पंजाब के कपास किसान इस बार के सीजन में गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. एक ओर भारी और अत्यधिक बारिश ने लगभग 25,000 हेक्टेयर में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाया है, तो दूसरी ओर नरमा (बिना कताई वाली कपास) के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी नीचे चल रहे हैं.
इस साल पंजाब में कुल 1.19 लाख हेक्टेयर भूमि पर कपास की खेती की गई है. फसल की कटाई शुरू हो चुकी है और मंडी में आवक भी शुरू हो गई है, जो नवंबर के अंत तक जारी रहेगी.
फाजिल्का के एक कमीशन एजेंट ने बताया कि मंडियों में कपास की कीमतें 6,500 से 7,300 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं, जबकि सरकार की ओर से घोषित MSP 7,710 से 8,110 रुपये प्रति क्विंटल है, जो क्वालिटी और फाइबर की लंबाई पर निर्भर करता है.
इस कारण व्यापारी और खरीददार किसानों को MSP नहीं दे रहे हैं, जिससे किसानों में गहरी चिंता है.
जहां पहले से ही भारी बारिश ने फसल को नुकसान पहुंचाया, अब MSP से कम कीमत मिलने के कारण किसान भारी आर्थिक नुकसान की आशंका जता रहे हैं. सरकार से किसानों की मांग है कि मंडियों में सरकारी खरीद सुनिश्चित की जाए और उन्हें MSP पर उचित मूल्य मिले.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट समिति ने 2025-26 मार्केटिंग सीजन के लिए कपास की MSP में बड़ी वृद्धि को मंजूरी दी. मध्यम स्टेपल कपास की MSP 7,710 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है, जो पिछले साल की तुलना में ₹589 की बढ़ोतरी है. वहीं लंबे स्टेपल कपास के लिए MSP 8,110 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है.
2024-25 सीजन में मध्यम स्टेपल कपास की MSP 7,121 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो 2023-24 की 6,620 रुपये से 7 प्रतिशत अधिक थी. 2025-26 में यह वृद्धि 11.84 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो किसानों के लिए एक बड़ी राहत है.
कपास कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में MSP पर कपास खरीदारी का काम संभालती है. 2024-25 सीजन में मार्च 2025 तक सरकार ने अपनी नोडल एजेंसी के माध्यम से 100 लाख बेल कपास की खरीदारी की है. महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव कॉटन ग्रोअर्स मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (MSCCGMFL) भी CCI के सब-एजेंट के रूप में इस काम में योगदान देती है.
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