 

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किसान को खुद के प्रोडक्ट बनाने होंगे, तभी फायदा

किसान को अब सिर्फ फसल उत्पादन तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए. उसे अपनी उपज को एक प्रोडक्ट की तरह बेचना होगा. किसान महापंचायत के मुखिया रामपाल जाट कहते हैं, “इस साल किसानों को सरसों पर भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में अगर गांव-गांव में किसान डोडवाड़ी की तरह काम करना शुरू कर दें तो उन्हें सरसों पर फायदा भी हो सकता है. गोपीलाल की मशीन से पूरे गांव के किसान अपनी सरसों की पिराई करा रहे हैं. इससे किसानों को फायदा ही हो रहा है.”

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शुद्ध तेल और किसान के दरवाजे तक पहुंच 

रामपाल कहते हैं कि ट्रैक्टर पर सरसों पिराई मशीन लगने से पहली बात तो किसान को पूरी तरह से शुद्ध तेल मिलेगा. शुद्धता की गारंटी के साथ किसान को सरसों के अलावा तेल और खल के दाम भी कम चुकाने पड़ेंगे. दूसरी बात सरकार की जो पाम ऑयल पॉलिसी है, उससे भी किसानों को निजात मिलेगी. क्योंकि पाम ऑयल खाने के लिहाज से सेहतमंद नहीं होता. स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. 

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