महाराष्ट्र में लातूर के एक किसान ने अमरूद की खेती से तीन लाख रुपये की कमाई की है. खेती भी एक एकड़ में की गई है. इस तरह की खेती के किस्से और भी कई सुनने में आते हैं. लेकिन लातूर के लिए यह खास है. लातूर किसानों की समस्याओँ को लेकर प्रसिद्ध रहा है. पर इस किसान ने अपनी मेहनत से जता दिया कि परंपरागत खेती से हटकर भी बड़ी रकम कमाई जा सकती है.
लातूर जिले के बोरगांव काले गांव में रहने वाले ज्योतिराम ढोले ने अमरूद की खेती में यह कमाल किया है. इस किसान ने सिर्फ एक एकड़ क्षेत्र में अमरूद की खेती कर 6 महीनों में ही तीन लाख रुपयों की कमाई कर दिखाई है. उन्होंने अपने एक एकड़ खेत में 1100 अमरूद के पेड़ लगाकर बगीचा तैयार किया है.
इस बगीचे में उपजाए जाने वाले अमरूद की खेती पर अभी तक डेढ़ लाख रुपयों की लागत लग चुकी है. सूखे का क्षेत्र होने के बावजूद ड्रिप सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ज्योतिराम ढोले अपनी फसलों की देखभाल कर रहे हैं. लातूर में पानी की कमी देखी जाती है. इसलिए ड्रिप इरीगेशन पद्धति से सिंचाई की जा रही है ताकि पानी की बचत हो सके.
ज्योतिराम ढोले ने अपने अमरूद के बगीचे की देखभाल कम पानी में ही की है. इससे उनकी खेती पर थोड़ा कम पैसा खर्च हुआ है. इस साल मार्केट में अमरूद के अच्छे दाम देखे गए जिसका फायदा ढोले की उपज को मिला. अमरूद का पौधा बढ़ने में भले समय लगता है, लेकिन फल आने के बाद 6 महीने में इसकी आमद होने लगती है.
अमरुद को इस साल 50 रुपये प्रति किलो का अच्छा भाव मिलने के कारण महज 6 महीनों में ही ज्योतिराम ढोले ने बंपर कमाई कर ली. ढोले ने अपने बगीचे से 3 लाख रुपयों की कमाई कर ली है. इस बगीचे से अमरूद के फलों को हर 6 महीने के बाद तोड़ा जाता है. आने वाले सीजन में भी इससे ज्यादा मुनाफा मिलने की उम्मीद है.
अमरूद की खेती का उपयुक्त समय फरवरी-मार्च या अगस्त-सितंबर का होता है. अमरूद की खेती में कमाई डूबने की आशंका नहीं होती क्योंकि इसका मार्केट हमेशा तैयार रहता है. सेहत के लिहाज से अमरूद की मांग हमेशा बनी रहती है. आम दिनों में भी जब मांग कम हो, तो अमरूद आराम से 40-50 रुपये बिक जाता है.(रिपोर्ट-अनिकेत जाधव)
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